Bengaluru. चंद्रयान-3 से भारत की उम्मीदें और बढ़ गई हैं। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर के साथ फिर से संपर्क स्थापित करने में जुट गया है। लैंडर और रोवर को पिछले पंद्रह दिनों से स्लीप मोड में रखा गया है। इसरो ने बताया, चंद्रमा के दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र में चंद्रयान-3 लैंडिंग साइट पर सूर्योदय हो गया है और वे बैटरी के रिचार्ज होने का इंतजार कर रहे हैं। उन्हें विक्रम लैंडर और प्रज्ञान के साथ फिर से संचार स्थापित होने की उम्मीद है। ऐसे में चांद पर फिर शोध शुरू होने की संभावना है।
एक महत्वपूर्ण क्षण
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसरो ने कहा, चंद्र मिशन के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है, क्योंकि यह लैंडर और रोवर को अपना काम जारी रखने लिए आवश्यक गर्मी प्रदान करेगा। इसरो ने कहा है कि वे 22 सितंबर को संचार प्रयासों को शुरू करने से पहले तापमान के एक निश्चित स्तर से ऊपर बढ़ने का इंतजार करेंगे।
क्या है चंद्र मिशन का उद्देश्य
14 जुलाई, 2023 को लॉन्च किया गया चंद्रयान-3 मिशन पहले ही महत्वपूर्ण मील के पत्थर हासिल कर चुका है। इसने भारत को चंद्रमा पर सफलतापूर्वक उतरने वाले चौथे देश और चंद्र के दक्षिणी ध्रुव के पास ऐसा करने वाला पहला देश बनाया। मिशन का प्राथमिक उद्देश्य इस वैज्ञानिक रूप से पेचीदा क्षेत्र का पता लगाना है। माना जाता है कि इसमें पर्याप्त मात्रा में जमा हुआ पानी है।
अब तक क्या खोजा गया चांद पर
विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर 23 अगस्त को अपनी लैंडिंग के बाद से विभिन्न शोध कर रहे हैं। उन्होंने चंद्रमा के आयनमंडल में इलेक्ट्रॉन घनत्व को मापा है और चंद्र सतह का तापमान रीडिंग लिया है। प्रज्ञान रोवर ने चंद्रमा की सतह पर विक्रम लैंडर की पहली फोटो भी ली। हालांकि, चंद्रमा पर रात होने से परिचालन को रोक दिया, सौर ऊर्जा से चलने वाले वाहनों की बैटरी सूर्य के प्रकाश की अनुपस्थिति में अपने सिस्टम को चालू रखने के लिए पर्याप्त शक्तिशाली नहीं थीं। चंद्रमा की सुबह के साथ इसरो को उम्मीद है कि यदि इलेक्ट्रॉनिक्स सर्द रात में जीवित रहने में सक्षम होते हैं तो मिशन अपने अभूतपूर्व अन्वेषण को फिर से शुरू कर सकता है।