अगहन महीना (Aghan month ) को सनातन धर्म का दूसरा सबसे पवित्र महीना माना जाता है। इस महीने में भगवान विष्णु और इनके अवतार Sri Krishna की पूजा-अर्चना होती है। यह समय भगवान श्रीकृष्ण (Lord Shri Krishna ) का प्रिय महीना कहा जाता है। अगहन महीने को मार्गशीर्ष महीना (Margashirsha month ) भी कहा जाता है। इतना ही नहीं, भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान भी इसी महीने में दिया था। वृंदावन के बांके बिहारी भी इसी महीने में प्रकट हुए थे। कहा जाता है कि Kashyap Rishi ने मार्गशीर्ष महीने में ही कश्मीर को बसाया था।
अगहन महीना है कितना लाभकारी
इस महीने में कई मंगलकार्य होते हैं। कहते है इसी महीने चन्द्रमा से अमृत तत्व की प्राप्ति भी होती है। भजन-कीर्तन करने का फल अमोघ होता है। श्रीकृष्ण की उपासना और पवित्र नदियों में स्नान विशेष शुभ होता है। संतान के लिए वरदान बहुत सरलता से मिलता है।
अगहन को मार्गशीर्ष भी कहते है
Aghan month को Maargasheersh भी कहते हैं। दरअसल इस माह का संबंध मृगशिरा नक्षत्र से है। सनातन धर्म की मान्यताओं के अनुसार इसी महीने की पूर्णिमा मृगशिरा नक्षत्र से युक्त होती है। इसी कारण इसे मार्गशीर्ष महीना (Maargasheersh Month ) भी कहा जाता है। इस महीने में भगवान श्रीकृष्ण (Lord Shri Krishna ) की पूजा- अर्चना करने के अलावा चंद्रमा दोष से छुटकारा पाने के लिए विशेष पूजा की जा सकती है। इसी महीने में तीर्थ स्थान में जाकर स्नान करने से भी बहुत शुभ फल मिलते हैं। इस माह में हर दिन कृं कृष्णाय नमः मंत्र का जाप 108 बार करना बड़ा शुभ माना जाता है।
मार्गशीर्ष माह में आने वाले व्रत-त्योहार
18 नवंबर 2024 (सोमवार)- गणाधिप संकष्टी चतुर्थी
21 नवंबर 2024 (गुरुवार)- गुरु पुष्य योग
26 नवंबर 2024 (मंगलवार)- उत्पन्ना एकादशी
28 नवंबर 2024 (गुरुवार)- प्रदोष व्रत (कृष्ण)
29 नवंबर 2024 (शुक्रवार)- मासिक शिवरात्रि
1 दिसंबर 2024 (रविवार)- मार्गशीर्ष अमावस्या
5 दिसंबर 2024 (गुरुवार)- विनायक चतुर्थी
6 दिसंबर 2024 (शुक्रवार)- विवाह पंचमी
11 दिसंबर 2024 (बुधवार)- मोक्षदा एकादशी, गीता जयंती
13 दिसंबर 2024 (शुक्रवार)- प्रदोष व्रत (शुक्ल), अनंग त्रयोदशी
14 दिसंबर 2024 (शनिवार)- दत्तात्रेय जयंती
15 दिसंबर 2024 (रविवार)- धनु संक्रांति, मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत, अन्नपूर्णा जयंती
इस महीने इन बातों का रखें विशेष ध्यान
इस महीने तेल मालिश बहुत उत्तम होती है। इस महीने से स्निग्ध चीजों का सेवन शुरू कर देना चाहिए। इसमें जीरे का सेवन नहीं करना चाहिए। मोटे वस्त्रों का उपयोग आरम्भ कर देना चाहिए। संध्याकाल की उपासना अवश्य करनी चाहिए। नित्य गीता का पाठ करना उत्तम होता है। जहां तक संभव हो भगवान कृष्ण की उपासना करें। किसी पवित्र नदी में स्नान का अवसर मिले तो अवश्य करें।
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