योगी ने हलाल प्रोडक्ट्स पर लगाए बैन, जानें क्या है हलाल सर्टिफाइड प्रोडक्ट

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The Sootr
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योगी ने हलाल प्रोडक्ट्स पर लगाए बैन, जानें क्या है हलाल सर्टिफाइड प्रोडक्ट

LUCKNOW. यूपी में कुछ कंपनियां हलाल सर्टिफिकेशन के नाम पर धंधा चला रही थी। कंपनियां डेयरी, कपड़ा, चीनी, नमकीन, मसाले, और साबुन इत्यादि जैसे उत्पादों को भी हलाल सर्टिफाइड करके बेच रही थीं। यही नहीं, सर्टिफिकेशन से होने वाली अवैध कमाई से आतंकी संगठनों और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों को भी फंडिंग दिया जा रहा है। बिना किसी अधिकार के तेल, साबुन, टूथपेस्ट, मधु, खान-पान और सौंदर्य प्रसाधन के उत्पादों को अवैध ढंग से 'हलाल सर्टिफिकेट' देने के काले कारोबार पर अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बड़ा फैसला लिया है। मजहब की आड़ लेकर एक धर्म विशेष को बरगलाने और अन्य धर्मों के बीच विद्वेष भड़काने की इस नापाक कोशिश पर अब बैन लग चुका है और जल्द से जल्द इस मामले पर कठोर कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।

क्या है हलाल सर्टिफाइड प्रोडक्ट

वह प्रोडक्ट जो इस्लामी कानून की आवश्यकता को पूरा करते हैं और मुसलमानों के इस्तेमाल करने के लिए उपयोग किए जाते हैं। उन्हें हलाल-सर्टिफाइड प्रोडक्ट कहा जाता है। बता दें कि हलाल एक अरबी शब्द है जिसका अर्थ होता है अनुमति। गौरतलब है कि हलाल सर्टिफिकेशन पहली बार वर्ष 1974 में वध किए गए मांस के लिए शुरू किया गया था। जानकारी के मुताबिक अब तक इससे पहले हलाल सार्टिफिकेशन का कोई रिकॉर्ड सामने नहीं आया है। हलाल मांस का मतलब वह मांस है, जिसे इस्लामी प्रक्रिया की मदद से हासिल किया जाता है। ऐसे में जानवरों के गले की अन्नप्रणाली और गले की नसें को काट कर मारा जाता है। वहीं बात करें वर्ष 1993 की तो तब तक ये सिर्फ मांस तक सीमित न रह कर अन्य उत्पादों पर भी लागू कर दिया गया।

आरोप- आस्था के साथ हो रहा खिलवाड़

शैलेंद्र कुमार ने कहा है कि ये कंपनियां हलाल सर्टिफिकेट अलग-अलग प्रोडक्ट्स के लिए जारी कर रही हैं। इससे प्रदेश के लोगों की आस्था के साथ खिलवाड़ हो रहा है। यूपी में हलाल सर्टिफिकेट देकर एक धर्म विशेष के ग्राहकों को धर्म के नाम से कुछ उत्पादों की ब्रिकी बढ़ाने के लिए आर्थिक फायदा दिया जा रहा है।

साबुन-टूथपेस्ट के लिए दिया जा रहा हलाल सर्टिफिकेट

शैलेंद्र कुमार का कहना है कि जिन कंपनियों ने हलाल सर्टिफिकेट हासिल नहीं किया, उनके उत्पादन की बिक्री को घटाने की कोशिश की जा रही है, जो कि आपराधिक कृत्य है। आशंका है कि इस अनुचित फायदे को समाज और राष्ट्र विरोधी तत्वों को पहुंचाया जा रहा है। साथ ही उन्होंने यो भी कहा कि शाकाहारी प्रोडक्ट्स जैसे तेल, साबुन, टूथपेस्ट, शहद आदि की बिक्री के लिए भी हलाल सर्टिफिकेट दिया जा रहा है, जबकि शाकाहारी वस्तुओं पर ऐसे किसी सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं होती।

कौन देता है हलाल सर्टिफिकेशन?

प्रोडक्ट को आयात करने वाले देशों को भारत में किसी मान्यता प्राप्त निजी संगठन से हलाल प्रमाणपत्र लेना होता है, क्योंकि इस क्षेत्र में कोई सरकारी विनियमन नहीं है। वाणिज्य मंत्रालय ने इस साल की शुरुआत में हलाल प्रमाणीकरण पर एक मसौदा दिशानिर्देश जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि कृषि और प्रोसेस फूड प्रोडक्ट्स को इसकी निगरानी नामित किया जाएगा।

क्यों है इस पर विवाद?

दरअसल, 2022 के अप्रैल महीने में सुप्रीम कोर्ट में वकील विभोर आनंद की ओर से दायर याचिका में हलाल उत्पादों और हलाल प्रमाणीकरण पर बैन लगाने की मांग की गई थी। दावा किया गया था कि इन उत्पादों का उपयोग करने वाली 15% आबादी के लिए 85% नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है।

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