NEW DELHI. उत्तराखंड की सिल्क्यारा-डंडालगांव टनल में 12 नवंबर से फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकालने के लिए कोशिशें लगातार जारी हैं। रेस्क्यू टीम ने सोमवार को दोहपर बाद ड्रिलिंग में फंसे ऑगर मशीन के 13.9 मीटर लंबे हिस्से को निकाल लिया है, हालांकि मशीन का 1.9 मीटर का हेड (कॉर्कस्क्रू) अभी भी मलबे में फंसा हुआ है। इस बस के बीच मजदूरों पर नजर रखने के लिए रोबोट की मदद लेने की तैयारी है। इसके लिए लखनऊ से एआई एंड रोबोटिक्स एक्सपर्ट मिलिंद राज को बुलाया गया है। जो रोबोट के द्वारा मजदूरों की हर परेशानी को पता कर दूर करने के प्रयास करेगा। मजदूरों को निकालने की चिंताओं के साथ मौसम की खराबी भी रेस्क्यू टीम की चिंताएं बढ़ा रही है।
टनल के ऊपर से वर्टिकल ड्रिलिंग जारी
रेस्क्यू ऑपरेशन के बीच भारतीय सेना के कोर ऑफ इंजीनियर्स और मद्रास सैपर्स की यूनिट मशीन का हेड बाहर निकालने में जुटी है, जिसे निकालने के बाद मैन्युअली हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग भी शुरू हो सकती है। फिलहाल पहाड़ी के ऊपर यानी टनल के ऊपर से वर्टिकल ड्रिलिंग तेजी से जारी है। इस पूरा काम यानी मजदूरों तक पहुंचने में अभी तीन-चार दिन का समय लगने की बात कही जा रही है।
रोबोट से तीन बड़े काम होंगे
टनल के अंदर फंसे 41 मजदूरों पर नजर रखने के लिए रोबोटिक्स की मदद ली जा रही है। इसके लिए लखनऊ से AI एंड रोबोटिक्स डेवलपर मिलिंद राज को बुलाया गया है। मिलिंद ने बताया- हम तीन बड़े काम करेंगे-
- पहला- मजदूरों के व्यवहार और उनकी सेहत को 24X7 मॉनिटर करेंगे। टनल के अंदर फंसे मजदूरों की हताशा की स्थिति को डिटेक्ट करेंगे।
- दूसरा- टनल के अंदर अगर कोई गैस निकल रही है तो उसे डिटेक्ट करेंगे।
- तीसरा- टनल के अंदर जहां नेटवर्क भी ठीक से नहीं मिल पा रहा है, वहां हम हाईस्पीड इंटरनेट सिस्टम मुहैया कराएंगे।
अब तक 31 मीटर से ज्यादा हुई वर्टिकल ड्रिलिंग
टनल घंसने से 16 दिन से फंसे 41 मजदूरों तक पहुंचने के लिए 86 मीटर की वर्टिकल ड्रिलिंग रविवार से जारी है। अब तक 31 मीटर से ज्यादा खुदाई हो चुकी है। वहीं मलबे में मशीन के ब्लेड फंसने की वजह से हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग 24 नवंबर से बंद है।
रैट माइनर्स से मैन्युअल ड्रिलिंग की तैयारी
टनल में मैन्युली ड्रिलिंग रैट माइनर्स से कराने की तैयारी है। इसके लिए दिल्ली के रहने वाले मुन्ना अपने सहयोगी रैट माइनर्स के साथ सिल्क्यारा टनल साइट पर पहुंच चुके हैं। ये कर्मचारी रॉकवेल कंपनी में काम करते हैं। ये लोग मैन्युअल ड्रिलिंग के एक्सपर्ट हैं। ये 2-2 के ग्रुप में टनल पैसेज में जाएंगे और बची हुई 12 मीटर की हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग को हाथों से पूरा करेंगे। मुन्ना के मुताबिक ये सभी टनल के अंदर जाकर ड्रिलिंग के लिए तैयार हैं।
रैट माइनर्स क्या होते हैं ?
रैट यानी चूहा। पतले से पैसेज में अंदर जाकर ड्रिल करने वाले मजदूरों को रैट माइनर्स कहा जाता है। इस तरह से ड्रिल करने के किए स्पेशल ट्रेनिंग, स्किल और काफी प्रैक्टिस की जरूरत होती है। ये रैट माइनर्स 800 मिमी के पाइप में घुसकर ड्रिल करेंगे।