हरीश दिवेकर। दस दिन तक शहर, राज्य और देश में उत्सवी छटा बिखेरने के बाद मंगल मूर्ति प्रथम पूज्य भगवान गणेश विदा हो गए। गणेश विसर्जन के साथ ही शुरू हो गया है पूर्वजों को तर्पण का दौर। सभी लोग अब अपने पूर्वजों को याद करने में जुट गए हैं। तो नेशनल हेराल्ड व नवजीवन केस में प्रवर्तन निदेशालय के चक्कर काटने के बाद राहुल गांधी कांग्रेस को नवजीवन देने के लिए कश्मीर से कन्याकुमारी तक की भारत जोड़ो यात्रा पर निकल चुके हैं। यात्रा का पांचवा दिन है और पहले दिन से ही राहुल की यह यात्रा विपक्ष के टारगेट पर बनी हुई है। उनके रहने-खाने-पीने से लेकर पहनावे तक को विपक्षी नजरें टटोलने में जुटी हैं। दूसरी तरफ बीजेपी ने दबे-पांव चुनावी तैयारियां शुरू करते हुए एकसाथ दर्जन भर राज्यों के प्रभारी-सहप्रभारी बदल डाले हैं। प्रदेश में भी बदलाव की बयार सरसरा कर चल रही है। ऐसे में संघ की समन्वय बैठक ने सभी को ध्यान छत्तीसगढ़ में लगा दिया है, वहां से बहुत कुछ निकलेगा जो मध्यप्रदेश में भी असर दिखाएगा। खैर! खबरें तो तमाम हैं और हर खबर पर हमारी नजर है। आप हमारे साथ जुड़े रहिए। आइए हम आपको बताते हैं हर खबर से जुड़ी अंदर की बात।
उमा का डर..बिसेन का काउंटर
सरकार में उच्च पदों पर बैठे लोगों में आज भी उमा का खौफ नजर आता हैण्ण्ण्पता नहीं कब कहां क्या बोल दें और मामला बिगड़ जाए। उमा ने शुक्रवार को खबरनवीसों को क्या बुलायाण्ण्ण्ण्इंटेलीजेंस को सक्रिय किया गया कि पता लगाओं क्या बोलने वाली हैं उमाण्ण्ण्मुखबिरों ने बताया कि प्रीतम के सपोर्ट में उमा बोलेंगी। खबर लगते ही उमा को काउंटर करने के लिए पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग के अध्यक्ष गौरीशंकर बिसेन की पत्रकारवार्ता जनसंपर्क से लाइव करके बताया गया कि सरकार ने पिछड़ों के लिए क्या-क्या किया। जब से प्रीतम बागी हुए हैं पिछड़ा, एससी-एसटी उनके साथ हो गया है। ऐसे में उमा का प्रीतम की तारीफ करना सरकार को डैमेज करेगा इसलिए बिसेन का काउंटर सामने लाया गया। इसका असर कितना हुआ अब आप खुद पता लगाइए...।
ताई की एंट्री से भाई का टेंशन
प्रदेश की सियासत में अचानक भाई की सक्रियता बढ़ने से कई सियासतदान बैचेन हैं। भाई के रथ को रोकने के लिए एक बार फिर पुराना पांसा फेंका गया है। इस पांसे का नाम है ताई। राजधानी में बैठे सियासतदान जानते हैं कि इंदौर में ताई का नेटवर्क ही भाई के रथ के पहियों को जाम कर सकता है। इसके पहले साहब लोगों ने शंकर पर दांव खेला था, लेकिन वो फुस्स फटाक निकला। वो भाई का विकल्प बनना तो दूर उनके सामने अपनी कद काठी को भी खड़ा नहीं कर पाए। बहरहाल अब ये तो वक्त ही बताएगा कि क्या भाई को टेंशन देने के लिए ताई वाला पुराना फार्मूला आज भी कारगर साबित हो पाएगा या नहीं।
झाडू ने बिगाड़ा घोटाले का गणित
प्रदेश में झाडू की एंट्री आने वाले चुनाव में क्या गुल खिलाएगी ये तो समय आने पर पता चलेगाए लेकिन सरकार के कचरे को डस्टबीन में कैसे बंद किया जाएगा इसका नजारा तो अभी से दिखने लगा है। कैग की रिपोर्ट में उजागर हुए पोषण आहार घोटाले पर मध्यप्रदेश से लेकर दिल्ली तक झाडू ने जो बवाल मचाया है वो देखते ही बनता है। कांग्रेस के कमजोर आक्रमण को झेलने की आदी हो चुकी है सरकार। इस बार भी बेफिक्र थी, घोटाले को लेकर मचल गया हैण्ण्ण्ण् इस मुददे पर सरकार को विधानसभा में घेरने के लिए कमर कस कर तैयार हो गया। पंजे को समझ आ गया कि अब हमलावर नहीं हुए तो झाडू बाजी मार ले जाएगी।
बदलने लगी आस्थाएं...
मंत्रालय से लेकर मैदान में जमे ब्यूरोक्रेटस की आस्थाएं बदलने लगी हैं। पहले जो ब्यूरोक्रेटस सरकार के एक इशारे पर ब्लाइंड रन करते थे। अब वे थोड़ा ठहरो सोचो और आगे बढ़ो वाला फार्मूला फॉलो करने लगे हैं। इसके चलते अब अफसर केवल विपक्ष ही नहीं, सत्ता पक्ष के संभावना वाले नेताओं की सुनने लगे हैं। अक्सर कहा जाता है कि ब्यूरोक्रेटस सबसे बड़े मौसम वैज्ञानिक होते हैं जो आने वाले तूफान को पहले ही भांप लेते हैं। उनके एक्शन ऑफ वे से समझ आ जाता है कि मामला कहां जा रहा है। हालांकि अभी भी कुछ अफसर ऐसे हैं जो सत्ता के साथ पूरी ईमानदारी से खड़े हैं।
मंत्री के चेहरे पर आया नूर
शिवराज के कद्दावर और भरोसेमंद मंत्री पिछले कई दिनों से बैचेन थे, वे अपने ही विभाग में घुटन महसूस कर रहे थे। वजह बेलगाम अफसर। मंत्री कुछ भी बोलें, लेकिन अफसर करते अपने अपने मन की थे। इन्हें हटाने के लिए मंत्री ने कई बार जोर लगाया, लेकिन हर बार प्रशासनिक मुखिया के आगे फेल हुए। सिंधिया खेमे के मंत्री ने प्रशासनिक मुखिया पर खुलेआम हमला क्या बोला, उसके बाद मंत्री को भी मौका मिल गया। बंद कमरे में दबी जुबान में सूबे के मुखिया को अपना दर्द सुना दिया। फिर क्या था इन साहब को उठाकर लूप लाइन में पटक मारा। अपने कमिश्नर का तबादला करवाने के बाद मंत्री के चेहरे पर तो नूर आया ही उससे ज्यादा नूर उनके ओएसडी और स्टॉफ के चेहरे पर दिख रहा है। अब सीधे विभाग पर मंत्री के साथ उनकी भी चलेगी।
मंत्री के फेर में उलझे जैन साहब
पर्यूषण पर्व चल रहा है जैन समुदाय के लोग जाने-अनजाने में की गई गलती के लिए क्षमा याचना कर उत्तम क्षमा मांग रहे हैं। वहीं एक मंत्री की मीठी चुपड़ी बातों में उलझकर फंसे जैन साहब चाहकर भी मंत्री को इस गलती के लिए क्षमा नहीं कर पा रहे हैं। करें भी तो कैसे करें, मामला करोड़ों का जो है। मंत्री जी ने भरोसा दिलाया था कि वे अपने विभाग का काम जैन साहब को ही देंगे। इसके लिए बाकायदा एंडवास में तीन करोड़ भी ले लिए। शुरू में लाखों का काम दिया भी, लेकिन अब मंत्री चुप्पी साध गए हैं। जैन साहब चक्कर लगा-लगा कर हैरान परेशान हो रहे हैं। नर्मदा माई की कसम हम मंत्री का नाम नहीं खोलेंगे, आप अपने हरिराम को लगाइए और पता कर लीजिए कि कौन से मंत्री नर्मदा मां की कसमें खाते हैं।