DELHI. बीजेपी ने पश्चिम बंगाल के रज्यपाल जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति पद का प्रत्याशी बना कर एक बार फिर चौंका दिया है। ममता बनर्जी का मुकाबला करने की क्षमता और जाट नेता होने की वजह से धनखड़ भाजपा के लिए उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में पहली पसंद बने। इनको प्रत्याशी बनाने के बाद माना जा रहा है कि बीजेपी ने एक तीर से दो निशाने लगाए हैं, एक तरफ तो देश की लगभग 44 फीसदी आबादी यानी कि पिछड़ा वर्ग को साधने की कोशिश की है। तो वहीं दूसरी तरफ मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक को भी बीजेपी ने सबक सिखा दिया हैं.
दूसरी तरफ हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के जाट बीजेपी से नाराज चल रहे हैंं। इनको साधने के लिए धनखड़ तुरूप को इक्का साबित हो सकते हैं। भारतीय जनता पार्टी के इस फैसले से हो सकता है कि कृषि कानूनों के विरोध में जो किसान नाराज थे, उनकी नाराजगी भी खत्म हो जाए।
वहीं केंद्र सरकार पर लगातार हमला बोल रहे मणिपुर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक को भी एक तरीके सबक सिखा दिया गया है। आइए जानते है धनखड़ को मैदान में उतारकर बीजेपी को क्या फायदा होगा?
राजस्थान में कई विस सीटों पर जाटों का दबदबा
राजस्थान में कुल आबादी के करीब के 10% जाट हैं। राज्य में इनकी कुल आबादी करीब डेढ़—दो करोड़ है। राज्य के सीकर, नागौर, हनुमानगढ़, जयपुर, बाड़मेर, जैसलमेर, जोधपुर, बीकानेर, गंगानगर, चूरू समेत बहुत से जिलों में जाटों की काफी अच्छी जनसंख्या है।
राजस्थान में कुल 200 विधानसभा सीटें हैं। विधानसभा चुनाव में औसतन 20 फीसदी विधायक जाट होते हैं। वहीं 30—40 सीटों पर जाट जाति का प्रत्याशी ही चुनाव जीतता है। वहीं पांच लोकसभा सीटों पर भी जाट वोट बैंक काफी मजबूत है। 2023 नवंबर और दिसंबर में विधानसभा का चुनाव होना है। ऐसे में धनखड़ के जरिए भाजपा राजनैतिक फायदा उठाने की पूरी कोशिश करेगी।
हरियाणा में रूठे जाटों को मनाने की कोशिश
जाट समाज की आबादी हरियाणा में 18—20 प्रतिशत है। जिसके चलते राज्य की विधानसभा और लोकसभा सीटों पर जीत हार को जाट समाज का सीधे तौर पर प्रभावित करता है। कृषि कानून के चलते जयादातर जाट समाज के किसान नाराज थे। बीजेपी उम्मीद लगा रही है कि धनखड़ को प्रत्याशी बनाए जाने से जाट समाज की नाराजगी शायद दूर हो जाए।
यूपी में पकड़ मजबूत करने की कवायद
उत्तर प्रदेश में जाट समाज की आबादी 2% है। किसानी से जुड़ा यह 2 फीसदी वर्ग पश्चिमी उत्तर प्रदेश में प्रभावशाली वर्गों में से एक माना जाता है। विधानसभा चुनाव में इस वर्ग को साधने के लिए भाजपा ने पूरी ताकत झौंक दी थी। जिसका भाजपा को फायदा भी मिला। धनखड़ के जरिए 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा इस वर्ग को फिर एक बार साधने की कोशिश कर रही है।
सत्यपाल मलिक को सबक सिखाने की कोशिश
सत्यपाल मलिक जो वर्तमान में मेघालय के गवर्नर हैं, वे बीते तकरीबन दो साल से केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोल रहे हैं। किसान आंदोलन के वक्त भी मलिक किसानों का पक्ष लेते नजर आए थे। जम्मू कश्मीर और गोवा के गवर्नर रहते उन्होंने भ्रष्टाचार को लेकर ऐसी बातें कहीं, जिससे बीजेपी और उसके नेतृत्व की किरकिरी हुई। लेकिन अब बीजेपी के धनखड़ को उपराष्ट्रपति प्रत्याशी बनाने के बाद माना जा रहा है कि मलिक को बीजेपी ने किनारे कर दिया है।