ग्रीन पटाखों की हकीकतः द सूत्र के रियलिटी चेक में पटाखों से प्रदूषण 2 से 35 गुना तक ज्यादा

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ग्रीन पटाखों की हकीकतः द सूत्र के रियलिटी चेक में पटाखों से प्रदूषण 2 से 35 गुना तक ज्यादा

भोपाल. दिवाली पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने पटाखे फोड़ने की सशर्त गाइडलाइन (Guideline) जारी की है। इसके मुताबिक, जिस शहर की हवा की गुणवत्ता (एयर क्वालिटी इंडेक्स- AQI) 200 के नीचे है, वहां दिवाली (Diwali) के दिन सिर्फ दो घंटे ग्रीन पटाखे फोड़ने की छूट दी गई है। मार्केट में ग्रीन पटाखों के नाम पर जो क्रेकर्स (Crackers) बेचे जा रहे हैं, वे निर्धारित मापदंड की कसौटी पर कितने खरे हैं, यह जानने के लिए द सूत्र ने पर्यावरणविद और साइंटिस्ट सुभाष सी पांडे को साथ लेकर रियलिटी चेक किया। उनके सामने कुछ पटाखे चलवाए और पोर्टेबल एयर क्वालिटी और नॉइस मॉनिटर (Noice Moniter) के जरिए हवा की गुणवत्ता और आवाज की तीव्रता (Intencity) भी मापी। इस रियलिटी चेक में चौंकाने वाले नतीजे सामने आए। इन पटाखों से वायु प्रदूषण का स्तर (Air Pollution Level) 2 से 35 गुना तक ज्यादा निकला। ये सेहत के लिए बेहद हानिकारक है।राजधानी के पटाखा बाजार में बिक रहे ग्रीन क्रेकर्स (Green Crackers) की हकीकत जानने से पहले आपको बताते हैं कि क्या हैं ग्रीन पटाखे और क्या होता है AQI...

1. क्या हैं ग्रीन पटाखे

पर्यावरण (Environment) को कम प्रदूषित करने वाले पटाखों को ग्रीन पटाखे कहा जाता है। कहा जाता है कि इनमें वायु प्रदूषण फैलाने वाले हानिकारक रसायन जैसे- एल्युमिनियम, बैरियम, पोटैशियम नाइट्रेट और कार्बन इस्तेमाल नहीं होते। वहीं इनसे ध्वनि प्रदूषण भी कम होता है।

2. क्या होता है एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI)

AQI हवा की गुणवत्ता को बताता है। यह बताता है कि हवा में किन गैसों की कितनी मात्रा घुली है। हवा की गुणवत्ता के आधार पर इस इंडेक्स में 6 कैटेगरी निर्धारित की गई हैं जैसे अच्छी (0 से 50), संतोषजनक (51 से 100), मध्यम खराब (101 से 200), खराब (201 से 300), बहुत खराब (301 से 400) और गंभीर (401 से 500)। जैसे-जैसे हवा की गुणवत्ता (AIR Quality) खराब होती जाती है, वैसे ही रैंकिंग अच्छी से खराब और फिर गंभीर की श्रेणी में आती जाती है।

ऐसे किया चेक

द सूत्र की टीम ने जहांगीराबाद स्थित पटाखा मार्केट (Cracker Market) से अनार, बच्चों द्वारा जलाई जाने वाली रस्सी और सांप की गोलियां खरीदकर उनका टेस्ट कराया। विक्रेता ने जो अनार ग्रीन पटाखा बताकर दिया उसमें  और सामान्य अनार दोनों में ध्वनि और वायु प्रदूषण की मात्रा करीब-करीब समान ही आई। ग्रीन अनार जलाने पर हवा की गुणवत्ता में पीएम 2.5 की वैल्यू 102 और पीएम10 की वैल्यू 136 आई।

जबकि तय मात्रा के मुताबिक पीएम 2.5 की वैल्यू 60 माइक्रो ग्राम प्रति क्यूबिक मीटर और पीएम10 की वैल्यू 100 माइक्रो ग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से ज्यादा नहीं होना चाहिए। इससे अधिक मात्रा फेफड़े (Lungs) और दिल (Heart) के लिए हानिकारक मानी जाती है। अनार जलाने पर आवाज की तीव्रता 86 डेसीबल निकली जबकि आवाज की तीव्रता 45 से 55 डेसीबल के बीच होनी चाहिए। इससे ज्यादा होने पर कान के पर्दे को नुकसान हो सकता है।

अनार की PM10 वैल्यू 102

इसके बाद सामान्य अनार को चला कर परखा गया तो हवा की गुणवत्ता में पीएम 2.5 की वैल्यू 100 और पीएम 10 की वैल्यू 102 आई। आवाज की तीव्रता 86 डेसीबल निकली यानी सामान्य और ग्रीन पटाखे दोनों का वायु और ध्वनि प्रदूषण लेवल एक जैसा ही निकला। इस पड़ताल में रस्सी/हंटर को जलाने में हवा की गुणवत्ता पीएम 2.5 में 1108 (करीब 18 गुना ज्यादा) और पीएम10 में 1504 ( करीब 15 गुना ज्यादा) निकली।

बच्चों द्वारा उपयोग की जाने वाली सांप की गोली जलाने पर हवा की गुणवत्ता पीएम 2.5 में 1883 (करीब 30 गुना ज्यादा) और पीएम 10 में 3548 (करीब 35 गुना ज्यादा) निकली, जो तय मानक से कई गुना ज्यादा है।

ये 3 कारण, जिनसे आदेश पर अमल आसान नहीं

NGT ने आदेश के पालन के लिए राज्य सरकार और हर जिले के कलेक्टर के साथ प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड (PCB) की जवाबदेही तय की है। आदेश का जमीनी स्तर पर अमल व्यावहारिक रूप से कितना संभव है, यह जानने के लिए द सूत्र की टीम ने ग्राउंड रियलिटी चेक की। इसमें सामने आया कि  तीन कारणों से NGT के आदेश का पालन आसान नहीं है।

1. विक्रेताओं नहीं है ग्रीन पटाखों की जानकारी

राजधानी भोपाल में जगह-जगह पटाखा बाजार सजे हुए हैं। जहांगीराबाद में नीलम पार्क स्थित पटाखा बाजार में द सूत्र की टीम ने एक दुकानदार सुरेश साहू से जब ये पूछा गया कि आपकी दुकान में कौन-कौन से ग्रीन पटाखे हैं तो वे नहीं बता पाए। यही हाल बिट्टन मार्केट में लगे पटाखा बाजार का भी है। यहां चेक करने पर किसी भी पटाखों के बॉक्स पर QR कोड नजर नहीं आया, जिसे स्कैन कर पता चल सके कि पटाखा ग्रीन है या नहीं।  

सवालः  जब यह पहचाना ही नहीं जा सकता कि कौन सा पटाखा ग्रीन है और कौन सा नहीं तो फिर जिम्मेदार अधिकारी दुकानों पर जाकर क्या जांच करेंगे। इनकी बिक्री पर कैसे रोक पाएंगे। रैपर पर भी कुछ लिखा नहीं आ रहा है तो लोगों को कैसे पता चलेगा कि वह कौन सा पटाखा खरीद रहे हैं। 

2. हर शहर में हर दिन बदल जाता है AQI

आदेश के मुताबिक जिन शहरों में हवा की गुणवत्ता 200 से नीचे है, वहां ग्रीन पटाखे दो घंटे तक फोड़े जा सकते हैं। लेकिन हर शहर का AQI लेवल हर दिन, हर घंटे बदल जाता है। 31 अक्टूबर को सागर का AQI 67 था, जो हवा की बेहद अच्छी गुणवत्ता थी, लेकिन एक दिन बाद ही सागर का AQI बढ़कर सीधे 314 हो गया, जो बेहद खराब स्थिति है। इसी तरह 31 अक्टूबर को कटनी का AQI 224 था, जो एक दिन बाद घटकर 1 नवंबर को 166 हो गया।   

सवालः जब हर दिन और हर घंटे शहर का एक्यूआई लेवल बदलता रहता है तो फिर यह कैसे तय होगा कि किस शहर का किस दिन का AQI लिया जाएगा, जिसके हिसाब से एनजीटी के आदेश का पालन होगा। 

3. दिवाली के दिन प्रशासन कैसे कराएगा मॉनीटरिंग

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के रीजनल ऑफिसर ब्रजेश शर्मा ने बताया कि AQI लेवल 4 नवंबर 2021 यानी दीवाली के दिन ही का नापा जाएगा। उस दिन यदि यह लेवल 200 से बढ़ा तो वहां पटाखे प्रतिबंधित होंगे। लेकिन 200 के नीचे गया तो दो घंटे पटाखे फोड़े जा सकेंगे। लेकिन प्रशासन इस आदेश का पालन कैसे करवा सकेगा, यह बड़ा सवाल है।  

सवालः यदि किसी शहर का दिवाली के दिन एक्यूआई 200 के ऊपर चला जाता है तो यह लोगों को कैसे पता चलेगा। बड़ा सवाल यह भी है कि लोग तब तक पटाखे खरीद चुके होंगे, फिर प्रशासन इतनी बड़ी आबादी को कैसे पटाखे फोड़ने से रोकेगा।

निर्देशों का पालन व्यावहारिक रूप से संभव नहींः एक्सपर्ट

पर्यावरणविद् और वैज्ञानिक डॉ. सुभाष सी पांडे के मुताबिक ऐसा कोई जरिया नहीं है, जिससे मॉनिटरिंग करने वाली एजेंसी के अधिकारी या आमजन पता कर सकें कि बाजार में बिकने वाला पटाखा ग्रीन है या नहीं। साथ ही एक्यूआई 200 की बाध्यता वाले निर्देश का पालन भी व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है, क्योंकि यह हर दिन और हर घंटे बदलता है। ऐसे में लोगों को चाहिए कि वे कम से कम पटाखे जलाएं और जहां तक हो सके ओपन स्पेस में ही पटाखे फोड़ें।

दिवाली के दिन मॉनिटरिंग कर करेंगे कार्रवाईः PCB

मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के रीजनल ऑफीसर ब्रजेश शर्मा ने कहा कि ये बात सही है कि लोगों ने पटाखे खरीद लिए हैं। इसके लिए प्रशासन के स्तर पर टीमें बनाई गई हैं जो अलग-अलग क्षेत्र की मॉनिटरिंग कर रही हैं। दीवाली के दिन जिस तरह की स्थिति होगी उसी के अनुरूप कार्रवाई की जाएगी।

यह है जुर्माने का प्रावधान

एनजीटी के आदेश का उल्लंघन करने वालों पर जुर्माना लगाने का प्रावधान भी लागू किया गया है। इसके अनुसार यदि कोई पहली बार उल्लंघन करता है, तो एक हजार रुपए और साइलेंट जोन में पटाखा फोड़ने पर 3000 हजार रुपये जुर्माना देना होगा। पब्लिक रैली, बारात, शादी या धार्मिक समारोह में 10 हजार और साइलेंट जोन में 20 हजार जुर्माना देना होगा। दूसरी बार ऐसा करने पर 40 हजार और इससे अधिक बार करने पर जुर्माना राशि 1 लाख रुपए होगी। 

हर साल दीवाली के बाद हो जाती है हवा जहरीली

प्रदेश में हर साल दीवाली के बाद शहरों में हवा के प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है। बीते साल की ही बात करें तो 14 नवंबर 2020 को दिवाली के दिन भोपाल (Bhopal) का AQI लेवल 189, इंदौर 197, जबलपुर 140 और ग्वालियर का लेवल 340 था। वहीं दिवाली के एक दिन बाद 15 नवंबर 2020 को यह बढ़कर भोपाल में 239, इंदौर 280, और ग्वालियर में 401 था, जो खराब से बेहद खराब स्तर था। 

ऐसे करें ग्रीन पटाखे की पहचान

इनकी कीमत परंपरागत पटाखों की तुलना में थोड़ी ज्यादा होती है जैसे पांच अनार का सामान्य पैकेट लेंगे तो यह 120 रुपए तक आएगा, लेकिन ग्रीन पटाखों का पैकेट 150 रुपए तक आएगा। इन्हें पहचानने का दूसरा तरीका है कि ग्रीन पटाखों के ऊपर ग्रीन क्रेकर्स अलग से लिखा हुआ होगा। एक हरा निशान रहेगा। ग्रीन क्रेकर्स लिखा देखकर ही इन्हें खरीदें।

नीरी ऐप से करें पहचान

ग्रीन पटाखे से करीब 20% तक पर्टिकुलेट मैटर निकलता है, जबकि 10% गैस उत्सर्जित होती है। ग्रीन पटाखों के बॉक्स पर एक QR कोड भी बना होता है। जिसे आप नीरी नाम के एप से स्कैन करके पहचान कर सकते हैं।

हानिकारक रसायन नहीं होते

ग्रीन पटाखों में प्रदूषण को बढ़ावा देने वाले हानिकारक रसायन नहीं होते हैं। इनमें एल्युमिनियम, बैरियम, पोटेशियम नाइट्रेट और कार्बन का प्रयोग नहीं होता है। ग्रीन पटाखों की कैटेगरी में फुलझड़ी, फ्लॉवर पॉट, स्काई-शॉट जैसे पटाखे मिलते हैं।

ग्रीन पटाखों की खासियत

  • अधिकतम 110 से 125 डेसिबल ध्वनि प्रदूषण।

  • वायु प्रदूषण कम होता है। 
  • ये साइज में छोटे होते हैं।
  • इसलिए जरूरी किए

    • सर्दी (cold) में एयर क्वालिटी इंडेक्स को खराब नहीं करते।
    • प्रदूषण से इम्युनिटी कमजोर नहीं होती है। 
    • सांस लेने में दिक्कत नहीं होती।

    सामान्य पटाखों से ये खतरा

    • ध्वनि और वायु प्रदूषण बढ़ाते हैं।
    • हार्ट डिसीज या अस्थमा से पीड़ित मरीजों के लिए जानलेवा।
    • पटाखों से बाहर निकलने वाले पर्टिकुलेट मैटर फेफड़ों में फंस जाते हैं।

    1 नवंबर को प्रमुख शहरों का AQI 

    भोपालः 215
    इंदौरः  222
    जबलपुरः  156
    ग्वालियरः 157
    उज्जैनः 195
    सागरः  314

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