BENGALURU. आज यानी शनिवार को शरद पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण लगने वाला है। इससे एक दिन पहले शुक्रवार (27 अक्टूबर) को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने जानकारी दी है कि 23 अगस्त, 2023 को चंद्रयान -3 लैंडर मॉड्यूल विक्रम जैसे ही नीचे आया तो उसने करीब 2.06 टन लूनर एपिरेगोलिथ यानी चंद्रमा की धूल को उड़ाया था। इससे वहां चमकदार आभामंडल बन गया था। लैंडिंग पॉइंट (शिव शक्ति बिंदु) पर उठा यह धूल का गुबार करीब 108.4 वर्ग मीटर के हिस्से में फैल गया था। इसको लेकर इसरो ने X (पहले ट्विटर) पर एक डॉक्यूमेंट भी शेयर किया है, जिसमें कहा है कि साइंटिस्ट ने चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर हाई-रेजॉल्यूशन कैमरे से लैंडिंग के पहले और बाद की हाई-रिजॉल्यूशन पंचक्रोमैटिक इमेजरी की तुलना की, जिसमें यह इजेक्टा हेलो लैंडर के चारों ओर एक चमकीले पैच के रूप में दिखा।
कैसे लगाया पता कि धूल उड़ी?
इसरो ने कहा "हमने चंद्रयान -2 के ऑर्बिटर हाई-रिजोल्यूशन कैमरा से लैंडिंग से पहले और बाद की उच्च-रिजोल्यूशन पंचक्रोमैटिक इमेजरी की तुलना की। यह लैंडिंग से कुछ घंटे पहले और बाद में हासिल की गई। इसमें लैंडर के चारों ओर एक अनियमित चमकीले पैच के रूप में 'इजेक्टा हेलो' की विशेषता दिखाई देती है। मालूम हो, भारत के चंद्रयान-3 मिशन के जरिए चंद्रमा पर भेजा गया विक्रम लैंडर 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरा था। इसके बाद रोवर प्रज्ञान ने चंद्रमा के सतह पर तापमान, खनिज से जुड़ी जानकारियां भेजी थीं।
चांद पर भारत का यह तीसरा मिशन था चंद्रयान-3
2008 में चंद्रयान-1 को लॉन्च किया गया था। इसमें एक प्रोब की क्रैश लैंडिंग कराई गई थी, जिसमें चांद पर पानी के बारे में पता चला। फिर 2019 में चंद्रयान-2 चांद के करीब पहुंचा, लेकिन लैंड नहीं कर पाया। 23 अगस्त 2023 को चंद्रयान-3 चांद पर लैंड कर गया। चांद पर सकुशल पहुंचने का संदेश भी चंद्रयान-3 ने भेजा। कहा- 'मैं अपनी मंजिल पर पहुंच गया हूं।'
क्या विक्रम और प्रज्ञान हमेशा के लिए सो गए?
चांद पर उतरे विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को लगभग दो महीने होने वाले हैं, लेकिन दोनों ने ही स्लीप मोड से वापस जागने का अभी तक कोई सिग्नल नहीं भेजा है। ऐसे में यह सवाल सभी के मन में है कि क्या विक्रम और प्रज्ञान हमेशा के लिए सो गए हैं? इन्होंने अब तक क्या-क्या हासिल किया और क्या बचा। इस पोजिशन में चंद्रयान-3 को पूरी तरह कामयाब कहेंगे या नहीं?