NEW DELHI. दुनिया के तीसरे और भारत के सबसे अमीर शख्स गौतम अडानी ने एनडीटीवी का टेकओवर किया है। उनकी ये डील राष्ट्रीय और अतरराष्ट्रीय बाजार में चर्चा का विषय बनी हुई है। चर्चाओं के अनुसार अडानी का मैनेजमेंट ग्रुप अब एनडीटीवी पर भारी रहेगा और न्यूज चैनल को उसी के अनुसार काम करना होगा। इन सब चर्चाओं पर गुरुवार यानी 29 दिसंबर को गौतम अडानी ने विराम लगा दिया। उन्होंने कहा कि एनडीटीवी विश्वसनीय, स्वतंत्र और अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क हमेशा रहेगा। मैनेजमेंट और संपादकीय में हमेशा एक लक्ष्मण रेखा रहेगी। हम चाहें तो इस पर लंबी बहस कर सकते हैं। जैसा कई और कर रहे हैं, लेकिन मेरा कहना है कि वक्त के साथ ये साफ हो जाएगा, इसलिए हमें थोड़ा वक्त दिया जाना चाहिए।
मेरी सफलता के पीछे सिर्फ PM मोदी नहीं- अडानी
अडानी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मैं एक ही प्रदेश से आते हैं, इसलिए मेरी कामयाबी के पीछे पीएम के होने की चर्चाएं होती है, जबकि ऐसा नहीं है। मैं अपने औद्योगिक सफर को चार भागों में बांट सकता हूं। कई लोगों को जानकर आश्चर्य होगा कि मेरा सफर जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे तब शुरू हुआ था। जब राजीवजी ने एग्ज़िम पॉलिसी को बढ़ावा दिया और पहली बार कई चीजें OGL लिस्ट में आई, उसी समय मेरा एक्सपोर्ट हाउस शुरू हुआ। अगर वो न होते तो मेरी शुरुआत ऐसी न होती। दूसरा मौका 1991 में आया, जब नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह ने आर्थिक सुधार शुरू किए। तीसरा मौका 1995 में आया जब केशुभाई पटेल गुजरात के मुख्यमंत्री बने। उनकी दूरदर्शिता और पॉलिसी के बदलाव से मुझे मुंडरा पर अपना पहला पोर्ट बनाने का मौका मिला। चौथा मौका 2001 में आया जब गुजरात में मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने विकास की दिशा दिखाई, उनकी नीतियों से गुजरात में आर्थिक बदलाव के साथ अविकसित क्षेत्रों का भी विकास हुआ। हमारी सफलता किसी एक की वजह से नहीं पर तीन दशकों में कई सरकारों की नीति बदलाव की वजह से है।
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एनडीटीवी में ऐसे बढ़ी अडानी ग्रुप की हिस्सेदारी
अडानी ग्रुप के पास एनडीटीवी की 37.44 फीसदी हिस्सेदारी है। इसके अलावा एनडीटीवी के प्रमोटर प्रणय रॉय और राधिका रॉय ने भी अधिकांश हिस्सेदारी अडानी ग्रुप को ही बेचने का फैसला किया है। दोनों के पास कुल 32.26 फीसदी की हिस्सेदारी है। इसमें से वो 27.26 फीसदी की हिस्सेदारी अडानी ग्रुप को बेचने वाले हैं। इस तरह NDTV में अडानी ग्रुप की हिस्सेदारी 64.71 फीसदी हो जाएगी।
2022 में अडानी विल्मर का आईपीओ हुआ था सफल
गौतम अडानी ने कहा कि हमारे लिए 2022 कई वजहों से खास था। हमारा अडानी विल्मर का आईपीओ सफल रहा और इसके साथ अडानी विल्मर हमारे समूह की सातवीं लिस्टेड कंपनी बन गई है। साथ ही अडानी ग्रुप देश की दूसरी सबसे बड़ी सीमेंट कंपनी बन गई। हमने एसीसी और अंबूजा सीमेंट का 10.5 अरब डॉलर में अधिग्रहण किया। यह ग्रुप का अब तक का सबसे बड़ा अधिग्रहण था। इस डील को हमने रिकॉर्ड तीन महीने में पूरा किया। उन्होंने कहा कि हम बिजनेस मॉडल के तहत कंपनी को शुरू करते हैं, फिर कंपनी को मुनाफे के लायक बनाते हैं। फिर उसे शेयर बाजार में लिस्ट कराते हैं। ये आईपीओ भी उसी का उदाहरण है।
1988 में 5 लाख रुपए से की थी कंपनी की शुरुआत
गौतम अडानी ने साल 1988 में कमोडिटी का एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट करने वाली कंपनी के रूप में अडानी एक्सपोर्ट्स की शुरुआत की थी, जिसका बाद में नाम बदलकर अडानी एंटरप्राइजेज कर दिया गया था। अडानी एक्सपोर्ट्स की स्थापना सिर्फ 5 लाख रुपए की पूंजी से की गई थी। अडानी एंटरप्राइजेज 1994 में शेयर बाजार में लिस्ट हुई थी।
1995 में आई थी कारोबार में तेजी
महज 5 लाख रुपए से अपनी पहली कंपनी शुरू करने वाले अडानी करीब दो दशक में कारोबार जगत के सरताज बने हुए हैं। खासकर पिछले 7 साल में अडानी ग्रुप का कारोबार तेजी से बढ़ा है। साल 1995 का साल गौतम अडानी के लिए बेहद सफल साबित हुआ था, जब उनकी कंपनी को मुंद्रा पोर्ट (Mundra Port) के संचालन का कॉन्ट्रैक्ट मिला।
हमारे लिए सिर्फ रैंकिंग मायने नहीं
अडानी ने कहा कि हमारे लिए रैंकिंग कोई मायने नहीं रखती। यह मीडिया हाइप है। हमने सब कुछ जीरो से खड़ा किया है और इस यात्रा में कई चुनौतियों का सामना किया हैं। हम किसी रैंकिंग में आने के बजाय देश को मजबूत करने में यकीन रखते हैं।