लखनऊ. कोरोना काल में उत्तरप्रदेश के लोगों को लाशें जलाने के लिए लकड़ियां नहीं मिली थी। इसलिए कुछ लोगों ने लाशों को सीधा पानी में बहा दिया था। लेकिन कोरोना काल (Corona period wood for rajbhavan) में जो लकड़ियां नहीं मिली थी, वो अब राजभवन के लिए मिल रही है। इन लकड़ियों से राजभवन में रोजाना अलाव (rajbhavan bonfire controversy) जलाया जा रहा है। इसके लिए लखनऊ के बैकुंठ धाम (Baikunth Dham Lucknow) से रोजाना सात से आठ कुंटल लकड़ियां आती है। इसका खुलासा सांध्य दैनिक समाचार के स्टिंग में हुआ है। हालांकि, नगर निगम के जिम्मेदार अफसरों ने इस बारे में कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया है।
अधजली लकड़ियां भी शामिल: श्मशान घाट से अधजली लकड़ियां भी राजभवन लाई जा रही है। रोजाना निगम के वाहन श्मशान घाट जाते हैं और यहां से लकड़ियां भरकर राजभवन के लिए लाते हैं। इसकी जानकारी निगम के जिम्मेदार अफसरों को भी है, लेकिन इसके बावजूद भी एक्शन नहीं लिया है। जबकि अलाव की लकड़ियों के लिए बाकायदा एक बजट अलॉट होता है। इस बार ये बजट 19.75 करोड़ रुपए हैं। जिसमें से हर तहसील को करीब 5 लाख रुपए मिलते हैं।
लकड़ियों के लिए टेंडर पास नहीं हुआ: राजभवन की लकड़ियों के लिए टेंडर पास होता है। फिर भी जिम्मेदार अफसरों ने इसका टेंडर जारी नहीं किया। राजभवन में श्मशान की लकड़ियों से अलाव की व्यवस्था कर रहे सहजराम ने बताया कि पिछले कई दिनों से यहां से लकड़ियां भेजी जा रही है। गौरतलब है कि कोरोना की दूसरी लहर (Corona second wave) के दौरान लखनऊ के बैकुंठ धाम में शवों को जलाने के लिए लकड़ियां नहीं मिल रही थी। अगर मिलती थी तो बहुत महंगे रेट। इस समय तमाम हेल्थ एक्सपर्ट तीसरी लहर की आशंका जता रहे हैं। फिर भी श्मशान की लकड़ियां राजभवन भेजी जा रही है।