सोने में मिलावट : दो ग्राम सोने की कीमत तुम क्या जानों...

केंद्रीय उपभाेक्ता मंत्रालय ने दाे ग्राम से कम वजन के साेने के गहनाें के लिए हाॅलमार्क अनिवार्य नहीं किया है और इन्हीं गहनाें में तय मात्रा से कम साेना मिलता है।

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Deeksha Nandini Mehra
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सोने में मिलावट
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Adulteration Gold : महिलाओं को सोने की ज्वेलरी ज्यादा पसंद होती है। वो अक्सर पुरानी से पुरानी सोने की ज्वेलरी को संभालकर रखती है। सोने की ज्वेलरी को संभालकर रखने वाली महिलाओं को बड़ा झटका लगा है।

दरअसल, सर्राफा ट्रेडर्स कमेटी की लैब में एक हजार से ज्यादा सोने के आभूषण की जांच की गई। इस दौरान बाजार में दाे ग्राम तक के वजनी गहनों में ज्यादातर गहने बिल्कुल नकली पाए गए। साथ ही सोने के पुराने गहनों में ज्यादा मिलावट पाई गई।

जांच रिपोर्ट में खुलासा 

सर्राफा ट्रेडर्स कमेटी की लैब में जांचे गए आभूषणों में लाैंग, कंगन, चूड़ी, नेकलस, झुमकी, चेन समेत 1040 गहनाें में सोना जीराे प्रतिशत मिला। वहीं बाजार में इनकी काेई कीमत नहीं। 85 फीसदी गहनों में 80 परसेंट से कम साेना था।

30 फीसदी गहने ऐसे थे कि जिनमें साेने की शुद्धता 70 फीसदी तक ही निकली। 10 फीसदी गहनों में 60 फीसदी तक साेना था, जबकि कुछ में ताे साेना 10 फीसदी ही मिला। केवल 15 फीसदी गहने ही ऐसे थे, जिनमें साेना 90 से 100 फीसदी था।

सोने में लौंग की ज्यादा बिक्री 

जांचकर्ताओं ने बताया कि लाैंग जैसे साेने के आइटम सबसे ज्यादा बिकते हैं, इनमें 60 फीसदी तक ही साेना है, जबकि इनकाे 22 कैरेट (91.6% ) साेने का बताकर बेचा जाता है।

आमतौर पर लौंग दो ग्राम से कम वजनी होते हैं। केंद्रीय उपभाेक्ता मंत्रालय ने दाे ग्राम से कम वजन के साेने के गहनाें के लिए हाॅलमार्क अनिवार्य नहीं किया है और इन्हीं गहनाें में तय मात्रा से कम साेना मिलता है।

एक HUID नंबर के गहने

हाॅलमार्क सेंटर संचालकाें के अनुसार फर्स्ट पाइंट हाॅलमार्क यानी निर्माण इकाई के स्तर पर हाॅलमार्किंग की व्यवस्था हाेने के कारण दूसरे राज्याें के शहराें से आ रही हाॅलमार्क गाेल्ड ज्वेलरी पर एक समान HUID नंबर मिले हैं। इससे गहने में साेने की शुद्धता काे लेकर गड़बड़ की आशंका रहती है।

दाे साल पहले हाॅलमार्क लागू हाेने के बाद से बाजार में 14, 18, 20, 22 व 23 कैरेट साेने के हाॅलमार्क गहने बेचने की मंजूरी है। जिन जिलाें में हाॅलमार्क अनिवार्य है, उनमें ज्वैलर तय कैरेट के हिसाब से गाेल्ड ज्वैलरी का काराेबार कर सकते हैं।

इस मामले पर जयपुर सर्राफा ट्रेडर्स कमेटी अध्यक्ष कैलाश मित्तल का कहना है कि ज्वेलर्स केवल हाॅलमार्क ज्वेलरी ही बेचते हैं। पुराने साेने के गहनाें में खाेट ज्यादा मिली है, क्योंकि उस समय शुद्धता की निगरानी की व्यवस्था नहीं थी।

दाे ग्राम से कम वजनी गहनाें में शुद्धता सबसे कम है। गांव-कस्बाें में 91.6% साेना बताकर 20-30% सोना बेचा जा रहा क्योंकि 21 जिलाें में ही हाॅलमार्क लागू है। गांवों में ज्वैलर्स के पास हाॅलमार्क लाइसेंस नहीं है।

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