भोपाल में ना बही ना खाते, 'सरकार' के इशारे पर 30 शराब दुकानों में चल रहे अवैध अहाते !

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The Sootr CG
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भोपाल में ना बही ना खाते, 'सरकार' के इशारे पर 30 शराब दुकानों में चल रहे अवैध अहाते !

अंकुश मौर्य, BHOPAL. राजधानी भोपाल में सरकार की नाक नीचे अवैध अहाते चल रहे हैं। द सूत्र ने एक दिन पहले इस सनसनीखेज मामले का खुलासा किया था लेकिन सवाल ये है कि आखिरकार किसके इशारे पर ये अवैध अहाते चल रहे हैं। इस मामले की जब द सूत्र ने पड़ताल की तो 'सरकार' का नाम सामने आया। कौन है ये 'सरकार' और अवैध अहातों को लेकर शराब ठेकेदार और अहातों के मैनेजरों का क्या कहना है, द सूत्र की पड़ताल करती रिपोर्ट का दूसरा भाग।



भोपाल में शराब की 90 कंपोजिट दुकानें, जहां मिलती है देशी-विदेशी शराब



भोपाल जिले में शराब की 90 कंपोजिट दुकानें हैं जहां देशी और विदेशी शराब मिलती है। इस बार की शराब नीति में सरकार ने बदलाव किया और सभी दुकानें कंपोजिट कर दी। इन 90 दुकानों में से 60 दुकानों ने बकायदा सरकार को दो फीसदी लाइसेंसी फीस देकर अहाते चलाने की अनुमति मांगी है, लेकिन भोपाल जिले में 30 दुकानों में अवैध तरीके से अहाते संचालित हो रहे हैं।



द सूत्र की पड़ताल में खुलासा



जब द सूत्र ने इस पूरे मामले की पड़ताल की तो खुलासा ये भी हुआ कि ज्यादातर दुकानों के ठेकेदारों ने रेस्टोरेंट के नाम की आड़ में अहाते खोले हुए हैं। इस मामले के बारे में आबकारी विभाग के अधिकारियों को पता है लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होती। अब कार्रवाई क्यों नहीं होती तो द सूत्र को आबकारी विभाग के ही एक सूत्र ने जो कुछ बताया वो चौंकाने वाला है। इस सूत्र का द सूत्र न तो चेहरा दिखा रहा है न ही उसकी पहचान उजागर कर रहा है। इस सूत्र का कहना है कि एक आदमी है जोकि शासन है, सरकार है, नाम नहीं बताऊंगा। बच्चे-बच्चे को पता है भोपाल में किसके अहाते चल रहे हैं। एक्चुली वो अहाते नहीं, वो ढाबे हैं, ये ढाबे किसने खोले ? एक ताकतवर आदमी है वो जो ढाबे चला रहा है, चिकन ढाबे हों या मटन ढाबे हों। आखिरकार ये 'सरकार' हैं कौन ? जिसका आबकारी विभाग के बीच खौफ है। भोपाल में तो पूरी सरकार ही बैठती है। सूत्र ने कहा कि वो 'सरकार' है, प्रशासन नहीं यानी वो नेता है और बहुत पावरफुल है। तो पावरफुल व्यक्ति है कौन ? क्या वो कोई मंत्री है ? क्या कोई विधायक है ? या सत्ता पक्ष का करीबी नेता है ? कौन है वो 'सरकार' यही बड़ा सवाल है।



'सरकार' से बगैर पूछे आबकारी विभाग में पत्ता भी नहीं हिलता



'सरकार' से पूछे बगैर आबकारी विभाग में पत्ता तक नहीं हिलता। अब द सूत्र ने अहाता संचालित करने वाले मैनेजर और ठेकेदारों से बातचीत की। मैनेजरों को पता ही नहीं कि जिस अहाते के वो मैनेजर बने बैठे है उसकी लाइसेंसी फीस ठेकेदार ने जमा ही नहीं की या पता भी है तो मैनेजरों ने ज्यादा कुछ कहने से बचने की कोशिश की।



ठेकेदार ने किए चौंकाने वाले खुलासे



द सूत्र संवाददाता ने एक ठेकेदार से अहाता संचालित करने के इरादे से ही फोन किया और पूछा कि क्या प्रक्रिया होती है और यदि कोई अवैध अहाता है और छापा पड़ गया तो क्या होगा। इसके जवाब में ठेकेदार ने वो चौंकाने वाले खुलासे किए, जिससे सरकार की ताकत और खौफ का पता चलता है। द सूत्र ने इस मामले में एक और ठेकेदार से बात की तो वो अपना ही रोना रोने लगे कि बगैर अहातों के तो मुनाफा ही नहीं है। अब सबके अपने अपने तर्क हैं मगर बगैर बही खातों के सरकार के इशारे पर चल रहे इन अहातों से सरकार को राजस्व के रूप में 6 करोड़ रुपए तो मिल ही नहीं रहे। दूसरी तरफ अहातों से ठेकेदार दोगुनी कमाई यानी 12 करोड़ रुपए कमा रहे हैं। अब ये 12 करोड़ रुपए सरकार के पास पहुंच रहे हैं, यानी 1 करोड़ रुपए महीना वो भी बगैर किसी उठापटक के।


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