सत्ता के केंद्र में आदिवासी... छत्तीसगढ़ के बाद ओडिशा में आदिवासी सीएम बीजेपी की खास रणनीति

2024 के परिणामों पर नजर दौड़ाएं तो पता चलता है कि बीते लोकसभा चुनाव के मुकाबले bjp को नुकसान हुआ है। ST वर्ग के लिए आरक्षित 47 सीटों में से इस बार bjp के खाते में 25 सीटें आई हैं, यानी पिछले चुनाव के मुकाबले 6 सीटें कम हुई हैं। 

Advertisment
author-image
Pratibha ranaa
New Update
ओडिशा में आदिवासी सीएम
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

मोहन चरण मांझी ओडिशा के नए सीएम बन गए हैं। वे आदिवासी समुदाय से आते हैं। यहां भी बीजेपी ने दो डिप्टी सीएम का फॉर्मूला अपनाया है। इससे पहले बीजेपी छत्तीसगढ़ में विष्णु देव साय को मुख्यमंत्री बना चुकी है। वे भी आदिवासी वर्ग से हैं। कुल मिलाकर राज्यों में अब सोशल इंजीनियरिंग पर पार्टियां खूब काम कर रही हैं। समाजों की बहुलता के हिसाब से नेताओं को पद मिल रहे हैं। यह पहली बार है, जब बीजेपी ने दो राज्यों में छह माह के भीतर आदिवासी मुख्यमंत्री बनाए हैं। इससे पहले बीजेपी द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति बनाकर पूरे देश के आदिवासी समुदाय को साध चुकी है। ( देश-दुनिया )

9 फीसदी आबादी आदिवासियों की 

चलिए अब आपको विस्तार से समझाते हैं। क्या है कि 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में 8.9 फीसदी से ज्यादा आबादी आदिवासी वर्ग की है। मिज़ोरम, नगालैंड, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश में राज्य की जनसंख्या में इनकी हिस्सेदारी 40 प्रतिशत से भी ज्यादा है। ऐसे ही मणिपुर, सिक्किम, त्रिपुरा और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में कुल ​आबादी की 30 प्रतिशत जनसंख्या आदिवासी वर्ग की है। यहां से और नीचे बढ़ते हैं तो मध्य प्रदेश, झारखंड और ओडिशा में 20 फीसदी से ​अधिक आदिवासी निवास करते हैं। बीजेपी इसी वजह से अपने वोटबैंक के कुनबे को बढ़ाने में आदिवासियों को रिझाने में जुटी है। 

47 सीटें एसटी के लिए रिजर्व 

राजनीतिक गणित समझें तो देश में लोकसभा की कुल 543 सीटों में से 47 सीटें अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित हैं। पहले माना जाता रहा है कि आदिवासी हमेशा कांग्रेस का साथ देते रहे हैं। आंकड़े देखें तो आदिवासी वोट अब बंट रहे हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव के मुकाबले 2019 में बीजेपी ने अनुसूचित जनजाति यानी एसटी वर्ग के लिए आरक्षित सीटों में अपनी पैठ बेहतर की थी। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में एसटी के लिए आरक्षित 47 लोकसभा सीटों में से बीजेपी को 31 सीटें मिली थी, जबकि कांग्रेस को 4 सीटों से संतोष करना पड़ा था। 12 सीटें क्षेत्रीय दलों के हिस्से में गई थीं। 

2024 में गिरा बीजेपी का प्रदर्शन 

2024 के परिणामों पर नजर दौड़ाएं तो पता चलता है कि बीते लोकसभा चुनाव के मुकाबले बीजेपी को नुकसान हुआ है। एसटी वर्ग के लिए आरक्षित 47 सीटों में से इस बार बीजेपी के खाते में 25 सीटें आई हैं, यानी पिछले चुनाव के मुकाबले 6 सीटें कम हुई हैं। वहीं, कांग्रेस ने आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित 12 सीटें जीती हैं। यानी पिछले चुनाव के मुकाबले इन रिजर्व सीटों को कांग्रेस ने करीब तीन गुना किया है। झारखंड मुक्ति मोर्चा ने तीन सीटों पर कामयाबी पाई है। अब ओडिशा में आदिवासी सीएम बनाने के लिए बीजेपी के फैसले को लोकसभा चुनाव के परिणामों से जोड़कर भी देखा जा रहा है।

अब आदिवासी कैसे सत्ता के केंद्र में हैं ये भी समझ लीजिए...

1. 15 नवंबर, 2023 को मध्यप्रदेश के शिवपुरी जिले के सहरिया आदिवासी भागचंद आदिवासी को पीएम ने पक्के मकान में गृह प्रवेश कराया। दरअसल, जनजातीय समूह (पीवीटीजी) मिशन के तहत बना यह मकान प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महाअभियान यानी पीएम-जन मन योजना का हिस्सा है, जो आदिवासी वोटरों को लुभाने के लिए की मोदी सरकार की योजना का आकर्षण है। 

2. केंद्र सरकार प्रदेश के एकलव्य स्कूलों और वीकेए संचालित संस्थानों के जरिए आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा के स्तर में सुधार लाने पर काम कर रही है।एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों (ईएमआरएस) की संख्या 2013-14 के 119 से बढ़कर अब लगभग 700 हो गई है और यह पार्टी के लिए एक प्रमुख चुनावी हथियार बन गया है। 

3. आदिवासियों को साधने के लिए ही बीजेपी ने मध्यप्रदेश में पेसा कानून लागू किया है। इसी के साथ भोपाल में रेलवे स्टेशन का नाम रानी कमलापति के नाम पर किया गया है। जबलपुर में राजा शंकर शाह, मधुकर शाह की स्मृति में काम हो रहे हैं। ऐसे ही मध्यप्रदेश के बाकी जिलों में भी आदिवासी वर्ग के लिए कई योजनाएं संचालित की जा रही हैं।

ये खबर भी पढ़िए...MP में स्वास्थ्य विभाग में नौकरियों की भरमार, ऐसे बटेंगे 46 हजार 491 नए पद

किस राज्य में कौन आदिवासी नेता बने सीएम जानिए...

झारखंड

  • बाबूलाल मरांडी: नवंबर 2000 से मार्च 2003 तक।
  • शिबू सोरेन: मार्च 2005, अगस्त 2008 से जनवरी 2009, और जून 2009 से जनवरी 2010 तक।
  • हेमंत सोरेन: जुलाई 2013 से दिसंबर 2014, और दिसंबर 2019 से वर्तमान में।
  • अरजन मुंडा: मार्च 2003 से मार्च 2005, सितंबर 2010 से जनवरी 2013।

ओडिशा

  • गिरीधर गमांग: फरवरी 1999 से दिसंबर 1999 तक।
  • हेमलता कोंडा: मई 2009 से मई 2014 तक।

छत्तीसगढ़

  • अजीत जोगी: नवंबर 2000 से दिसंबर 2003 तक। हालांकि जोगी को लेकर हमेशा विवाद रहा। 
  • विष्णु देव साय: जनवरी 2024 से निरंतर...

मध्य प्रदेश

शिवभानु सिंह सोलंकी: 1989 से 1990 तक।

अरुणाचल प्रदेश

गेगोंग अपांग: जनवरी 1980 से जनवरी 1999, और अगस्त 2003 से अप्रैल 2007 तक।

मिजोरम

ललथनहवला: 1984 से 1986, 1989 से 1998, 2008 से 2018 तक।

मेघालय

  • पी ए संगमा: 1988 से 1990 तक।
  • डीडी लपांग: 1992 से 1993, 2003 से 2006, 2007 से 2008 तक।
  • मुकुल संगमा: अप्रैल 2010 से मार्च 2018 तक।
  • कॉनराड संगमा: मार्च 2018 से वर्तमान में

 

thesootr links

 

सबसे पहले और सबसे बेहतर खबरें पाने के लिए thesootr के व्हाट्सएप चैनल को Follow करना न भूलें। join करने के लिए इसी लाइन पर क्लिक करें

द सूत्र की खबरें आपको कैसी लगती हैं? Google my Business पर हमें कमेंट के साथ रिव्यू दें। कमेंट करने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें

 

Odisha CM Mohan Charan ओडिशा में आदिवासी सीएम ओडिशा सीएम मोहन चरण सत्ता के केंद्र में आदिवासी