कांग्रेस के सभी आला नेता धाकड़ वकील, फिर भी राहुल के केस में कैसे हो गई गफलत? लीगल सेल पर उठ रहे सवाल

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Rajeev Upadhyay
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कांग्रेस के सभी आला नेता धाकड़ वकील, फिर भी राहुल के केस में कैसे हो गई गफलत? लीगल सेल पर उठ रहे सवाल

New Delhi. मानहानि के केस में राहुल को सजा क्या मिली, कांग्रेस की लीगल सेल पर सवालिया निशान लगाए जाने लगे हैं। आखिर लगाए भी क्यों न जाएं एक छोटे से केस में पूरी कांग्रेस को हिलाकर रख देने वाले मामले में लीगल सेल का रवैया लापरवाही पूर्ण ही था। सूत्रों की मानें तो राहुल गांधी भी लीगल टीम द्वारा मजबूती से केस न लड़ने पर नाराज बताए जा रहे हैं। साल 2017 में कांग्रेस ने कार्यकर्ताओं पर राजनैतिक एक्शन को देखते हुए इस प्रकोष्ठ को गठित किया था।



गठन को 6 साल बीत गए लेकिन लीगल सेल पूरे देश में न तो जिला स्तर पर एक्टिव हो पाई और न ही राष्ट्रीय स्तर पर इसके पदाधिकारी सक्रिय दिखाई दिए। लीगल सेल के अध्यक्ष विवेक तन्खा साल 2019 और 2021 में अपने पद से इस्तीफा दे चुके हैं। तन्खा सुप्रीम कोर्ट के जाने-माने वकील हैं। इस्तीफा देते वक्त तन्खा ने हवाला दिया था कि लीगल सेल में नए लोगों को मौका दिया जाना चाहिए। हालांकि उस वक्त वे अस्तित्व में आए जी 23 के सदस्य भी थे। उनका इस्तीफा वाकई में किस कारणवश था यह अब भी यक्ष प्रश्न है। हालांकि, कांग्रेस के वेबसाइट पर अब भी विवेक तन्खा ही लीगल सेल के अध्यक्ष हैं।




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  • अब अभिषेक मनु सिंघवी करेंगे केस की पैरवी



    दो साल की सजा पड़ने के बाद कांग्रेस ने रणनीति बदली दी है और वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी के नेतृत्व में एक टीम केस की पैरवी करेगी। इसमें वरिष्ठ वकील आरएस चीमा, किरीट पनवाल और तरन्नुम चीमा शामिल हैं। कांग्रेस ने केस की मेरिट पर भी सवाल उठाते हुए केस को खारिज करने की मांग की है।  



    इस मकसद से पुनगर्ठित की थी लीगल सेल




    साल 2017 में राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने से पहले कांग्रेस ने लीगल सेल का पुनगर्ठन किया था, तत्कालीन परिस्थितियों में प्रकोष्ठ के साथ आरटीआई भी जोड़ा गया था। मकसद साफ था आरटीआई के जरिए बड़े-बड़े मुद्दों को उजागर करना। लेकिन बीते 6 साल से कानूनी प्रकोष्ठ यह करने में विफल रही, इतना ही नहीं, जमीन तक संगठन का विस्तार भी ठीक ढंग से नहीं हो पाया।



    बीजेपी लीगल सेल काफी सक्रिय



    कांग्रेस के बनिस्बत बीजेपी की लीगल सेल काफी ज्यादा सक्रिय है। बीजेपी की इस इकाई के हर जिले में पदाधिकारी मौजूद हैं जो कि पार्टी के छोटे कार्यकर्ताओं के केस भी अदालत में लड़ते हैं। इसके अलावा विधिक सहायता प्रकोष्ठ कमजोर वर्ग को भी न्याय दिलाने में सहयोगी की भूमिका निभा रहा है। 




     


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