सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा से 12 बीजेपी विधायकों के एक साल के निलंबन को असंवैधानिक बताया है और इसे रद्द कर दिया है। पिछले साल जुलाई को विधानसभा में स्पीकर के साथ अपमानजनक और दुर्व्यवहार करने के आरोप में विधायकों को एक साल के लिए निलंबित कर दिया गया था।
एक साल का निलंबन निष्कासन से भी बदतर: सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले के साथ तल्ख टिप्पणी भी की है। अदालत ने कहा कि ये फैसला लोकतंत्र के लिए खतरा ही नहीं, बल्कि तर्कहीन भी है। इससे पहले की सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा था कि एक साल का निलंबन निष्कासन से भी बदतर है। क्योंकि, इस दौरान निर्वाचन क्षेत्र का कोई प्रतिनिधित्व नहीं हुआ। यदि निष्कासन होता है तो यह स्थान भरने के लिए एक तंत्र है।
इन विधायकों को मिली 'सुप्रीम' राहत: सुप्रीम कोर्ट के फैसले से भाजपा के इन 12 विधायकों- संजय कुटे, आशीष शेलार, अभिमन्यु पवार, गिरीश महाजन, अतुल भटकालकर, पराग अलावनी, हरीश पिंपले, राम सातपुते, विजय कुमार रावल, योगेश सागर, नारायण कुचे व कीर्तिकुमार भांगडिया।
क्या था विवाद: जुलाई 2021 में महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर के आसन पर बैठे (पीठासीन अधिकारी) भास्कर जाधव ने सदन में हंगामा करने वाले भाजपा के 12 विधायकों को अनियंत्रित व्यवहार करने पर निलंबित कर दिया था। जाधव ने तब कहा था कि जब सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई थी, तब विपक्ष के नेता उनके कक्ष में आए और विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस व वरिष्ठ भाजपा नेता चंद्रकांत पाटिल के समक्ष उन्हें अपशब्द कहे।