बनारस: विश्वनाथ मंदिर का 286 साल बाद पुनरुद्धार, जानें बाबा धाम की 600 साल की हिस्ट्री

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बनारस: विश्वनाथ मंदिर का 286 साल बाद पुनरुद्धार, जानें बाबा धाम की 600 साल की हिस्ट्री

वाराणसी. प्रधानमंत्री नरेंद मोदी (PM Narendra Modi) 13 दिसंबर को काशी विश्वनाथ धाम कॉरीडोर (Kashi Vishwanath Dham Corridor) का लोकार्पण करने वाले हैं। प्रधानमंत्री के इस ड्रीम प्रोजेक्ट पर लंबे समय काम हो रहा था और करीब 32 महीने में बाबा विश्वनाथ के पूरे परिसर का कायाकल्प हो गया। अब बाबा विश्वनाथ मंदिर का विस्तार गंगा तट तक है। काशी में बाबा विश्वनाथ के दर्शन से पहले गंगा स्नान या फिर आचमन की मान्यता है। अब श्रद्धालु गंगा स्नान कर गंगा जल लेकर सीधे बाबा विश्वनाथ के दर्शन कर सकेंगे। सब कुछ मंदिर प्रांगण में ही होगा।

क्या है काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास

वाराणसी में विश्वनाथ मंदिर के निर्माण और पुनर्निमाण को लेकर कई धारणाएं हैं। इतिहासकारों के मुताबिक, विश्वनाथ मंदिर का निर्माण अकबर के नौरत्नों में से एक राजा टोडरमल (Raja Todarmal) ने कराया था। काशी विद्यापीठ में इतिहास के प्रोफेसर रहे डॉ. राजीव द्विवेदी ने BBC को बताया, 'विश्वनाथ मंदिर का निर्माण राजा टोडरमल ने कराया था, इसके ऐतिहासिक प्रमाण मिलते हैं। टोडरमल ने इस तरह के कई और निर्माण भी कराए थे। यह काम उन्होंने अकबर (1556-1605) के आदेश से कराया, इसकी ऐतिहासिक रूप से पुष्टि नहीं होती। अकबर के दरबार में टोडरमल की हैसियत ऐसी थी कि इस काम के लिए उन्हें अकबर के आदेश की जरूरत नहीं थी।'

कहा जाता है कि करीब सौ साल बाद औरंगजेब (1659-1707) ने इस मंदिर को ध्वस्त करा दिया था और करीब 125 साल तक यहां कोई विश्वनाथ मंदिर नहीं था। 1735 में इंदौर की महारानी देवी अहिल्याबाई ने काशी विश्वनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण कराया। 286 साल बाद इस मंदिर को नए अवतार में दुनिया के सामने प्रस्तुत किया जा रहा है। 2,000 वर्ग मीटर में फैले मंदिर के दर्शन के लिए लोगों तंग गलियों से होकर आना पड़ता था। अब भव्य कॉरिडोर के लोकार्पण के बाद लोग आसानी से बाबा विश्वनाथ के दर्शन कर सकेंगे।

विश्वनाथ धाम की खास बातें

  • करीब सवा 5 लाख स्क्वेयर फीट में बना काशी विश्वनाथ धाम बनकर पूरी तरह तैयार है। इस कॉरिडोर में छोटी-बड़ी 23 इमारतें और 27 मंदिर हैं। अब काशी विश्वनाथ आने वाले श्रद्धालुओं को गलियों और तंग संकरे रास्तों से नहीं गुजरना पड़ेगा। 

  • इस पूरे कॉरिडोर को करीब 50,000 वर्गमीटर के एक बड़े परिसर में बनाया गया है। 
  • कॉरिडोर को 3 भागों में बांटा गया है। इसमें 4 बड़े-बड़े गेट और प्रदक्षिणा पथ पर संगमरमर के 22 शिलालेख लगाए गए हैं। इनमें काशी की महिमा का वर्णन किया गया है। इसके अलावा कॉरिडोर में मंदिर चौक, मुमुक्षु भवन, 3 यात्री सुविधा केंद्र, 4 शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, मल्टीपर्पज हॉल, सिटी म्यूजियम, वाराणसी गैलरी जैसी सुख-सुविधाओं की भी व्यवस्था है।
  • विश्वनाथ मंदिर का महत्व 

    काशी को सबसे पवित्र शहरों में से एक माना जाता है। मान्यता है कि भगवान विश्वनाथ यहां ब्रह्मांड के स्वामी के रूप में निवास करते हैं। काशी विश्वनाथ मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है। ये ज्योतिर्लिंग गंगा नदी के पश्चिम घाट पर स्थित है। काशी को भगवान शिव और माता पार्वती का सबसे प्रिय स्थान माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, काशी में बाबा विश्वनाथ के दर्शन मात्र से ही पापों से मुक्ति मिल जाती है और मृत्यु के पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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