NEW DELHI. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के चुनाव का रास्ता साफ हो गया है। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय कुश्ती महासंघ के चुनाव पर हरियाणा और पंजाब हाईकोर्ट के स्टे के आदेश को पलट दिया है।
समय पर चुनाव न होने से सस्पेंड हो गया डब्ल्यूएफआई
हरियाणा-पंजाब हाईकोर्ट ने 12 अगस्त को हरियाणा रेसलिंग एसोसिएशन (HWA) की याचिका पर स्टे लगाया था। उसके बाद समय पर चुनाव न होने के कारण यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (UWW) ने भारतीय कुश्ती महासंघ को सस्पेंड कर दिया था। तब से भारतीय कुश्ती महासंघ सस्पेंड है।
क्यों लगा था हाईकोर्ट का स्टे
12 अगस्त को भारतीय ओलिंपिक कमेटी (IOC) की देखरेख में भारतीय कुश्ती संघ (WFI) के चुनाव होने थे। चुनाव से ठीक पहले हरियाणा रेसलिंग एसोसिएशन (HWA) की याचिका पर हरियाणा और पंजाब हाईकोर्ट ने चुनावों पर स्टे लगा दिया। इसकी वजह हरियाणा रेसलिंग एसोसिएशन की जगह एक अन्य एसोसिएशन को इस चुनाव में भाग लेने की अनुमति देना था। हरियाणा रेसलिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष कांग्रेसी सांसद दीपेंद्र हुड्डा हैं। जिन पर पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण के खिलाफ महिला पहलवानो को धरना देने के लिए उसकसाने का आरोप लगाया गया है।
चुनाव की पूरी तैयारी थी, अध्यक्ष के लिए संजय और श्योराण उम्मीदवार
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के स्टे से पहले भारतीय कुश्ती महासंघ के चुनाव की पूरी तैयारी हो चुकी थी। इसके लिए उम्मीदवारों की फाइनल लिस्ट भी जारी हो चुकी थी। अध्यक्ष पद के लिए 2010 कॉमनवेल्थ गेम्स की चैंपियन अनीता श्योराण और संजय सिंह मैदान में थे। संजय सिंह बृजभूषण के करीबी हैं, जबकि अनीता श्योराण महिला पहलवानों के यौन शोषण के मामले में बृजभूषण के खिलाफ ग्रुप में हैं और मामले में गवाह भी हैं।
श्योराण को पहलवानों और खेल मंत्रालय का समर्थन था!
भिवानी की रहने वाली अनीता श्योराण 12 अगस्त को होने वाले चुनाव में अकेली महिला उम्मीदवार थीं। माना जा रहा है कि उन्हें खेल मंत्रालय और बृजभूषण के खिलाफ धरना देने वाले पहलवानों का समर्थन मिला था।
इसलिए चुनाव का माहौल बना
जनवरी-फरवरी में कुछ महिला पहलवानों ने WFI के तत्कालीन अध्यक्ष बृजभूषण सिंह पर यौन शोषण के आरोप लगाए। इन आरोपों के बाद विनेश फोगाट, बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक और संगीता फोगाट सहित देश के टॉप रेसलर अध्यक्ष को हटाने की मांग पर धरना करने लगे। विवाद के बाद इंडियन ओलिंपिक एसोसिएशन (IOA) ने WFI को भंग करते हुए एडहॉक कमेटी बनाकर उसे WFI के नए पदाधिकारियों के चुनाव कराने की जिम्मेदारी सौंप दी। कमेटी ने 12 अगस्त को चुनाव कराने की सभी तैयारियां कर ली थीं।