BHOPAL.केरल के कोझीकोड सेशन कोर्ट का एक फैसला इस समय सुर्खियों में है। कोर्ट ने यौन उत्पीड़न के आरोपी को जमानत पर रिहा कर दिया ये कहते हुए कि शिकायतकर्ता महिला ने उत्तेजक कपड़े पहने थे, जिसके सबूत आरोपी ने कोर्ट के सामने पेश किए। महिलाओं के कपड़े हमारे देश में अक्सर बहस का विषय होते हैं। अब कोर्ट के फैसले के बाद सवाल ये है कि ये कौन तय करेगा कि जो कपड़े पहने हैं वो उत्तेजक हैं या नहीं ?
कौन था आरोपी और किसने की थी शिकायत ?
आरोपी का नाम सिविक चंद्रन उर्फ सीवी कुट्टन है, जो एक सामाजिक कार्यकर्ता है। कुट्टन के खिलाफ एक लेखिका ने यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज करवाई थी। इस मामले की सुनवाई करते हुए सेशन कोर्ट ने 12 अगस्त को फैसला सुनाया कि महिला ने उत्तेजक कपड़े पहने थे,इसलिए ये धारा 354-A यानी यौन उत्पीड़न का केस नहीं बनता। अब कोर्ट के इस फैसले के बाद महिला संगठनों में नाराजगी है। केरल की महिला आयोग ने भी आपत्ति दर्ज करवाई है।
मध्यप्रदेश की महिलाओं में भी नाराजगी
सवाल उठाए जा रहे हैं कि ये कौन तय करेगा कि जो कपड़े पहने गए थे वो उत्तेजना पैदा करने वाले कपड़े थे। साथ ही ये भी सवाल भी हैं कि ये कौन तय करेगा कि महिलाएं कैसे कपड़े पहनें। इस मामले में मध्यप्रदेश की महिलाओं की अलग-अलग राय है।
'अविश्वनीय लगने वाली बात है'
महू के अंबेडकर विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति डॉ.आशा शुक्ला का कहना है कि ये अविश्वसनीय लगने वाली बात है लेकिन ये सत्य है। ये टिप्पणी कोर्ट ने की है। इस तरह की टिप्पणी आना कि महिलाएं कैसे कपड़े पहनें। ये कौन बताएगा। यौन उत्पीड़न का कारण केवल कपड़े होते हैं तो दूध पीती बच्चियों के साथ बलात्कार क्यों होता है।
'वेशभूषा को शालीन रखें महिलाएं'
जबलपुर के मानकुंवर बाई कॉलेज की प्रोफेसर डॉ.सुलेखा मिश्रा का कहना है कि महिलाओं को अपने कपड़ों को संतुलित रखना चाहिए। महिलाओं को शालीन रहना चाहिए। हमारा व्यक्तित्व हमारी वेशभूषा से झलकता है। अगर हम वेशभूषा को शालीन रखेंगे तो ऐसी घटनाएं नहीं होंगी।