अकाल तख्त का बड़ा फैसला, सुखबीर सिंह बादल को दी ये सजा

अकाल तख्त ने सुखबीर सिंह बादल को सजा सुनाई है। सुखबीर बादल को यह धार्मिक सजा 2015 में गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के मामले में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम का समर्थन करने के लिए दी गई है।

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Ravi Singh
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Sukhbir Singh Badal
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सिखों की सर्वोच्च धार्मिक संस्था अकाल तख्त ने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल को 2015 में गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम का साथ देने पर धार्मिक सजा दी है। अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह की अध्यक्षता में हुई पांच सिंह साहिबान की बैठक में यह फैसला लिया गया।

धार्मिक कर्तव्य निभाने की सजा

सुखबीर सिंह बादल को स्वर्ण मंदिर में शौचालय साफ करने और अन्य धार्मिक कर्तव्य निभाने की सजा दी गई है। इस घटना से सिख समुदाय में हलचल मच गई है और पंजाब की राजनीति में नया मोड़ आ गया है। यह कदम सुखबीर बादल द्वारा अपनी गलतियों को स्वीकार करने के बाद उठाया गया है, जिसमें उन्होंने और उनकी पार्टी ने डेरा सच्चा सौदा से जुड़े होने का आरोप लगाया था, जिस पर सिख धर्म के अनुयायियों ने आपत्ति जताई थी।

सुखबीर सिंह बादल को दी धार्मिक सजा

सिखों की सर्वोच्च धार्मिक संस्था अकाल तख्त ने गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के मामले में सुखबीर सिंह बादल को दोषी करार देते हुए उन्हें धार्मिक सजा दी है। यह सजा उन्हें गुरु साहिब के अपमान के मामले में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम का पक्ष लेने के लिए दी गई है।

सिख समुदाय में काफी नाराजगी

सुखबीर सिंह बादल और उनके साथियों को धार्मिक कर्तव्यों के रूप में सज़ा दी गई है, जिसमें स्वर्ण मंदिर में शौचालय साफ करना और लंगर सेवा करना शामिल है। इस कदम से पार्टी नेताओं और सिख समुदाय में काफी नाराजगी है। कई लोग इसे धार्मिक अनुशासन और सिख धर्म के प्रति वफ़ादारी का उल्लंघन मानते हैं।

सार्वजनिक रूप से की गलती स्वीकार

अकाल तख्त का आदेश था कि सिख धर्म की पवित्रता को बनाए रखा जाए और अनुशासन को सख्ती से लागू किया जाए। इस सजा के जरिए तख्त ने संदेश दिया कि धर्म की अवमानना ​​किसी भी हालत में स्वीकार्य नहीं है, चाहे वह किसी राजनीतिक नेता द्वारा ही क्यों न की गई हो। इस सजा में सुखबीर बादल को न केवल शारीरिक श्रम की सजा दी गई बल्कि उन्हें सार्वजनिक रूप से अपनी गलती स्वीकार करने का मौका भी मिला।

स्वर्ण मंदिर में मिली सजा

सुखबीर सिंह बादल को स्वर्ण मंदिर में एक घंटे शौचालय साफ करने, एक घंटे बर्तन धोने और एक घंटे गुरबानी सुनने की सजा दी गई है। इसके साथ ही उनके गले में एक तख्ती भी लटका दी गई है। इस कदम को बादल द्वारा अपनी पार्टी द्वारा किए गए धार्मिक गलत कामों की जिम्मेदारी लेने के संकेत के रूप में देखा जा रहा है।

अकाल तख्त ने दी सजा

अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) कार्यसमिति को तीन दिन के भीतर सुखबीर बादल का इस्तीफा स्वीकार करने और अकाल तख्त साहिब को रिपोर्ट करने का निर्देश दिया है। सुखबीर सिंह बादल ने अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों को स्वीकार कर लिया है। सुखबीर सिंह बादल द्वारा अपनी गलतियों को स्वीकार करने और अकाल तख्त से बिना शर्त माफी मांगने के बाद यह सजा सुनाई गई है।

क्या है मामला

सुखबीर सिंह बादल को अगस्त में अकाल तख्त द्वारा तनखैया घोषित किया गया था, जब उन्हें 2007 से 2017 तक पंजाब में सत्ता में रहने के दौरान पार्टी द्वारा की गई गलतियों के लिए धार्मिक कदाचार का दोषी ठहराया गया था। इनमें गुरमीत राम रहीम को बेअदबी के मामलों में क्षमा प्रदान करना भी शामिल था, जिसके कारण पंजाब के कुछ हिस्सों में डेरा अनुयायियों और सिखों के बीच झड़पें हुईं।

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