रूसी दार्शनिक और राजनीतिक विज्ञानी प्रोफेसर अलेक्जेंडर डुगिन (Professor Alexander Dugin) ने भारतीय सभ्यता, बहुध्रुवीय दुनिया, और वैश्विक राजनीति पर अपने विचार प्रस्तुत किए। उनके अनुसार, भारत की सभ्यता का पुनर्जन्म और अखंड भारत की कल्पना वैदिक जड़ों पर आधारित है। एक इंटरव्यू में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर भी कई महत्तवपूर्ण बातें कहीं।
अखंड भारत का विचार बेहद विस्तृत है
अखंड भारत के प्रश्न पर उन्होंने कहा, अखंड रूस के विचार जैसा ही अखंड भारत का भी विचार है। यह राजनीतिक प्रभुत्व नहीं, बल्कि भारतीय सभ्यता को पुनर्जीवित करने का प्रयास होगा। हमें पश्चिमी औपनिवेशिक मानसिकता के दुष्प्रभाव से मुक्ति पानी होगी। अखंड भारत भारतीय सभ्यता के वैदिक जड़ों पर आधारित होगा, वैदिक समाज में समाहित परम शांति को स्वीकार करने और प्राचीन विज्ञान, पराभौतिकी जैसे सिद्धांतों को अपनाने से संभव होगा। इसमें भारतीय सूफी इस्लाम, बौद्ध परंपराएं, जैन परंपराएं यहां तक कि वह ईसाई परंपराएं भी होंगी जो प्रोटेस्टेंट एजेंटों द्वारा थोपी गई परंपराओं से अलग हैं। यह एक मानसिक स्थिति होगी, आध्यात्मिक भारत होगा राजनैतिक मजबूरी नहीं।
नाम परिवर्तन और मानसिक दासता से मुक्ति
प्रोफेसर डुगिन ने इंडिया की जगह भारत नाम के प्रचार का समर्थन किया। उनका मानना है कि नाम केवल पहचान नहीं, बल्कि मानसिक स्थिति को भी दर्शाते हैं। उन्होंने कहा, 'इंडिया' एक औपनिवेशिक नाम है, और इससे मानसिक दासता झलकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) नाम परिवर्तन के माध्यम से मानसिक आजादी की दिशा में काम कर रहे हैं।
जॉर्ज सोरोस को बताया आधुनिक असुर
प्रोफेसर डुगिन ने अमेरिकी व्यापारी और निवेशक जार्ज सोरोस (George Soros) को "कलियुग का असुर" बताया। उन्होंने कहा, सोरोस हर सुव्यवस्थित, सत्य और सुंदर चीज से घृणा करता है। वह भारत, मोदी, रूस और पुतिन जैसे नेतृत्व का विरोध करता है। भारत में वह दलितों को सरकार के खिलाफ उकसाकर अस्थिरता फैलाना चाहता है। उन्होंने कहा, सोरोस को विकृति और नीचाई पसंद है। वह राहुल गांधी और बाइडेन जैसे नेताओं का समर्थन करता है क्योंकि वे परंपरा और सुव्यवस्था को समाप्त करने की दिशा में बढ़ते हैं। बता दें कि कुछ समय पहले जार्ज सोरोस ने पीएम मोदी के खिलाफ काफी बयानबाजी की थी।
पुतिन और यूक्रेन संघर्ष
प्रोफेसर डुगिन ने रूस-यूक्रेन युद्ध को महाभारत के कुरुक्षेत्र से जोड़ा। उन्होंने कहा, राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) अर्जुन की तरह हैं, जो अपनों पर प्रहार करने से हिचक रहे हैं। लेकिन युद्ध के अंत में पुतिन विजय प्राप्त करेंगे।
भारत-चीन विवाद का समाधान
भारत-चीन विवाद पर प्रोफेसर डुगिन ने कहा कि सीमाओं का सिद्धांत औपनिवेशिक काल की देन है। प्राचीन भारत में सीमाएं नहीं, सीमांत क्षेत्र होते थे। भारत और चीन के बीच विवाद को सुलझाने के लिए गहन आध्यात्मिक संवाद की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, इन क्षेत्रों में संस्कृतियों का मेल होता था, सहयोग और मित्रता पैदा होती थी। भारत और चीन के बीच का विवाद सुलझाने के लिए गहन आध्यात्मिक सिद्धांतों पर आधारित संवाद होना चाहिए न कि पश्चिम द्वारा थोपे गए सतही सीमा के आधार पर। इस तरह की सीमाओं का सिद्धांत भारतीय सिद्धांतों से मेल नहीं खाता।
( साभार : प्रोफेसर अलेक्सांद्र दुगिन ने यह साक्षात्कार hindi.sputniknews.in के लिए कृष्णमोहन मिश्र को दिया है )
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