रोंगटे खड़े कर देने वाला एंडीज विमान हादसा: 72 दिन मौत से लड़ते रहे... और फिर खा गए अपने ही साथियों का मांस!

1972 में एंडीज पर्वतों में हुए एक विमान हादसे में बचे यात्रियों ने -30°C तापमान में 72 दिन तक संघर्ष किया। भूख मिटाने के लिए उन्होंने मरे साथियों का मांस खाया लेकिन हिम्मत नहीं हारी।

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Abhilasha Saksena Chakraborty
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Survivors had to eat flash of their friends
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हाल ही में हुए अहमदाबाद विमान हादसे से पूरे देश में शोक की लहर है। मन में ढेर सारे सपने और आकांक्षाएं लिए उड़ान भरने वाले यात्री दुर्घटना का शिकार बन गए। इसी समय प्लेन के कई दूसरे हादसे भी याद किए जा रहे हैं। इन्हीं में से एक था 13 अक्टूबर 1972 को हुआ विमान हादसा। एंडीस की बर्फ से ढकी चोटी से टकराकर उरुग्वे एयरफोर्स फ्लाइट 571 के टुकड़े-टुकड़े हो गए थे। प्लेन में सवार 45 में से 18 लोग मौके पर ही मारे गए।

हादसे के बाद बहुत सर्च करने के बाद 11वें दिन रेस्क्यू ऑपरेशन बंद कर दिया। एंडीज की सफेद बर्फ में सफेद विमान के टुकड़े ढूंढना लगभग नामुमकिन था। माना गया कि -30 डिग्री में कोई इंसान इतने दिन नहीं बच सकता। लेकिन बचे लोग हार मानने को तैयार नहीं थे।

-30 डिग्री में मौत से लड़े लोग

बचे हुए 27 लोगों के पास न कोई खाना था, न गर्म कपड़े, न ही कोई उम्मीद। माइनस 30 डिग्री में लोग ठिटूर रहे थे। शुरुआती दिनों में उन्होंने बचे-खुचे भोजन को छोटे-छोटे टुकड़ों में बांटकर जिंदा रहने की कोशिश की। पानी के लिए प्लेन के मलबे से मेटल निकालकर बर्फ पिघलाई जाती थी। लेकिन कुछ दिनों में ही उनके पास खाने का जो भी था सब खत्म हो गया। भोजन के नाम पर उनके पास बचे थे तो सिर्फ उनके मृत साथियों की डेड बॉडीज़।

मेडिकल छात्रा ने कहा मांस खाने को

इस विमान में एक मेडिकल छात्र भी सवार था, जिसने अत्यधिक भूख और कठिन परिस्थितियों को देखते हुए साथियों को एक कठिन निर्णय लेने का सुझाव दिया। उसने दूसरों से कहा कि जीवित रहने के लिए मृत यात्रियों के शरीर से मांस निकालकर खाना पड़ेगा। एक बचे हुए यात्री ने बाद में एक साक्षात्कार में बताया कि शुरुआत में यह कदम बेहद घिनौना और असहज लगा, लेकिन समय के साथ परिस्थिति के आगे उन्होंने इसे स्वीकार कर लिया। जीवित बचे लोगों के बीच यह सहमति भी बनी कि यदि भविष्य में कोई साथी मरता है, तो उसकी देह को जीवन रक्षा के लिए उपयोग में लाया जा सकता है।

Andes plane crash

पत्थर पर लिपटा कागज़, जिसने बदल दी किस्मत

72 दिन बाद दो युवाओं—फर्नांडो पर्राडो और रॉबर्टो कैनसा—ने बर्फ से ढकी 38 मील लंबी खतरनाक चढ़ाई तय की और मदद की तलाश में निकल पड़े। नीचे घाटी में एक चरवाहे को देखकर उन्होंने कागज़ पर एक संदेश लिखा- हम फ्लाइट 571 से हैं, जो एंडीज में क्रैश हुई थी। हम 16 लोग अब भी जिंदा हैं। कृपया हमारी मदद करें। चरवाहे ने ब्रेड और चॉकलेट फेंककर उनकी हिम्मत बढ़ाई और अगले ही दिन हेलीकॉप्टरों के ज़रिए 16 लोगों को जिंदा बाहर निकाला गया।

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किताब बनी, फिल्म बनी, पर दर्द नहीं गया

इस हादसे पर ‘Alive’ नाम की मशहूर किताब और फिल्म बनी, जिसने पूरी दुनिया को हिला दिया। एंडीज विमान दुर्घटना आज भी इतिहास में मानव अस्तित्व की सबसे कठोर परीक्षा मानी जाती है।

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