कैसे एक ईमानदार IAS के मर्डर के दोषी बाहुबली की सजा हुई माफ, आईएएस जी. कृष्णैया की पत्नी की राष्ट्रपति-पीएम से गुहार- ये अन्याय है

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Sunil Shukla
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कैसे एक ईमानदार IAS के मर्डर के दोषी बाहुबली की सजा हुई माफ, आईएएस जी. कृष्णैया की पत्नी की राष्ट्रपति-पीएम से गुहार- ये अन्याय है

NEW DELHI. बिहार में गोपालगंज के पूर्व जिला अधिकारी यानी डीएम जी.कृष्णैया की हत्या में दोषी और सहरसा जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे बाहुबली नेता आनंद मोहन सिंह की रिहाई के आदेश जारी हो गए हैं। बिहार सरकार के तोहफे के रूप में जेल से आजाद होने का आदेश उनके बेटे और विधायक चेतन आनंद की सगाई के दिन 24 अप्रैल को आया है। इस दिन धूमधाम से हुए सगाई समारोह में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राज्य कई बड़े नेता शामिल हुए। आनंद मोहन बेटे की सगाई के लिए ही 15 दिन की पैरोल पर बाहर थे। जेल की प्रक्रिया पूरी होने के बाद वे बुधवार को बाहर आ जाएंगे।



पत्नी बोलीं- पीएम, राष्ट्रपति जेल से रिहाई रुकवाएं




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आईएएस जी. कृष्णैया की पत्नी उमा देवी ने आनंद मोहन की जेल से रिहाई के निर्णय पर अफसोस जताया




भीड़ के हमले में जान गंवाने वाले आईएएस जी. कृष्णैया की पत्नी उमा देवी ने आनंद मोहन की जेल से रिहाई के निर्णय पर अफसोस जताया है। उन्होंने मीडिया से कहा कि एक ईमानदार अधिकारी की हत्या के जिम्मेदार बाहुबली की सजा माफ कर उसे जेल से रिहा करने का बिहार सरकार का फैसला बहुत गलत है। इससे देश की जनता हमारी न्याय व्यवस्था की हालत का अंदाजा लगा सकती है। उनका कहना है कि राजपूत समुदाय सहित समाज के सभी वर्गों को आनंद मोहन की जेल से रिहाई का विरोध करना चाहिए। उन्हें मौत की सजा दी जानी चाहिए।  मैं इस बारे में प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से दखल देने और जेल से रिहाई का निर्णय रोकने का अनुरोध करती हूं।



कौन थे जी. कृष्णैया




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आईएएस जी. कृष्णैया और उनकी पत्नी उमा देवी




जी. कृष्णैया मूल रूप से तेलंगाना के महबूबनगर जिले के रहने वाले थे। वे बिहार कैडर में 1985 बैच के आईएएस अधिकारी थे। वे दलित समुदाय से आते थे और बिहार की ब्यूरोक्रेसी में उनकी गिनती बेहद साफ-सुथरी छवि वाले एक ईमानदार अफसर के रूप में की जाती थी। जी. कृष्णैया 1994 में गोपालगंज के जिला अधिकारी यानी डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट नियुक्त हुए थे। 4 दिसंबर 1994 को उत्तरी बिहार का एक कुख्यात गैंगस्टर छोटन शुक्ला मारा गया था। उसकी हत्या की गई थी जिसकी वजह से मुजफ्फरपुर और आसपास इलाकों के लोग सरकार और पुलिस से लोग बहुत नाराज थे। गुस्साई भीड़ छोटन शुक्ला की लाश को सड़क पर रखकर प्रदर्शन कर रही थीं।



कृष्णैया को कार से खींचकर मारी गोली



घटना 5 दिसंबर 1994 की है। गोपालगंज के तत्कालीन डीएम के रूप में जी कृष्णैया एक विशेष बैठक में भाग लेकर गोपालगंज लौट रहे थे। वे लाल बत्ती लगी अपनी सरकारी गाड़ी में सवार थे। उनके साथ एक सरकारी गार्ड और ड्राइवर भी था। उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं था कि आगे हाइवे पर क्या हंगामा हो रहा है। जैसे ही उनकी कार प्रदर्शनकारियों के पास पहुंची, वहां जमा भीड़ ने कार पर पथराव शुरू कर दिया। इस दौरान उनके सरकारी गनर ने उन्हें बचाने की कोशिश की, लेकिन भीड़ ने उनकी एक नहीं सुनी। बताते हैं कि जी. कृष्णैया भीड़ को चीख-चीखकर बता रहे थे कि वे गोपालगंज के डीएम हैं मुजफ्फरपुर के नहीं, लेकिन भीड़ ने कृष्णैया को कार से बाहर खींच लिया। उनके साथ मारपीट की गई। इसी दौरान भीड़ में से किसी ने उनके सिर में गोली मार दी, जिससे उनकी मौत हो गई। इस हत्याकांड से पूरे देश में सनसनी फैल गई थी।



इसलिए आनंद मोहन को बनाया गया था आरोपी



आरोप लगा कि कृष्णैया की हत्या करने वाली भीड़ को कुख्यात बाहुबली आनंद मोहन ने ही उकसाया था। यही वजह रही कि पुलिस ने इस मामले में आनंद मोहन और उनकी पत्नी लवली आनंद समेत 6 लोगों को इस मामले में आरोपी बनाया। ये केस अदालत में चलता रहा और 2007 में पटना हाई कोर्ट ने आनंद मोहन को दोषी करार दिया और फांसी की सजा सुनाई। संभवतः ये आजाद भारत में ये पहला मामला था जब एक नेता को किसी प्रशासनिक अधिकारी की मौत के मामले में मौत की सजा सुनाई गई थी। हालांकि 2008 में इस सजा को उम्र कैद में तब्दील कर दिया गया। साल 2012 में आनंद मोहन सिंह ने सुप्रीम कोर्ट से सजा कम करने की अपील की थी जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था तभी से वे बिहार की सहरसा जेल में बंद थे।



जेल मैनुअल में बदलाव से रिहाई का रास्ता खुला



जेल मैनुअल के मुताबिक आनंद मोहन को 14 साल की सजा पूरी करने के बाद छूट मिल सकती थी, लेकिन 2007 में जेल मैनुअल में एक बदलाव की वजह से वे बाहर नहीं आ पा रहे थे। चूंकि ड्यूटी पर तैनाात किसी भी अधिकारी या कर्मचारी की हत्या के अपराधी को सजा में छूट का लाभ नहीं मिल सकता था। लेकिन अब बिहार सरकार ने जेल से बाहर निकालने के लिए नियम बदल दिए हैं। इसके बाद आनंद मोहन समेत 27 लोगों को 24 अप्रैल को रिहाई के आदेश जारी कर दिए गए। दरअसल बिहार सरकार ने इसी साल 10 अप्रैल को बिहार कारा हस्तक, 2012 के नियम-481(i) (क) में संशोधन करके उस वाक्य को हटा दिया, जिसमें सरकारी सेवक की हत्या को शामिल किया गया था। इस संशोधन के बाद अब ड्यूटी पर तैनात सरकारी सेवक की हत्या अपवाद की श्रेणी में नहीं गिनी जाएगी, बल्कि ये एक साधारण हत्या मानी जाएगी। इस संशोधन के बाद आनंद मोहन के परिहार की प्रक्रिया आसान हो गई क्योंकि सरकारी अफसर की हत्या के मामले में ही आनंद मोहन को आजीवन कारावास की सजा हुई थी।



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सीएम नीतीश पहले ही दे चुके थे आनंद मोहन की रिहाई का संकेत



बाहुबली से राजपूतों के नेता बने आनंद मोहन की जेल से रिहाई की मांग काफी समय से हो रही थी। इसके लिए अलग-अलग तर्क दिए जा रहे थे। इसी साल 23 जनवरी को पटना के मिलर हाई स्कूल में महाराणा प्रताप का पुण्यतिथि समारोह हुआ था। इसमें आनंद मोहन के समर्थकों ने उन्हें रिहा करने की मांग की। कार्यक्रम में मौजूद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंच से ही इस बात की घोषणा की कि वे आनंद मोहन की रिहाई के बारे में सोच रहे हैं। इसके लिए काम किया जा रहा है। तब उन्होंने कहा था कि आनंद मोहन हमारे मित्र रहे हैं। जब वे जेल गए थे, तो उनसे मिलने हम लोग भी जेल गए थे।


Anand Mohan Singh IAS G. Krishnaiah murder case Anand Mohan Singh sentence waived Anand Mohan Singh release order issued आनंद मोहन सिंह आईएएस जी. कृष्णैया की हत्या का केस आनंद मोहन सिंह की सजा माफ आनंद मोहन सिंह की रिहाई के आदेश जारी