अरुणाचल में 17 हजार फीट की ऊंचाई पर भारत-चीन के सैनिकों के बीच झड़प, जबरन घुसे पीएलए के 300 सैनिक, हमारे जवानों ने खदेड़ा

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Atul Tiwari
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अरुणाचल में 17 हजार फीट की ऊंचाई पर भारत-चीन के सैनिकों के बीच झड़प, जबरन घुसे पीएलए के 300 सैनिक, हमारे जवानों ने खदेड़ा

NEW DELHI. वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर फिर तनाव हो गया है। भारतीय सैनिकों की चतुराई ने एक बार फिर चीन के मंसूबों पर पानी फेर दिया। अरुणाचल प्रदेश के यांगत्से इलाके में 17 हजार फीट की ऊंचाई पर भारत-चीनी सैनिकों के बीच तीखी झड़प हो गई। इसमें दोनों देशों के कुछ सैनिक जख्मी हुए। मौके का फायदा उठाते हुए 9 दिसंबर को चीन के पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के 300 सैनिक ऊंचाई पर पहुंच गए। यहां दोनों देश आमने-सामने आ गए और भारतीय सैनिक इन पर भारी पड़े। चीनी सैनिक पूरी तैयारी के साथ आए थे। जानकारी के मुताबिक, चीनी सैनिक भारतीय पोस्ट को तोड़ना चाहते थे। चीनी सैनिक तवांग में भारतीय पोस्ट को हटवाने के लिए आए थे। चीनी सैनिक कंटीली लाठी और डंडे लेकर आए थे, ऐसा ही गलवान झड़प के दौरान भी हुआ था। भारतीय जवानों ने तुरंत मोर्चा संभाला और भिड़ गए। भारतीय जवानों को भारी पड़ता देख चीनी सैनिक पीछे हटे। चीनी सैनिकों को भी जरा सा अंदाजा नहीं था कि भारतीय सैनिक भी 17 हजार फीट की ऊंचाई पर पूरी तैयारी के साथ मिलेंगे। झड़प में भारत के 6 जवान घायल हुए, गुवाहाटी के 151 बेस हॉस्पिटल में उनका इलाज चल रहा है।





15 दिन से हमले की तैयारी कर रहे थे चीनी सैनिक





जानकारी के मुताबिक, भारतीय पोस्ट पर हमले को लेकर चीनी सैनिक 15 दिन से तैयारी कर रहे थे। वे तय रणनीति के तहत ही 17 हजार फीट की ऊंचाई पर पहुंचे थे। यही वजह है कि चीनी सैनिक हाथों में कंटीले लाठी-डंडे लेकर हमले की फिराक में थे। हालांकि, उनकी चालबाजी नाकाम हो गई। अभी तक गोलीबारी की बात सामने नहीं आ रही है। अब तक धक्कामुक्की की खबर है। चीन के करीब 300 सैनिक यहां आए थे, जबकि इससे ज्यादा की संख्या में भारतीय जवान मौजूद थे। 





सेना ने कहा- 2006 से पेट्रोलिंग कर रहे दोनों देश





घटना को लेकर भारतीय सेना ने बयान जारी किया है। कहा कि हमने चीन की साजिश को नाकाम किया है। अरुणाचल प्रदेश में एलएसी से सटे कुछ इलाके तमाम सेक्टर्स में आते हैं। इसको लेकर दोनों देशों की अलग-अलग सोच है। दोनों देश अपनी-अपनी तरफ क्लेम लाइन तक पेट्रोलिंग करते हैं, 2006 के बाद से यही ट्रेंड रहा है। 9 दिसंबर 2022 को चीनी सैनिक एलएसी सेक्टर में आगे बढ़े, जिसका सामना हमारी सेना ने मजबूती के साथ किया। बाद में दोनों देशों के सैनिक वहां से पीछे हटे। इसके फॉलोअप के तहत भारतीय और चीनी कमांडर के बीच फ्लैग मीटिंग हुई और शांति को लेकर बातचीत की गई। 





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भारत-चीन के बीच विवाद बना हुआ है, चीन लगातार घुसपैठ कर रहा है





1 मई 2020 को दोनों देशों के सैनिकों के बीच पूर्वी लद्दाख की पैंगोंग त्सो झील के उत्तरी किनारे पर झड़प हो गई थी। उस झड़प में दोनों तरफ के कई सैनिक घायल हो गए थे। यहीं से तनाव की स्थिति बढ़ गई थी। इसके बाद 15 जून की रात गलवान घाटी पर भारत और चीन के सैनिक आमने-सामने आ गए। चीनी सैनिक घुसपैठ करने की कोशिश कर रहे थे। भारतीय जवानों ने उन्हें रोका तो वह हिंसा पर आमादा हो गए। इसके बाद विवाद बढ़ गया। झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे, जबकि चीन के 38 से ज्यादा जवान मारे गए थे। इनमें कई चीनी सैनिक नदी में बह गए थे। हालांकि, चीन ने केवल चार जवानों के मौत की पुष्टि की। अमेरिका की एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक, इस झड़प में 45 से ज्यादा चीनी जवान मारे गए थे। अक्टूबर 2021 में अरुणाचल में ही दोनों सेनाएं आमने सामने आई थीं। तब भारतीय सेना ने चीन के कई सैनिकों को घंटों बंधक बना कर रखा था। बातचीत के बाद उन्हें छोड़ दिया गया।







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सिक्किम, लद्दाख और अरुणाचल में चीन से लगती भारतीय सीमा पर कई बार चीनी सैनिक कई बार घुसपैठ की कोशिश कर चुके हैं।







भारत-चीन के बीच तनाव कम करने की क्या कोशिशें? 





15 जून 2020 को सेना के बीच हिंसक झड़प के बाद से सीमा पर तनाव की स्थिति बनी हुई है। इस तनाव को कम करने के लिए दोनों देशों के बीच अब तक कई राउंड की बातचीत हो चुकी है। हालांकि अभी तक कोई नतीजा नहीं निकला है। तनाव कम करने के लिए दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने बैठक की। इसके बाद फरवरी 2021 में डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया शुरू की गई। सैन्य और कूटनीतिक स्तर की बातचीत के बाद दोनों पक्षों ने पैंगोंग लेक के उत्तर और दक्षिणी तटों और गोगरा क्षेत्र से सैनिकों को पूरी तरह से हटाने (डिसइंगेजमेंट) की प्रक्रिया पूरी कर ली। हालांकि, एक रिपोर्ट के अनुसार फिलहाल एलएसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) के संवेदनशील सेक्टर में दोनों देशों के 50 से 60 हजार सैनिक तैनात हैं।





भारत-चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में दो साल से अधिक समय तक तनाव रहा और चीन की सेना ने सीमा के कई ऐसे इलाकों में घुस कर कैंप बना लिए थे जो साझा गश्त के दायरे में आते थे। दोनों देशों के बीच कोर कमांडर स्तर की 16 दौर की वार्ता के बाद सितंबर 2022 में दोनों देशों की सेनाएं गोगरा और हॉट स्प्रिंग इलाके से पीछे हटी थी। 





चीन, अरुणाचल को अपना हिस्सा बताता है





चीन के साथ लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में भारत का सीमा विवाद है। चीन, अरुणाचल प्रदेश को अपना हिस्सा बताता है। उसका कहना है कि यह तिब्बत का अंग है। 1962 में यहां हमला कर उसने अरुणाचल के एक हिस्से पर कब्जा जमा लिया था। पिछले साल उसने अरुणाचल की सीमा से लगे 15 स्थानों के नाम बदल दिए थे। 



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