MUMBAI. भारतीय फिल्म सिनेमा से दुख भरी खबर सामने आई है। दिग्गज एक्ट्रेस सुलोचना लाटकर 94 साल की उम्र में दुनिया से अलविदा हो गई हैं। बताया जा रहा है कि सुलोचना लाटकर पिछले कई दिनों से सांस की बीमारी से जूझ रही थीं। जिसके के बाद उन्हें दादर के सुश्रुषा अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। जहां उन्होने रविवार शाम को अंतिम सांस ली। सुलोचना लाटकर के निधन से फिल्म इंडस्ट्री में शोक की लहर है। एक्ट्रेस का अंतिम संस्कार सोमवार सुबह दादर में शिवाजी पार्क शमशान घाट में शाम 5 बजे किया जाएगा।
पीएम नरेंद्र मोदी ने दी श्रद्धांजलि
The passing of Sulochana Ji leaves a big void in the world of Indian cinema. Her unforgettable performances have enriched our culture and have endeared her to people across generations. Her cinematic legacy will live on through her works. Condolences to her family. Om Shanti.
— Narendra Modi (@narendramodi) June 4, 2023
सुलोचना लाटकर के निधन पर पीएम नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर श्रद्धांजलि दी। पीएम मोदी ने लिखा- आपके जाने से इंडियन सिनेमा में एक खालीपन रह गया है। अपनी शानदार परफॉर्मेंस से जिस तरह एक्ट्रेस ने हमारे कल्चर को एनरिच किया है, जेनरेशन्स को दिलचस्प कहानियां दी हैं, वह काबिले-तारीफ रहा। सुलोचना जी की लेगेसी, उनके काम में हमेशा झलकती रहेगी। परिवार को सांत्वना. ओम शांति।
दिग्गज अभिनेताओं के साथ किया काम
सुलोचना को धर्मेंद्र और अमिताभ बच्चन की मां कहा जाता था। दरअसल उन्होंने दोनों सुपरस्टार्स के साथ कई फिल्मों में काम किया है। वह ज्यादातर दोनों की मां के रोल में नजर आई थीं। सुलोचना लाटकर ने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री को कई हिट मूवीज दी हैं। इनमें 'कटी पतंग', 'जॉनी मेरा नाम', 'दिल देके देखो' और 'खून भरी मांग' जैसी फिल्में शामिल रहीं। इसके अलावा एक्ट्रेस कई मराठी फिल्मों में भी दिखीं। कई फिल्मों में अमिताभ बच्चन, धर्मेंद्र और दिलीप कुमार की ऑनस्क्रीन मां के रोल में सुलोचना ने दर्शकों और प्रशंसकों के दिल में जगह बनाई। इनमें 'रेशमा और शेरा', 'मजबूर' और 'मुकद्दर का सिकंदर' जैसी फिल्में शामिल हैं।
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250 हिंदी और 50 मराठी फिल्मों में किया था काम
अपने समय की पॉपुलर एक्ट्रेस रही सुलोचना ने करीब 250 हिंदी और 50 मराठी फिल्मों की हैं। सुलोचना लाटकर को साल 1999 में पद्म श्री अवॉर्ड से नवाजा गया था। इसके अलावा इन्हें फिल्मफेयर का लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड (2004) और महाराष्ट्र भूषण अवॉर्ड (2009) मिल चुका है। सुलोचना ने साल 1988 में फिल्मों में काम करना बंद कर दिया था. पर वह एक्टिंग को काफी मिस करती थीं. उनका कहना था कि वह अगले जन्म में भी एक्ट्रेस बनना चाहती हैं।