आज लॉन्च हो रहा है आदित्य एल-1, इसमें लगाए गए हैं 7 पेलोड, एक पेलोड का निर्माण किया है उदयपुर के वैज्ञानिकों ने 

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Chandresh Sharma
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आज लॉन्च हो रहा है आदित्य एल-1, इसमें लगाए गए हैं 7 पेलोड, एक पेलोड का निर्माण किया है उदयपुर के वैज्ञानिकों ने 

UDAYPUR. चंद्रयान-3 की सफलता से इसरो बेहद उत्साहित है और अब सूर्य की ओर रुख कर रहा है। आज सुबह 11.50 बजे आदित्य एल-1 को श्री हरिकोटा से सौर मिशन के लिए लॉन्च कर दिया जाएगा। खास बात यह है कि इस मिशन में राजस्थान के विज्ञानियों का भी योगदन है। आदित्य एल-1 में लगाए गए कुल 7 पेलोड में से एक पेलोड उदयपुर और अहमदाबाद के वैज्ञानिकों ने तैयार किया है। आदित्य एल-1 की लॉन्चिंग से फतहसागर झील के बीच में स्थित एशिया की पहली हाईटेक सौर वेधशाला में उत्साह चरम पर है। 



स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज होगा नाम



भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला अहमदाबाद के निदेशक डॉ अनिल भारद्वाज कहते हैं कि उदयपुर सौर वेधशाला, भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला के अधीन ही संचालित होती है। सौर मिशन के साथ अब इस वेधशाला का नाम भी स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हो जाएगा। उदयपुर की वेधशाला में अभी रोजाना 10 घंटे ही सूर्य का अध्ययन किया जाता है। मौसम संबंधी बाधाओं के कारण अनेकों बार ऑब्जर्वेशन बंद करना पड़ता था। आदित्य एल-1 सैटेलाइट की लॉन्चिंग हो जाने के बाद अब 24 घंटे शोधकार्य किया जाएगा। 



SAPEX का नाम दिया पेलोड को



उदयपुर की वेधशाला में बीते 5 दशकों से शोध कार्य चल रहे हैं। यहां के विज्ञानी बताते हैं कि सामान्यतः सूर्य आग के गोले की तरह चमकीला दिखाई देता है, लेकिन उच्च क्षमता वाली विशेष दूरबीनों से देखने पर सूर्य की सतह पर सौर ज्वाला, द्रव्यमान उत्सर्जन भी देखा जा सकता है। सूर्य की इन्हीं गतिविधियों का अध्ययन बीते 5 दशक से वेधशाला के वैज्ञानिक कर रहे हैं। सूर्य के रहस्यों पर अध्ययन करने वाली इस वेधशाला का नाम दुनिया के शीर्ष संस्थानों में शामिल है।



डॉ भारद्वाज ने बताया कि उदयपुर के साइंटिस्ट द्वारा तैयार किए गए पेलोड को आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट का नाम दिया गया है। जो कि आदित्य एल-1 के प्रक्षेपण के 127 दिन बाद सूर्य की हर गतिविधि का 24 घंटे अध्ययन करने में मददगार होगा। आदित्य एल-1 के जरिए सूर्य में होने वाली गतिविधियों की जो जानकारी मिलेगी, उनका अध्ययन सुपर कंप्यूटर से किया जाएगा। वैज्ञानिक जुटाए गए आंकड़ों और चित्रों से सूर्य के चुंबकीय क्षेत्र में होने वाले परिवर्तन, विस्फोट और अंतरिक्ष मौसम पर पड़ने वाले असर के कारणों का अध्ययन करेंगे।  


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