यूपी के बहुचर्चित मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में सजायाफ्ता अमरमणि त्रिपाठी की हो रही रिहाई, अच्छे बर्ताव का हवाला देकर कम की गई सजा 

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Chandresh Sharma
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यूपी के बहुचर्चित मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में सजायाफ्ता अमरमणि त्रिपाठी की हो रही रिहाई, अच्छे बर्ताव का हवाला देकर कम की गई सजा 

LUCKNOW. उत्तरप्रदेश के बाहुबली नेता अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि जेल से रिहा हो रहे हैं। उन्हें उत्तरप्रदेश के बहुचर्चित मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी। सीबीआई की सालों की मेहनत के बाद अमरमणि त्रिपाठी समेत अन्य आरोपियों पर दोष सिद्ध हुआ था। अब जेल में अच्छे चालचलन और बर्ताव का हवाला देते हुए उनकी सजा का कम कर दिया गया है। इधर कवियत्री मधुमिता शुक्ला की बहन निधि शुक्ला ने सरकार के इस फैसले का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि अमरमणि त्रिपाठी के रसूख के चलते उनकी जान को खतरा बना रहेगा। निधि अपनी बहन की हत्या के मामले और उसके बाद किए गए संघर्ष पर एक 400 पन्नों की किताब भी लिख चुकी हैं। 



यह था मामला



9 मई 2003 को लखनऊ में उभरती हुई कवियत्री मधुमिता शुक्ला की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। पहले तो यह हत्या का साधारण केस ही लग रहा था लेकिन पीएम रिपोर्ट में लिखी एक टिप्पणी के बाद यह सनसनीखेज मामला बन गया। दरअसल शव का परीक्षण करने वाले डॉक्टरों ने पीएम रिपोर्ट में लिखा था कि वे 7 माह की गर्भवती थीं। जिसके बाद पुलिस ने एक बार फिर पीएम करवाया और बच्चे के डीएनए से बाहुबली नेता अमरमणि त्रिपाठी का डीएनए मैच कर गया था। त्रिपाठी उन दिनों बीएसपी के बाहुबली और कद्दावर नेता माने जाते थे। भारी दबाव के चलते मायावती सरकार ने मामले को सीबीआई को सौंपा था। सिस्टम पूरी तरह से अमरमणि त्रिपाठी को बचाने में लगा हुआ था, काफी संघर्ष के बाद मधुमिता की बहन निधि सुप्रीम कोर्ट पहुंची थीं। जिसके बाद मामले की सुनवाई उत्तराखंड में कराने का निर्णय लिया गया था। 




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  • जेल में रहते हुए चुनाव जीते थे अमरमणि त्रिपाठी



    बाहुबली नेता अमरमणि त्रिपाठी के रसूख का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वे 2007 में जेल में रहते हुए ही विधानसभा चुनाव जीत गए थे। उन्होंने बतौर निर्दलीय प्रत्याशी महराजगंज जिले की लक्ष्मीपुर सीट से चुनाव जीता था। अमरमणि त्रिपाठी के रसूख को देखते हुए मामले की देहरादून के फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई कराई गई थी। जहां से उन्हें साल 2007 में उम्रकैद की सजा मिली। इस मामले में त्रिपाठी के साथ उनकी पत्नी मधुमणि, भतीजे रोहित चतुर्वेदी और शूटर संतोष राय को यह सजा सुनाई गई थी। एक अन्य शूटर प्रकाश पांडेय को अदालत ने संदेह का लाभ देते हुए बरी किया था लेकिन हाईकोर्ट ने प्रकाश पांडे को भी दोषी माना और उम्रकैद की सजा सुनाई थी। 



    बिलकिस बानो के बाद दूसरा मामला जब उठ रही उंगलियां



    इससे पहले गुजरात के बिलकिस बानो केस में दोषियों की सजा माफ करने के फैसले के खिलाफ लोगों में काफी रोष देखा गया था, अब उत्तरप्रदेश में मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में दोषियों की सजा में कटौती के फैसले पर भी उंगलियां उठ रही हैं। बता दें कि दोनों ही केस तत्कालीन समय में काफी चर्चित रहे थे। 



    20 साल के संघर्ष का यह सिला दे रहे



    मधुमिता शुक्ला की बहन निधि का कहना है कि अपनी बहन को न्याय दिलाने उन्होंने 20 साल तक संघर्ष किया। तमाम धमकियां मिलीं, फिर भी वे नहीं हारीं लेकिन अब ऐसे दोषियों पर जो रहम सरकार की ओर से दिखाया गया है उससे दिल बैठ गया है। इस देश में रसूखदार को बचाने हर कोई आगे आ जाता है, पीड़ित को न्याय दिलाने के लिए नहीं।  




     


    Madhumita Shukla murder case Amarmani Tripathi being released reduction in sentence citing good behavior was given life imprisonment मधुमिता शुक्ला हत्याकांड अमरमणि त्रिपाठी की हो रही रिहाई अच्छे बर्ताव का हवाला देकर सजा में कटौती दी गयी थी उम्र क़ैद