Delhi. शादी के बाद पति का पत्नी के साथ जबरदस्ती संबंध बनाना अपराध है या नहीं इसको लेकर बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। इस मामले पर हाईकोर्ट के जज एकमत (split Verdict) नहीं थे। दोनों जजों ने इस पर अलग-अलग राय जाहिर की।अब इस कारण इस मामले को तीन जजों की बेंच को सौंप दिया गया है। अब ये तीन जज इस मामले की सुनवाई करेंगे। इसके अलावा वैवाहिक रेप का मामला सुप्रीम कोर्ट में भी जाएगा।
जजों के विचारों में कानून के प्रावधानों को हटाने को लेकर मतभेद
वैवाहिक रेप मामले पर जस्टिस राजीव शकधर और जस्टिस हरिशंकर सुनवाई कर रहे। दोनों की राय में कानून के प्रावधानों को हटाने को लेकर डिफरेंस था। इस वजह से इस मामले को बड़ी बेंच को सौंपा गया। पीठ ने याचिकाकर्ता को अपील करने की छूट दी है। सूत्रों के मुताबिक जज राजीव रेप को अपराध की श्रेणी में रखना चाहते थे। इनका कहना था कि शादी के बाद पत्नी की बिना परमिशन के शारीरिक संबंध बनाने पर पति को सजा होनी चाहिए। लेकिन जस्टिस हरीशंकर इस पर सहमत नहीं थे और बोले की ये गैरकानूनी नहीं।
Marital Rape अपराध हैं या नहीं का फैसला होना था आज
मैरिटल रेप (Marital Rape) अपराध है या नहीं इस पर दिल्ली हाईकोर्ट को 11 मई को अपना निर्णय सुनाना था। केंद्र सरकार ने इस मामले में पहले तरफदारी की लेकिन बाद में उसमें बदलाव की वकालत की। हालांकि 21 फरवरी को सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद ये फैसला सुरक्षित रख लिया था। फरवरी में हुई सुनवाई में सॉलिसिटर जनरल मेहता ने बताया था कि इस मामले में संवैधानिक चुनौतियों की ही नहीं बल्कि सोसाइटी और परिवार पर पड़ने वाले असर पर भी ध्यान देना चाहिए। कानून, समाज, परिवार और संविधान से संबंधित इस मामले में हमें सभी राज्य सरकारों की राय जाननी होगी। ये बहुत ही जरूरी है।
इतनी प्रतिशत महिलाओं को आज भी करना पड़ता है सामना
वैवाहिक रेप को भले ही अपराध नहीं माना जाता हो, लेकिन आज भी कई ऐसी लड़कियां, महिलाएं हैं, जिन्हें इन मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे (NFHS-5) के अनुसार, देश में आज भी 29 फीसदी से अधिक महिलाएं अपने पति के शारीरिक या यौन हिंसा का शिकार होना पड़ता है।
महिला को न करने का है पूरा अधिकार
वैवाहिक रेप पर दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा था कि महिला शादीशुदा हो या नहीं, दोनों के सम्मान में किसी तरह का कोई फर्क नहीं होना चाहिए। इसके अलावा महिला शादीशुदा है या नहीं उसे असहमति से बनाए जाने वाले संबंध को न कहने का पूरा हक है।