अमिताभ 41 साल पहले भी जख्मी हुए थे, 3 दिन तक डॉक्टरों को चोट का पता ही नहीं चला, चौथे दिन हालत बिगड़ी और कोमा में चले गए

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BP Shrivastava
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अमिताभ 41 साल पहले भी जख्मी हुए थे, 3 दिन तक डॉक्टरों को चोट का पता ही नहीं चला, चौथे दिन हालत बिगड़ी और कोमा में चले गए

MUMBAI. बालीवुड महानायक ​अमिताभ बच्चन के हैदाराबाद में शूटिंग के दौरान घायल होने की खबर के बाद, 41 साल पुरानी एक दर्दनाक घटना सभी को याद आ गई। जिसमें अमिताभ बच्चन 26 जुलाई 1982 को बेंगलुरु में 'कुली' फिल्म की शूटिंग कर रहे थे और एक एक्शन सीन करते हुए घायल हो गए थे। उन्हें तीन रोज तक चोट महसूस नहीं हुई थी, लेकिन चौथे दिन तबियत बिगड़ी और फिर वे कोमा में चले गए ​थे। उस वक्त अमिताभ के फैंस ने उनके जल्द स्वस्थ होने की ईश्वर से खूब दुआएं की थीं। 



इस तरह का सीन करते घायल हुए थे 41 साल पहले



बालीवुड महानायक ​अमिताभ बच्चन 26 जुलाई 1982 को बेंगलुरु में 'कुली' फिल्म की शूटिंग कर रहे थे और एक एक्शन सीन कर रहे ​थे। यह एक फाइट सीन था। एक्शन डायरेक्टर के कहने पर पुनीत इस्सर काे अमिताभ के मुंह पर घूंसा मारना था और उन्हें टेबल के ऊपर गिरना था। सीन अमिताभ के बॉडी डबल के साथ शूट करने का सजेशन दिया गया। बिग बी सीन में रियलटी चाहते थे, इसलिए उन्होंने खुद ही यह सीन करने का फैसला किया। एक्टर्स रेडी हुए। लाइट्स ऑन हुईं। कैमरा एंगल सेट हुए। डायरेक्टर के एक्शन बोलते ही शूटिंग शुरू हुई। शॉट ओके हुआ और लोग तालियां बजा उठे। अमिताभ के चेहरे पर भी मुस्कराहट थी। लेकिन तभी उन्हें पेट में हल्का दर्द हुआ। दरअसल, टेबल का एक कोना उनके पेट में चुभ गया था। कुली की शूटिंग के दौरान लगी यह चोट, शुरू में सामन्य नजर आई थी, लेकिन दो दिन बाद इतनी घातक निकली जो उन्हें आज तक दर्द देती है।



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डॉक्टर्स पेन किलर देकर चले गए, पर पकड़ नहीं पाए ​थे चोट 



अमिताभ बच्चन को दर्द हो रहा था और वे जानते थे कि उन्हें चोट लगी है, लेकिन खून की एक बूंद भी नहीं निकली थी। इसलिए बिग बी और फिल्म के कास्ट-क्रू मेंबर्स ने इसे मामूली चोट समझा। उनके पेट पर दो बार मलहम लगाया गया, लेकिन जब आराम मिला तब अमिताभ होटल वेस्ट एंड चले गए, जो उन्होंने दो सप्ताह के लिए बुक कर रखा था। दर्द कम नहीं हुआ तो डॉक्टर को बुलाया गया। उन्होंने भी यही कहा कि कोई गहरी चोट नहीं है। डॉक्टर्स पेन किलर दवाएं देकर चले गए ताकि वे आराम से सो सकें।



एक्सरे रिपोर्ट में भी नहीं चला चोट का पता  



हादसे के अगले दिन जब दर्द में कोई कमी नहीं हुई। बिग बी के पर्सनल फिजिशियन डॉ. केएम. शाह को बुलाया गया। डॉ. शाह उनकी हालत देख बेहद नाराज हुए। तुरंत उन्हें बेंगलुरु के सेंट फिलोमेना हॉस्पिटल में एडमिट किया गया। एक्स-रे किया गया, लेकिन इसमें भी किसी तरह की सीरियस इंजरी डॉक्टर्स को समझ नहीं आई। हालांकि, मेडिकल एक्सपर्ट्स ने कहा कि बिग बी के कुछ टेस्ट्स और किए जाने चाहिए। 



यह थी दर्द की कारण



तब, तीसरे दिन भी उनकी हालत में कोई सुधार नहीं आया। एक बार फिर से एक्स-रे हुआ। डॉक्टर्स ने फिर कहा कि कोई सीरियस इंजरी नहीं। इसके बाद डॉक्टर्स ने एक्सरे को बारीकी से चेक किया तो डायफ्राम के नीचे गैस दिखाई दे रही थी, जो टूटी हुई आंत से ही आ सकती थी। बाद में मुंबई के एक डॉक्टर ने कहा भी था- अपने प्रोफेशन में हम पेशेंट को तब ट्रीट करना शुरू करते हैं, जब वह हमारे पास आता है। पिछले ट्रीटमेंट को दोष नहीं देते। लेकिन इस केस में इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता था कि एक्सीडेंट के बाद लिए गए एक्स-रे में डायफ्राम के नीचे गैस दिख रही थी, जो कि लीकेज का संकेत थी। 



...और फिर बॉडी में फैल गया इन्फेक्शन 



चौथे दिन दिन अमिताभ की स्थिति और बिगड़ गई। यूनिट के कई बार आग्रह करने के बाद वेल्लोर के जाने-माने सर्जन डॉक्टर एचएस भट्‌ट, अमिताभ का केस देखने तैयार हुए। रिपोर्ट देखते ही डॉ. भट्‌ट ने कहा- तुरंत ऑपरेशन करना पड़ेगा। क्योंकि इन्फेक्शन बिग बी की बॉडी में फैल चुका है। अमिताभ को तेज बुखार हो गया था और वे बार-बार उलटी भी कर रहे थे। दोपहर ढाई बजे के करीब उनकी हालत ज्यादा बिगड़ गई। उनकी धड़कन एक मिनट में 72 की जगह 180 की स्पीड से चलने लगी। और वे कोमा में चले गए थे। 



सर्जरी के बाद हैरान थे डॉक्टर  



डॉक्टर्स ने ऑपरेशन शुरू किया। उन्होंने बिग बी का पेट चीरकर देखा तो हैरान रह गए। अमिताभ के पेट की झिल्ली (जो पेट के अंगों को जोड़े रखती है और कैमिकल्स से उन्हें बचाती है) फट चुकी थी। छोटी आंत भी फट गई थी। इस स्थिति में किसी का भी 3 से 4 घंटे जिंदा रहना भी मुश्किल होता है। लेकिन अमिताभ 3 दिन तक इस कंडीशन से गुजरे। डॉक्टर्स ने पेट की सफाई की, आंत सिली। उस वक्त अमिताभ को पहले से ही कई बीमारियां जैसे- अस्थमा, पीलिया के कारण एक किडनी भी खराब हो चुकी थी, डायबिटीज भी थी। ऐसे में वे इतने दिन इस प्रॉब्लम से कैसे लड़े, ये किसी चमत्कार से कम नहीं था।



ऑपरेशन के बाद हो गय था निमोनिया   



ऑपरेशन के अगले दिन बिग बी को निमोनिया भी हो गया। उनके शरीर में जहर फैलता जा रहा था, खून पतला हो रहा था। ब्लड डेंसिटी को सुधारने के लिए बैंगलौर में सेल्स मौजूद नहीं थे, जिन्हें मुंबई से मंगवाया गया। खून में सेल्स मिलाने के बाद अमिताभ की स्थिति 4 दिनों में पहली बार कुछ सुधरी थी, लेकिन 29 जुलाई को फिर उनकी हालत खराब हो गई और जैसे-तैसे उन्हें संभाला गया। मीटिंग कर डॉक्टर्स ने तय किया कि अमिताभ को मुंबई ले जाना ही सही होगा, वहां बेहतर इलाज की सुविधा थी। आखिर में एयरबस के जरिए अमिताभ को मुंबई ले जाना तय हुआ। स्टेचर पर लेटे अमिताभ को क्रेन की मदद से एयरबस में शिफ्ट किया गया। 31 जुलाई की सुबह करीब 5 बजे एयरबस मुंबई पहुंची। उन्हें ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल की दूसरी मंजिल पर स्पेशल विजिलेंस वॉर्ड में रखा गया। 



दूसरा ऑपरेशन 8 घंटे तक चला था 



सात दिन बाद यानी 2 अगस्त 1982 को अमिताभ बच्चन का दोबारा ऑपरेशन किया गया। यह ऑपरेशन करीब 8 घंटे चला था। उस वक्त ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल किसी रेलवे स्टेशन से कम नजर नहीं आ रहा था। लेकिन बिग बी हालत अभी भी नाजुक बनी हुई थी। चौबीसों घंटे ब्रीच कैंडी अस्पताल के बाहर हजारों प्रशंसकों की भीड़ लगी रहती थी। देशभर में उनके लिए प्रार्थनाओं का दौर जारी था। जया बच्चन खुद जब प्रार्थना करने सिद्धि विनायक मंदिर गई तो देखकर हैरान रह गई कि वहां पहले से ही हजारों लोग अमिताभ की सलामती की दुआ मांग रहे हैं, जिन्हें काबू में करने के लिए भारी मात्रा में पुलिस बल तैनात था। आखिर फैन्स और फिल्म इंडस्ट्री के लोगों की उम्मीद रंग लाई और ऑपरेशन के तीन दिन बाद उनकी हालत में सुधार होना शुरू हुआ। पहली बार वे फिजियोथैरेपी मसाज कराने, वॉकमैन पर हल्का लाइट जैज म्यूजिक सुनने और फैमिली मेंबर्स के लिए नोट्स लिखने में सक्षम हुए। 



तब, 24 सितंबर को हुए थे डिस्चार्ज



 16 अगस्त 1982 को अमिताभ खाने-पीने लगे और कुछ कदम चले भी। लोगों की दुआएं असर दिखा रही थीं, लेकिन अभी भी उन्हें लंबे समय तक अस्पताल में रहना था। लगातार उनकी सेहत में सुधार होता रहा। 24 सितंबर को आखिरकार अमिताभ को ब्रीच कैंडी अस्पताल से छुट्टी मिल गई। लोगों की बेकाबू भीड़ उनका इंतजार कर रही थी। ठीक होने पर अपने प्रशंसकों का धन्यवाद देते हुए अमिताभ ने कहा था, जिंदगी और मौत के बीच यह एक भयावह अग्नि परीक्षा थी। दो महीने का अस्पताल प्रवास और मौत से लड़ाई खत्म हो चुकी है। अब मैं मौत पर विजय पाकर अपने घर प्रतीक्षा लौट रहा हूं। घर पहुंचकर उन्होंने हाथ हिलाकर अपने शुभचिंतकों का शुक्रिया अदा किया था।


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