प्रयागराज. मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी के निर्देश पर महंत नरेंद्र गिरि के शव का पोस्टमॉर्टम 5 डॉक्टरों की टीम ने किया। यह करीब दो घंटे चला। इसकी वीडियोग्राफी भी की गई। पोस्टमॉर्टम के मुताबिक, नरेंद्र गिरि की मौत दम घुटने से हुई। पोस्टमॉर्टम के बाद दिवंगत संत के पार्थिव शरीर को पहले संगम ले जाया गया, बाद में हनुमान मंदिर होते हुए अंत में उनको बाघंबरी मठ में भू-समाधि दी गई। बताया गया है कि 10-12 फीट का गड्ढा खोदकर नरेंद्र गिरि को भू-समाधि दी गई है। उनको इसमें शवासन की मुद्रा में लेटाया गया है। उनके शिष्य बलवीर गिरी ने उनकी सारी अंतिम क्रियाएं की है। इस बीच, मौत के बाद पहली बार मीडिया के सामने आए बलवीर गिरि ने कहा कि जिनकी वजह से यह घटना हुई है उन्हें छोड़ा नहीं जाएगा।
नींबू के पेड़ के नीचे समाधि बनाने की इच्छा जाहिर की थी
नरेंद्र गिरि की अंतिम इच्छा थी कि उनकी समाधि बाघंबरी मठ में नींबू के पेड़ के पास दी जाए। यह बात उन्होंने अपने सुसाइड नोट में भी लिखी है। महंत नरेंद्र का 20 सितंबर को मठ के कमरे में फंदे से शव लटका मिला था। शव के पास ही कई पेज का वसीयतनुमा सुसाइड नोट मिला था। मामले में आनंद गिरि समेत छह लोगों को गिरफ्तार किया गया है। जांच SIT को सौंपी गयी है।
6 पेज के सुसाइड नोट में 41 बार कटिंग
महंत नरेंद्र गिरि का कथित सुसाइड नोट छह पेज का है, जिस पर कुल 41 बार कटिंग की गई है। इनमें शब्दों के साथ ही तारीख में की गई कटिंग भी शामिल है। इसमें जो भी बातें लिखी गईं, उसका कई पन्नों पर रिपीटिशन भी है यानी वे बातें-बातें कई बार लिखी गई हैं। सबसे ध्यान देने वाली बात यह है कि इसमें महंत शब्द दो अलग-अलग तरीके से लिखा है। कई जगह महंत लिखा गया है तो एक जगह पूरे शब्द की जगह सिर्फ म शब्द का प्रयोग किया गया है।
बलवीर गिरि हो सकते हैं बाघंबरी मठ के महंत
महंत नरेंद्र गिरि की मौत के बाद अब उनके उत्तराधिकार को लेकर बहस छिड़ गई है। उनकी मौत के बाद अखिल भारतीय अख्राड़ा परिषद अध्यक्ष समेत चार अहम पद रिक्त हो गए हैं। अब उनके बाद इन पदों पर किसकी ताजपोशी होगी, इसे लेकर कयास लगना शुरू हो गए हैं। हालांकि, सुसाइड नोट को आधार माना जाए तो हरिद्वार में रह रहे बलवीर गिरि मठ बाघंबरी गद्दी के महंत होंगे। बाघंबरी गद्दी मठ के अगले महंत को लेकर अंदरखाने कश्मकश तेज हो गई है। आनंद गिरि से विवाद के समय ही महंत नरेंद्र गिरि ने साफ कर दिया था कि बाघंबरी मठ और निरंजनी अखाड़ा दोनों अलग-अलग संस्थाएं हैं। बाघंबरी मठ उनकी अपनी संपत्ति है और वह उनके नाम से अभिलेखों में दर्ज है।
क्या बोले बलवीर?
बलवीर गिरि ने दावा किया है कि सुसाइड नोट में महंत नरेंद्र गिरि की ही हैंड राइटिंग है। उन्होंने कहा कि मैंने जो राइटिंग देखी है, वे गुरुदेव के हाथ के अक्षर हैं। उनका कहना है कि नरेंद्र गिरि ने कभी उनसे कोई परेशानी साझा नहीं की। बलवीर गिरि ने कहा कि गुरु जहर पी जाता है। शिष्य का कर्म होता है कि उनके आचरण का अनुसरण करे। उन्होंने कहा कि नई जिम्मेदारी के लिए वे हमेशा से तैयार हैं।
अंतिम इच्छा के अनुसार विदाई
गिरी ने अपने सुसाइड नोट में यह इच्छा जताई थी कि उन्हें बाघंबरी मठ में ही उनके गुरु की समाधि के पास भू-समाधि दी जाए। उनके निर्देश के अनुसार दिवंगत महंत का अंतिम संस्कार बाघंबरी मठ में नींबू के नीचे उन्हें समाधि देकर किया गया। समाधि स्थल पर नमक के बोरे बिछाए गए थे। समाधि से पहले नरेंद्र गिरी के कपड़े बदले गए, जिसके लिए स्थल को चारों तरफ से कपड़े से ढक दिया गया था। फिर शास्त्र विधि के अनुसार महंत के शरीर का श्रृंगार किया गया। इसके बाद समाधि की प्रक्रिया पूरी की गई। मौके पर मौजूद तमाम संतों ने वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी।