चंडीगढ़. फरवरी में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले पंजाब में बड़ा फेरबदल देखने को मिला है। पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी(Charanjit singh Channi) ने सूबे के नए पुलिस महानिदेशक यानि DGP के नाम पर मुहर लगा दी है। वीके भावरा(VK Bhawra) पंजाब के नए DGP होंगे। अब उनकी अगुवाई में ही पंजाब पुलिस आगामी विधानसभा चुनाव(Punjab assembly election) में सुरक्षा व्यवस्था संभालेंगी।
कौन हैं वीके भावरा: वीके भावरा 1987 बैच के IPS अफसर हैं। 2019 के विधानसभा चुनाव के समय वो ADGP रहे हैं। उनके रिटायरमेंट में मात्र 9 महीने बचे हैं।
पीएम की सुरक्षा में चूक, अफसरों को पड़ी भारी: पंजाब के कार्यवाहक DGP सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय(Siddharth Chattopadhyay) और फिरोजपुर के SSP हरमनदीप(SSP Harmandeep) प्रधानमंत्री के फिरोजपुर(Ferozepur) दौरे के समय हुई सुरक्षा चूक को लेकर सवालों के घेरे में थे। प्रधानमंत्री का काफिला करीब 20 मिनट तक फिरोजपुर में एक फ्लाईओवर पर रुका रहा था। केंद्र सरकार की टीम ने भी राज्य की पुलिस पर प्रधानमंत्री के लिए पुख्ता सुरक्षा इंतजाम न करने का आरोप लगाया था। इसलिए चट्टोपाध्याय को कार्यवाहक DGP के पद से हटा दिया गया है। चट्टोपाध्याय के साथ फिरोजपुर के SSP हरमनदीप को भी हटा दिया गया है। उनकी जगह पर नरिंदर भार्गव(Narinder Bhargava)को नया SSP बनाया गया है।
UPSC ने भेजा था 3 अफसरों का पैनल: संघ लोक सेवा आयोग यानि UPSC ने 4 जनवरी को पंजाब में स्थायी DGP के लिए 3 अफसरों के नाम का पैनल भेजा था। सूत्रों की मानें, तो 6 और 7 जनवरी की रात 1 बजे तक CM चन्नी, डिप्टी CM सुखजिंदर रंधावा, मुख्य सचिव अनिरुद्ध तिवारी और गृह विभाग के ACS अनुराग वर्मा के बीच इस मामले पर लंबी चर्चा हुई। इतनी चर्चा के बाद भी DGP के नाम का फैसला नहीं हो पाया था। आखिरकार 8 जनवरी को मुख्यमंत्री चन्नी ने वीके भावरा के नाम की फाइल पर दस्तखत कर दिए।
भावरा के अलावा कौन थे DGP पद के दावेदार: संघ लोक सेवा आयोग यानि UPSC ने 4 जनवरी को पंजाब में स्थायी DGP के लिए 3 अफसरों के नाम का पैनल भेजा था। जिसमें 1987 बैच के IPS दिनकर गुप्ता और वीके भावरा के साथ 1988 बैच के प्रबोध कुमार शामिल थे। दिनकर गुप्ता गृह विभाग को पहले ही लिखकर दे चुके हैं कि वह DGP बनने के इच्छुक नहीं हैं। वहीं, प्रबोध कुमार बेअदबी कांड में असरदार कार्रवाई न कर पाने को लेकर राज्य सरकार के पसंदीदा अफसरों की सूची से पहले ही बाहर थे। दिनकर गुप्ता और प्रबोध कुमार दोनों ने ही केंद्रीय डेपुटेशन पर जाने की इच्छा जताई थी। ऐसे में भावरा ही अकेले दावेदार बचे थे, जो अब राज्य के DGP बन गए हैं।
पिछले DGP पर पंजाब सरकार और UPSC में रार: पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह को CM की कुर्सी से हटाने के बाद चरणजीत चन्नी नए मुख्यमंत्री बने। उन्होंने उस वक्त DGP रहे दिनकर गुप्ता को नहीं हटाया और वे 5 अक्टूबर तक पद पर काम करते रहे। इधर, चन्नी सरकार ने 30 सितंबर को ही 10 अफसरों के नामों की लिस्ट UPSC को भेज दी थी। उस समय दिनकर गुप्ता छुट्टी पर थे। इसके बाद UPSC और राज्य सरकार के बीच विवाद खड़ा हो गया। UPSC का कहना था कि दिनकर गुप्ता(Dinkar Gupta) को 5 अक्टूबर को पद से हटाया गया, उस दिन से ही DGP की पोस्ट खाली मानी जाएगी। इसके हिसाब से ही नए नामों का पैनल भेजा जाना चाहिए। इधर, पंजाब सरकार 30 सितंबर को भेजे गए नामों में से ही DGP पैनल बनाने को कह रही थी। हालांकि UPSC ने पंजाब सरकार की दलील नहीं मानी। पंजाब सरकार ने 5 अक्टूबर को दोबारा नामों का पैनल भेजा। इसी वजह से चट्टोपाध्याय 6 महीने का कार्यकाल बाकी रहने की शर्त को पूरा नहीं कर पाए। वह 31 मार्च 2022 को रिटायर हो रहे हैं।