भोपाल. कश्मीरी पंडितों को दोबारा बसाने का मुद्दा चर्चा में है। गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा (Narottam mishra) ने वादा किया है कि अगर कश्मीरी पंडित घर वापस लौटना चाहते हैं तो मध्यप्रदेश सरकार वापसी में पूरी मदद करेगी। साथ ही भेजने की व्यवस्था की जाएगी। मिश्रा ने कहा कि द कश्मीर फाइल्स फिल्म नहीं देखने की बात कहने वाले कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा से निवेदन है कि वह मध्य प्रदेश में रह रहें, उन कश्मीरी पंडितों (Kashmiri pandit) की सूची उपलब्ध करा दें जो वापस जाना चाहते हैं। इस बयान का स्वागत करते हुए राज्यसभा सांसद विवेक तनखा ने कहा कि अगर वाकई में कश्मीरी पंडितों की भलाई चाहते हैं तो प्राइवेट मेंबर बिल (Private Bill) को सपोर्ट करें।
द कश्मीर फाइल्स फिल्म नहीं देखने की बात कहने वाले कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा जी से निवेदन है कि वह #MadhyaPradesh में रह रहे उन कश्मीरी पंडितों की सूची उपलब्ध करा दें जो वापस जाना चाहते हैं।#TheKashmirFiles @VTankha pic.twitter.com/AMkm4qomPt
— Dr Narottam Mishra (@drnarottammisra) March 28, 2022
वापसी मुश्किल नहीं, बसाना मुश्किल है: तनखा ने कहा कि मैं अपने भाई को बताना चाहता हूं कि समस्या वापस जाने की नहीं है। समस्या उनकी सुरक्षा की है। समस्या है उनके जॉब्स की, वह लौटकर करेंगे क्या? उनकी संपत्ति जो डिस्ट्रेस सेल में चली गई है, उसका मुआवजा कैसे मिलेगा या संपत्ति वापस कैसे मिलेगी? लौटने पर क्या उन्हें विधानसभा में प्रतिनिधित्व मिलेगा? कश्मीरी पंडितों के स्मारकों, मंदिरों की देखरेख की समस्या है, कौन उनकी सुरक्षा करेगा? इन मुद्दों को लेकर मैं एक प्राइवेट बिल ला रहा हूं। यह बिल कानून बन जाएगा तो कश्मीरी पंडित खुद ही घर लौट जाएंगे।
#MadhyaPradesh में रह रहे #KashmiriPandits भाई-बहन अगर वापस कश्मीर जाना चाहते हैं तो वह गृह विभाग को सूचित करें।
सरकार उनकी वापसी सुनिश्चित कराने के साथ-साथ भेजने की व्यवस्था भी करेगी।@mohdept pic.twitter.com/gwpaNXiMSQ
— Dr Narottam Mishra (@drnarottammisra) March 28, 2022
दिग्विजय सिंह पर साधा निशाना: गृहमंत्री नरोत्तम ने पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि कोर्ट से सजा होने के बाद दिग्विजय सिंह खुद को फंसाने की बात कहकर संघ और बीजेपी का नाम ले रहे हैं। अगर उनका नाम बाद में जोड़ा गया तो पहले क्यों नहीं कहा? दिग्विजय सिंह ऐसे अविश्वसनीय व्यक्ति है, जिन्हें सजा होने के बाद न्यायपालिका पर, चुनाव हारने पर चुनाव आयोग पर भरोसा नहीं रहता। लोकतंत्र की इससे बड़ी विडंबना क्या होगी कि मध्यप्रदेश का बंटाधार करने वाले दिग्विजय सिंह बिजली समस्या पर जनता की राय मांग रहे हैं। फर्क इतना ही है कि दिग्विजय सरकार के समय बिजली कभी-कभी ही आती थी और बीजेपी सरकार के समय बिजली कभी-कभी ही जाती है।