AMRITSAR. अमृतसर एयरपोर्ट में 20 अप्रैल को खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह की पत्नी किरणदीप कौर हिरासत में लिया गया। सूत्रों के अनुसार, किरणदीप कौर सुबह 11.40 बजे एयरपोर्ट पहुंची थी। उनकी डेढ़ बजे की फ्लाइट थी। वे यूके जा रही थी। लिस्ट में नाम देख इमीग्रेशन ने उन्हें रोका और उनसे पूछताछ की। सुरक्षा एजेंसियां भी किरणदीप कौर से पूछताछ कर रही हैं।
कौन है किरणदीप कौर
अमृतपाल सिंह ने 2023 को फरवरी में यूके की एनआरआई किरणदीप कौर से शादी की थी। फरवरी में अमृतपाल से शादी के बाद किरणदीप कौर पंजाब ही रहने लगीं। इन दिनों अमृतपाल के पैतृक गांव जल्लूपुर खेड़ा में रहती हैं। किरणदीप की पारिवारिक जड़ें जालंधर में बताई जाती हैं। किरणदीप और अमृतपाल की शादी अभिनेता-कार्यकर्ता दीप सिद्धू द्वारा गठित संगठन 'वारिस पंजाब दे' के प्रमुख के रूप में कार्यभार संभालने के महीनों बाद हुई थी। किरणदीप कौर ब्रिटेन से एक एनआरआई है उनसे पंजाब पुलिस द्वारा अमृतपाल सिंह की गतिविधियों के लिए विदेशी फंडिंग के मामले पर पूछताछ की गई।
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18 मार्च से लगातार पुलिस को दे रहा चकमा
पंजाब में अलगाववाद को बढ़ावा देने की कथित कोशिशों में लगा कट्टरपंथी अमृतपाल के फरार होने के रूट के बारे में छानबीन की जा रही है। अमृतपाल पुलिस को किस तरह और कितना चकमा देने में सफल हुआ, इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि वह कुरुक्षेत्र के निकट शाहबाद में 18 और 19 मार्च को था। लेकिन पुलिस उसे शरण देने वाली बलजीत कौर के यहां 22 मार्च को पहुंच पाई।
इंटरनेट के जरिए अमृतपाल से मिली थी किरणदीप कौर
पुलिस ने अमृतपाल सिंह की मां और पत्नी से भी पूछताछ की थी। उसकी पत्नी किरणदीप कौर भी पंजाब पुलिस के बड़े शक के घेरे में है। अमृतपाल ने किरणदीप के साथ फरवरी को शादी की थी। किरण का परिवार ब्रिटेन में रहता है। वह इंटरनेट के जरिए अमृतपाल के संपर्क में आई और विवाह कर लिया। अमृतपाल अपने रिश्तेदारों तक को भी किरण से नहीं मिलने देता था? इसकी वजह की छानबीन की जा रही है।
यूके की नागरिक है किरणदीप कौर
अमृतपाल की पत्नी किरणदीप कौर की आतंकवादी संगठन बब्बर खालसा के साथ निकटता है। शादी से पहले किरणदीप एक ऑनलाइन कंपनी में काम करती थी। अब कोई काम नहीं कर रही हैं। वह सोशल मीडिया के माध्यम से ही एक वर्ष पहले अमृतपाल के संपर्क में आई थी। किरणदीप कौर लंदन की नागरिक हैं।
1951 में यूके में बस गया था परिवार
किरणदीप के दादा 1951 में लंदन चले गए थे। तभी से उनका परिवार वहीं रह रहा है। एक इंटरव्यू में किरणदीप ने कहा था कि मेरा परिवार सिख प्रचारकों का परिवार नहीं है। अन्य सिख परिवारों की तरह लंदन के गुरुद्वारा साहिब में जाती थी। मैंने 12 वर्ष की उम्र से गुरुद्वारा साहिब जाना शुरू किया। मैं अमृतपाल के साथ किसी कार्यक्रम में नहीं गई और न ही अमृतपाल मुझे लेकर जाना चाहता था। वह चाहता था कि कोई मुझे अमृतपाल के नाम के साथ जोड़कर न पहचाने, जिससे भविष्य में कोई समस्या पैदा न हो। हमने यह फैसला भी नहीं किया था कि हमेशा ही पंजाब में ही रहेंगे।