लखनऊ. हसरत जयपुरी, फिराक गोरखपुरी, मजरूह सुल्तानपुरी, शकील बदायूंनी, साहिर लुधियानवी, नक्श लायलपुरी...इन तमाम शायरों के नाम में इनका उपनाम (Title) अहम होता है। ये शायर की पहचान बताता है। दरअसल, यही शायर का पूरा नाम बन जाता है। इस समय जिलों, स्टेशन, हॉलों के नाम बदलने के कवायद चल रही है। इसमें यूपी सरकार एक कदम आगे निकल गई। उसने तो शायरों के नाम ही बदल दिए। और किया भी क्या...जिन शायरों के नाम में इलाहाबादी लगता था, उनके नाम में प्रयागराजी जोड़ दिया गया। योगी सरकार ने इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज कर दिया था।अब अकबर इलाहाबादी (Akbar Allahabadi) का नाम अकबर प्रयागराजी कर दिया गया है। ये तो बस बानगी है। तेग इलाहाबादी और राशिद इलाहाबादी जैसे शायरों के नाम भी बदले जा चुके हैं। उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग ने शायरों के नाम के आगे लगे टाइटल को बदलने के लिए अबाउट इलाहाबाद वाले कॉलम में प्रयागराजी कर दिया है। आयोग की ऑफिशियल वेबसाइट पर भी नाम बदल दिए गए। इसकी आलोचना शुरू होने के बाद आयोग के अध्यक्ष ईश्वर शरण विश्वकर्मा ने पूरे मामले से खुद को अनजान बताया।
इलाहाबाद के इतिहास में बदल दी पहचान
एक अखबार के मुताबिक, उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग (Higher Education Service Commission) ने अपनी ऑफिशियल वेबसाइट uphesc.org के 'अबाउट अस' कॉलम में अबाउट इलाहाबाद सब कॉलम दे रखा है। इसे क्लिक करने पर एक पेज खुलता है। जिसमें एबाउट इलाहाबाद लिखा है। उस पर क्लिक करने पर एक पेज खुलता है। इसमें प्रयागराज का इतिहास लिखा गया है। इसमें जहां हिंदी साहित्य का इतिहास लिखा गया है, उसमें अकबर इलाहाबादी को अकबर प्रयागराजी लिख दिया गया है। इसके अलावा तेज इलाहाबादी को तेग प्रयागराजी और राशिद इलाहाबादी को राशिद प्रयागराजी लिखा गया है।
‘यह तो इतिहास को मिटाने जैसा’
उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग के इस बदलाव की साहित्य जगह में कड़ी आलोचना हो रही है। सोशल मीडिया पर आयोग का यह पेज खूब शेयर हो रहा है। मशहूर कथाकार राजेंद्र कुमार भी आयोग के इस बदलाव को मूर्खता करार दे रहे हैं। राजेंद्र कुमार कहते हैं कि नाम तो शहर का बदला गया है। अगर कोई कालजयी साहित्यकार अपने नाम के आगे इलाहाबादी लिखता रहा है और वही उसकी पहचान हो गई हो तो उसे कैसे बदला जा सकता है? यह तो इतिहास को मिटाने जैसा काम है। आयोग को इसे तुरंत ठीक करना चाहिए।
मशहूर शायर श्लेष गौतम कहते हैं कि अकबर इलाहाबादी को अकबर प्रयागराजी लिखना गलत हैं। अकबर इलाहाबादी ही उनकी पहचान है। भले ही बाद में इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज किया गया हो, पर इतने बड़े शायर के नाम से आप कैसे छेड़छाड़ कर सकते हैं।
जानें, कौन थे ये शायर
अकबर इलाहाबादी: अकबर इलाहाबादी का जन्म 16 नवंबर 1846 में बारा के एक परिवार में हुआ था। उनका बचपन का नाम सैयद अकबर हुसैन था। उनके पिता का नाम सैयद तफ्फजुल हुसैन था। शायरी की दुनिया में लोग उन्हें अकबर इलाहाबादी के नाम से जानते हैं। उनकी प्रमुख रचनाएं आज भी लोगों की जुबान पर रहती हैं। हंगामा है क्यों बरपा, दुनिया में हूं दुनिया का तलबगार नहीं हूं जैसी कालजयी शेर लिखने वाले अकबर इलाहाबादी आज भी लोगों के जेहन में जिंदा हैं।
तेग इलाहाबादी: तेग इलाहाबादी का असली नाम मुस्तफा जैदी था। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले तेग विभाजन से पहले तक यहीं रहे और विभाजन के बाद पाकिस्तान चले गए। कराची में बैठकर शायरी करने वाले 'तेग' अपने नाम के आगे 'इलाहाबादी' होने की स्मृति को कभी नहीं भूल पाए।
राशिद इलाहाबादी: राशिद इलाहाबादी का जन्म जनवरी 1944 को इलाहाबाद के लाल गोपालगंज के रावन में हुआ था। उनकी रचनाएं भारतीय और विदेशी पत्रिकाओं में प्रकाशित होती हैं। उनके कविता संग्रह 'मुट्ठी में आफताब' को UP उर्दू अकादमी द्वारा सम्मानित किया गया है।
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