अरहर की दाल में तेजी, कीमतों पर काबू रखने और जमाखोरी रोकने कमेटी गठित, आयात शुल्क पहले ही घटाया

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Rajeev Upadhyay
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अरहर की दाल में तेजी, कीमतों पर काबू रखने और जमाखोरी रोकने कमेटी गठित, आयात शुल्क पहले ही घटाया

New Delhi. आम भारतीयों की थाली के प्रमुख मेन्यु दाल को लेकर सरकार चिंतित है। दरअसल हाल के दिनों में अरहर की दाल की कीमतों में तेजी दिख रही है। जिसे देखते हुए सरकार ने गंभीरता दिखाते हुए अरहर की दाल में जानबूझकर बनाई जा रही कमी बनाने के संकेेत सरकार को मिले थे। जिसे देखते हुए सरकार ने जमाखोरी करने वालों की पहचान करने एक कमेटी बनाने का निर्णय लिया है। जागो ग्राहक जागो की अतिरिक्त सचिव निधि खरे इस कमेटी की अध्यक्ष होंगी। 



उपभोक्ता मामलों के विभाग ने निधि खरे की अध्यक्षता में कमेटी गठित की है जो कि राज्य सरकारों से तालमेल बनाकर काम करेगी। इसमें अरहर दाल के स्टॉक का खुलासा किया जा सकेगा। यह समिति आयातकों, मिल मालिकों, स्टॉकिस्ट, ट्रेडर्स के स्टॉक पर निगरानी भी रखेगी। 




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  • दरअसल सरकार जमाखोरों से निपटने से लेकर जानबूझकर दाल की कमी कर दाम बढ़ाने वालों पर नकेल कसना चाहती है। जिससे दाल की कीमतों पर नियंत्रण रखा जा सके। उपभोक्ता मंत्रालय ने बताया कि दूसरी दालों के स्टॉक पर भी मंत्रालय नजर बनाए हुए है। ताकि कीमतें बढ़ने पर सरकार जरूरी कदम उठा सके। अगस्त 2022 में केंद्र ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 के तहत अरहर दाल के स्टॉक के डिस्क्लोजर को लागू करने के लिए एडवाइजरी जारी की थी। 




    सरकार ने गैर-एलडीसी देशों से अरहर दाल आयात को लागू करने के लिए 10 फीसदी ड्यूटी को खत्म कर दिया है।  होली के पहले साबुत अरहर दाल पर इंपोर्ट ड्यूटी को हटा दिया गया था। जिससे मंडियों में मिलने वाली दाल की कीमतें कम हो सकें। देश में साबुत अरहर दाल आयात करने पर ट्रेडर्स को किसी भी प्रकार का आयात शुल्क नहीं देना पड़ेगा। 


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