भोपाल. इसी साल के आखिर में गुजरात और हिमाचल प्रदेश में चुनाव होने हैं। यदि जम्मू कश्मीर में भी चुनाव होता है तो तीन राज्य हो जाएंगे। 2023 का साल चुनाव के लिहाज से अहम साल है। मप्र, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना और कर्नाटक जैसे 5 बड़े राज्यों के साथ कुल 9 राज्यों में चुनाव होंगे। जाहिर है कि अब इन राज्यों में चुनाव की बिसात बिछना अभी से शुरू होगी। बेशक 40 साल पुरानी पार्टी बीजेपी ने 4 राज्यों में जीत दर्ज की है लेकिन 10 साल पुरानी आम आदमी पार्टी ने बेहद कम समय में दिल्ली के बाद पंजाब में अपनी मौजूदगी दर्ज करवाई है।
झाड़ू के हाथ में पंजाब की बागडोर: पंजाब में जिस तरीके से बदलाव की आंधी ने सारे समीकरण धो दिए, उसने राजनीतिक पंडितों को आम आदमी पार्टी को लेकर नए सिरे से सोचने पर मजबूर कर दिया है। यकीनन ये पंजाब के लोगों का जनमत है लेकिन उन्होंने आम आदमी पार्टी को क्यों चुना तो जानकारों की राय में पंजाब के लोग पिछले कई सालों से कांग्रेस और अकाली दल से उब गए थे, जो बदल बदलकर बीते कई सालों से सरकार बना रहे थे। नया कुछ था नहीं, और इसी मानसिकता ने झाड़ू के हाथ में पंजाब की बागडोर दे दी। शुरुआती तौर पर आम आदमी पार्टी ने पंजाब में दिल्ली में किए गए अच्छे स्कूल, अस्पताल और मुफ्त बिजली के मुद्दों पर चुनाव लड़ा लेकिन धीरे-धीरे बदलाव की हवा ऐसी चली कि आम आदमी पार्टी ने भी रणनीति बदलते हुए लोगों से एक मौका मांगा। पंजाब के लोगों ने ये मौका उसे दे दिया। आप की जीत में पांच अहम फैक्टर रहे-
1. कांग्रेस से नाराज लोगों का वोट आप को मिला, अकाली को नहीं।
2. आप ने जट्टसिख कम्युनिटी से आने वाले भगवंत मान को सीएम कैंडिडेट का चेहरा बनाया।
3. कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई का आप को फायदा मिला।
4. लोगों ने किसान संगठनों और डेरा फैक्टर को तवज्जो नहीं दी
5. दिल्ली से पंजाब की नजदीकियां, दिल्ली में किए काम को नजदीक से देखा