NEW DELHI. पंजाब से हरियाणा में प्रवेश करने से पहले खालिस्तानी समर्थक एवं 'वारिस पंजाब दे' का मुखिया अमृतपाल सिंह 18 मार्च की रात को लुधियाना की सड़कों पर घूमता रहा। सीसीटीवी फुटेज की जांच में उसे इधर-उधर जाते देखा जा सकता है। वहीं, पुलिस ने उन दो ऑटो चालकों से भी पूछताछ की है, जिसके ऑटो में बैठकर अमृतपाल शेरपुर तक पहुंचा था। इसी बीच अमृतपाल सिंह के साथियों को 25 मार्च, शनिवार को अजनाला कोर्ट में पेश किया गया। यहां उनका मेडिकल करवाया गया, जिसकी रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ कि उसके दो साथी एचआईवी पॉजिटिव हैं। यह जानकारी 'वारिस पंजाब दे' की ओर से केस लड़ रहे एडवोकेट बरिंदर सिंह ने दी है।
हार्डीज वर्ल्ड से शेरपुर चौक तक ऑटो से गया
अमृतपाल को ऑटो में बैठाकर हार्डीज वर्ल्ड से जालंधर बायपास और उसके आगे उसे शेरपुर चौक तक ऑटो चालकों ने छोड़ा। चालकों ने बताया कि उनके ऑटो में दो लोग बैठे थे, लेकिन उन्हें यह पता नहीं था कि वह अमृतपाल और उसका साथी हैं। उन्होंने किराया लेकर उन्हें बताई जगह तक छोड़ दिया।
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और हरियाणा में दाखिल हो गया आरोपी
सीसीटीवी फुटेज के अनुसार, अमृतपाल नौ बजकर बीस मिनट से लेकर दस बजकर दस मिनट तक लुधियाना में रहा। उसने हार्डीज वर्ल्ड से और जालंधर बाइपास पहुंचा। इसमें उसे बीस मिनट लगे। इसके बाद दूसरा ऑटो लेकर वह शेरपुर तक पहुंचा। इसमें उसे तीस मिनट के करीब का समय लगा। अमृतपाल को गिरफ्तार करने के लिए पूरे पंजाब में नाके लगाए गए थे। लेकिन पुलिस उसे पकड़ नहीं पाई और वह बस के जरिए हरियाणा में दाखिल हो गया।
अमृतपाल सिंह ने किया था लवप्रीत तूफान की गिरफ्तारी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन
अमृतपाल सिंह अमृतसर में अपने करीबी सहयोगी लवप्रीत तूफान की गिरफ्तारी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करके सुर्खियां में आया था। फरवरी 2022 तक अमृतपाल पश्चिमी देशों के जीवन शैली से प्रभावित था। वह दुबई में अपने रिश्तेदार के साथ उनका ट्रांसपोर्ट बिजनेस देखता था और अपना अधिकांश समय सोशल मीडिया पर बिताता था।
क्या है 'वारिस पंजाब दे'?
'वारिस पंजाब दे' पंजाब के अधिकारों की रक्षा के लिए लड़ाई का दावा करता है। इस संगठन के जरिए दीप सिद्धू ने पंजाब के हक की लड़ाई को आगे बढ़ाना का मकसद बताया था और यह भी कहा था कि 'वारिस पंजाब दे' संगठन किसी राजनीतिक एजेंडे पर नहीं चलेगा। मगर, सियासत से इसके संबंध और खालिस्तान की मांग करने वाले लोग इससे जुड़े रहे। लोकसभा सीट संगरूर पर हुए उपचुनाव में सिमरनजीत सिंह ने जीत दर्ज की थी। सिमरनजीत खालिस्तान के लिए आवाज उठाते रहते हैं।