शाह का कांग्रेस पर वार, बोले-झारखंड में EVM सही, महाराष्ट्र में खराब

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में संविधान पर चर्चा का जवाब देते हुए कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा। शाह ने संविधान संशोधन, EVM, इमरजेंसी और आरक्षण को लेकर कांग्रेस को जमकर खरीखोटी सुनाई। जानें अमित शाह के भाषण की बड़ी बातें.... 

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Vikram Jain
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संसद के शीतकालीन सत्र में संविधान पर चर्चा के दौरान राज्यसभा में गृहमंत्री अमित शाह ने (Union Home Minister Amit Shah) कांग्रेस पर जमकर हमला बोला। अमित शाह ने जवाब देते हुए संविधान में संशोधन, EVM, इमरजेंसी और आरक्षण को लेकर कांग्रेस पर कड़े प्रहार किए। इस दौरान शाह ने इमरजेंसी के दौरान मशहूर रेडियो प्रोग्राम बिनाका गीतमाला और गायक किशोर कुमार के गाने पर प्रतिबंध लगाने की घटना का जिक्र भी किया। अमित शाह ने राज्यसभा में डेढ़ घंटे की स्पीच में इंदिरा गांधी के समय के कड़े फैसलों का उदाहरण देते हुए कांग्रेस की नीतियों पर सवाल उठाए और बीजेपी के दृष्टिकोण को स्पष्ट किया। जानें अमित शाह के भाषण की बड़ी बातें.... 

लोकतंत्र की जड़ें पाताल से गहरी

संविधान पर चर्चा के दौरान अमित शाह ने कांग्रेस पर तीखा हमला करते हुए कहा कि देश में लोकतंत्र की जड़ें पाताल से भी गहरी हैं, इसने तानाशाहों के कई अहंकार को चूर-चूर किया है। जो कहते थे भारत आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर नहीं हो पाएंगे, आज हम दुनिया की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था हैं। यह हमारे गौरव का, संकल्प लेने का पल है।' अमित शाह ने कहा कि दोनों सदन में संविधान पर चर्चा हुई है, वो हमारे किशोरों के लिए, युवाओं के लिए है, यह चर्चा आगामी समय में सदन में बैठकर देश के भविष्य का फैसला करने वालों के लिए अहम होगी, यह भी तय होगा, जब जब जनता ने जिस पार्टी को शासन दिया, उसने संविधान का सम्मान किया या नहीं।

इमरजेंसी और बिनाका गीतमाला का उदाहरण

अमित शाह ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए बिनाका गीतमाला और किशोर कुमार के गाने पर प्रतिबंध लगाने की घटना का जिक्र किया। शाह ने बताया कि इंदिरा गांधी के समय, जब किशोर कुमार और उनके बीच विवाद हुआ, तब बिनाका गीतमाला में उनके गाने को हटाकर लता मंगेशकर के गानों की रिकॉर्डिंग की गई। शाह ने इस उदाहरण के माध्यम से इमरजेंसी के दौरान किए गए सख्त फैसलों को उजागर किया। साथ ही अमित शाह ने अपने भाषण में धारा 370, आपातकाल, आरक्षण, राहुल गांधी का बगैर नाम लिए मोहब्बत की दुकान जैसे मुद्दों को उठाया।

हमारा संविधान कोई नकल नहीं

अमित शाह ने कहा यह मत समझना कि हमारा संविधान केवल एक नकल है। यह किसी भी प्रकार से नकल नहीं है। यदि हम इसे विदेशी दृष्टिकोण से देखेंगे, तो भारतीयता का अनुभव नहीं होगा। ऋग्वेद में भी शुभ विचारों को अपनाने की बात की गई है। हमने सभी के सकारात्मक पहलुओं को ग्रहण किया है, लेकिन अपनी सांस्कृतिक धरोहर को नहीं छोड़ा है।'

इमरजेंसी को लेकर कांग्रेस पर बरसे शाह

अमित शाह ने कहा कि इंदिरा गांधी की सरकार ने 5 नवंबर 1971 को 24वें संशोधन में नागरिक अधिकारों को कर्टेल करने का अधिकार संसद को दे दिया, 39वां संविधान संशोधन को लेकर कहा कि ये संविधान संशोधन क्या था, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इंदिरा गांधी के निर्वाचन को अवैध घोषित कर दिया था।

चुनाव में हारे तो देते हैं EVM को दोष

EVM के मुद्दे पर भी शाह ने कांग्रेस पर जमकर हमला बोला। शाह ने कहा कि चुनाव में कांग्रेस की हार होती है तो EVM को दोष दिया जाता है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में सूपड़ा साफ हो गया लेकिन उसी दिन झारखंड में जीते जाते हैं। महाराष्ट्र में ईवीएम को खराब बता दिया वहीं झारखंड में जल्दी से नए कपड़े पहनकर शपथ ग्रहण कर ली। एक जगह EVM सही हो जाती है, एक जगह खराब होती है। यह कैसे हो सकता है?

कांग्रेस ने राष्ट्रपति शासन को बढ़ाया

अमित शाह ने आगे कहा कि लोकसभा में कांग्रेस और उनके साथियों ने वन नेशन-वन इलेक्शन विधेयक पर हंगामा किया। लेकिन इन्होंने लोकसभा और विधानसभा का कार्यकाल बढ़ाकर 6 साल करने का काम किया था, कांग्रेस ने समझा कि संसद और राज्यसभा में कोरम की आवश्यकता नहीं, ये बिल पास किया राष्ट्रपति शासन की अवधि 6 महीने तक कांग्रेस ने बढ़ाई।

केशवानंद भारती केस का दिया उदाहरण

इसके साथ ही उन्होंने केशवानंद भारती केस का उदाहरण देते हुए न्यायपालिका के दबाव में किए गए फैसलों का भी जिक्र किया। केशवानंद भारती मामले का उदाहरण देते हुए शाह ने कहा, न्यायिक व्यवस्था है, हमारे खिलाफ भी फैसले आते हैं, लेकिन कांग्रेस ने क्या किया, 3 लोगों पर तरजीह देकर चौथे को मुख्य न्यायाधीश बनाने का काम किया, जिसके कारण तीनों इस्तीफा देकर घर चले गए, ये बार-बार दोहराना चाहिए, हर बच्चे को रटाना चाहिए कि तानाशाहों को क्या करना चाहिए जिससे कोई इमरजेंसी लाने की हिम्मत नहीं कर सके। 

धर्म के आधार पर आरक्षण पर विवाद

गृहमंत्री ने कांग्रेस की आरक्षण नीति पर भी सवाल उठाए। अमित शाह ने आरक्षण के मुद्दे पर कांग्रेस को जमकर घेरा। शाह ने कहा, आरक्षण बढ़ाने को लेकर कांग्रेस ने झूठ बोलना शुरू कर दिया है, मैं बताना चाहूंगा कि ये आरक्षण क्यों बढ़ाना चाहते हैं, इन्होंने 50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण करने की वकालत की है, 2 राज्यों में धर्म के आधार पर आरक्षण अस्तित्व में है, ये गैर संवैधानिक है।

मुस्लिमों को आरक्षण देना चाहती है कांग्रेस

संविधान सभा की डिबेट को लेकर शाह ने कहा कि स्पष्ट किया गया है कि आरक्षण, धर्म के आधार पर नहीं होगा, आरक्षण पिछड़ापन के आधार पर होगा, कांग्रेस की सरकार थी, तो धर्म के आधार पर आरक्षण दिया, कांग्रेस आरक्षण 50 प्रतिशत से बढ़ाकर मुस्लिमों को आरक्षण देना चाहती हैं, उन्होंने कहा कि जब तक दोनों सदन में जब तक बीजेपी का एक भी सदस्य है, धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं होने दिया जाएगा, ये संविधान विरोधी है।

डेढ़ घंटे तक राज्यसभा में दिए भाषण में अमित शाह ने कहा कि संविधान का सम्मान केवल बातों में नहीं, बल्कि काम में होना चाहिए। इस चुनाव में अजीबोगरीब नजारा देखने को मिला, कांग्रेस के नेताओं ने आम सभा में संविधान लहराकर, झूठ बोलकर जनादेश लेने की कोशिश की, शाह ने स्पष्ट किया कि संविधान लहराने का विषय नहीं है, संविधान विश्वास का विषय है, श्रद्धा का विषय है। संविधान की फर्जी प्रति लेकर घूमते हो तो जनता ने हरा भी दिया।

मोदी सरकार और भारतीय न्याय संहिता

शाह ने मोदी सरकार के कामों का उल्लेख करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को गुलामी की मानसिकता से मुक्त किया। उन्होंने नई भारतीय न्याय संहिता के माध्यम से देश में न्याय के अधिकारों को सशक्त किया और ब्रिटिश साम्राज्य की मानसिकता को समाप्त किया। 

अनुच्छेद 370 का जिक्र

अमित शाह ने 370 पर बात करते हुए कहा कि कांग्रेस ने इसे नाजायज संतान की तरह पाला था। लेकिन मोदी सरकार ने 2019 में सत्ता में आने के बाद एक झटके में अनुच्छेद 370 को खत्म कर दिया, जिससे जम्मू और कश्मीर में शांति और विकास की दिशा में कदम बढ़े। ये लोग कहते थे कि अनुच्छेद-370 हटाया गया तो खून की नदिया बहेगी, लेकिन आज किसी की भी कंकड़ चलाने की हिम्मत नहीं है।

BJP और कांग्रेस की तुलना

अमित शाह ने बीजेपी और कांग्रेस के संविधान संशोधन के कार्यों की तुलना की। उन्होंने कहा कि बीजेपी ने 16 सालों में 22 बार संविधान में संशोधन किया, जबकि कांग्रेस ने 55 सालों में 77 बार संविधान में बदलाव किया। उन्होंने यह भी कहा कि इन दोनों पार्टियों के बदलाव के उद्देश्य अलग थे, और बीजेपी ने हमेशा संविधान का सम्मान किया।

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