GORAKHPUR. भारत सरकार ने साल 2021 के गांधी शांति पुरस्कार की घोषणा की है। यूपी के गोरखपुर की गीता प्रेस को साल 2021 के गांधी शांति पुरस्कार के लिए चुना गया है। संस्कृति मंत्रालय ने इसकी घोषणा की है। पुरस्कार के लिए गीता प्रेस के ट्रस्टी और मैनेजर ने भारत सरकार का आभार व्यक्त किया है। इसके साथ ही गीता प्रेस के बोर्ड ने तय किया है कि पुरस्कार स्वीकार किया जाएगा लेकिन धनराशि स्वीकार नहीं करेंगे। गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार अहिंसक और अन्य गांधीवादी तरीकों से सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन की दिशा में उत्कृष्ट योगदान’’ के लिए दिया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गीता प्रेस को पुरस्कार के लिए चुने जाने पर बधाई दी और उसके योगदान की सराहना की।
प्रबंधन ने किया गांधी शांति पुरस्कार स्वीकार करने का एलान
गीता प्रेस प्रबंधन ने गांधी शांति पुरस्कार स्वीकार करने का एलान किया है। गीता प्रेस के प्रबंधक डॉ. लालमणि तिवारी ने इनाम की राशि को लेकर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "एक करोड़ की सम्मान राशि नहीं लेंगे, हम प्रशस्ति पत्र स्वीकार करेंगे। गीता प्रेस की बोर्ड में जो तय हुआ है, उसके मुताबिक, धनराशि को छोड़कर प्रशस्ति पत्र, पट्टिका और हस्तकला, हथकरघा की कलाकृति स्वीकार की जाएगी। भारत सरकार के प्रति आभार प्रकट करते हुए उन्होंने कहा कि गीता प्रेस के शताब्दी वर्ष पर इस सम्मान को मिलना हमें अभिभूत कर रहा है। हम निरंतर ऐसे ही काम करते रहेंगे। बोर्ड का मानना है कि इससे भारत सरकार का सम्मान भी रह जाएगा और गीता प्रेस का भी सम्मान रह जाएगा। वहीं पीएम मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘मैं गीता प्रेस, गोरखपुर को गांधी शांति पुरस्कार 2021 से सम्मानित किये जाने पर बधाई देता हूं। उन्होंने लोगों के बीच सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तन को आगे बढ़ाने की दिशा में पिछले 100 वर्षों में सराहनीय कार्य किया है।
पीएम की अध्यक्षता वाली जूरी ने सर्वसम्मति से किया फैसला
संस्कृति मंत्रालय से जारी बयान में कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली जूरी ने सर्वसम्मति से गीता प्रेस, गोरखपुर को गांधी शांति पुरस्कार के लिए चुनने का फैसला किया। गांधी शांति पुरस्कार के रूप में एक प्रशस्ति पत्र, एक पट्टिका और एक उत्कृष्ट पारंपरिक हस्तकला, हथकरघा की कलाकृति के साथ एक करोड़ रुपये की धनराशि दी जाएगी। बयान में कहा गया है कि प्रधानमंत्री मोदी ने शांति और सामाजिक सद्भाव के गांधीवादी आदर्शों को बढ़ावा देने में गीता प्रेस के योगदान को याद किया। पीएम मोदी ने कहा कि गीता प्रेस को उसकी स्थापना के सौ साल पूरे होने पर गांधी शांति पुरस्कार से सम्मानित किया जाना संस्थान द्वारा सामुदायिक सेवा में किये गए कार्यों की पहचान है।
1923 में हुई थी गीता प्रेस की शुरुआत
गीता प्रेस की शुरुआत साल 1923 में हुई थी और यह दुनिया के सबसे बड़े प्रकाशकों में से एक है। जिसने 14 भाषाओं में 41.7 करोड़ पुस्तकें प्रकाशित की हैं, जिनमें श्रीमद्भगवद्गीता की 16.21 करोड़ प्रतियां शामिल हैं। गांधी शांति पुरस्कार एक वार्षिक पुरस्कार है, जिसकी शुरुआत सरकार ने 1995 में महात्मा गांधी की 125वीं जयंती के अवसर पर गांधी द्वारा प्रतिपादित आदर्शों को सम्मान देते हुए की थी। संस्कृति मंत्रालय ने कहा कि पुरस्कार किसी भी व्यक्ति को दिया जा सकता है चाहे उसकी राष्ट्रीयता, नस्ल, भाषा, जाति, पंथ या लिंग कोई भी हो।
पुरस्कार देने पर जयराम रमेश ने उठाए सवाल
इधर गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार दिए जाने की घोषणा के बाद सियासत तेज हो गई है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सरकार के फैसले पर सवाल खड़े करते हुए इसे उपहास करार दिया। जयराम रमेश ने गीता प्रेस को यह पुरस्कार दिए जाने की घोषणा के बाद ट्वीट कर कहा कि यह फैसला वास्तव में एक उपहास है और सावरकर तथा गोडसे को पुरस्कार देने जैसा है। इस मामले पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का भी बयान आया है, उन्होंने कहा कि इस प्रतिष्ठित पुरस्कार से नवाजा जाना गीता प्रेस के भगीरथ कार्यों का सम्मान है।