समाजवादी पार्टी ने 2017 में जब माफिया डॉन अतीक अहमद को दी थी कानपुर कैंट की टिकट, दो गुटों में बंट गई थी सपा

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Neha Thakur
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समाजवादी पार्टी ने 2017 में जब माफिया डॉन अतीक अहमद को दी थी कानपुर कैंट की टिकट, दो गुटों में बंट गई थी सपा

LUCKNOW. माफिया डॉन अतीक और अहमद के एनकाउंटर के बाद एक बार फिर समाजवार्दी पार्टी में चाचा और भतीजे के बीच ठनी बातों को याद किया जा रहा है। दरअसल, साल 2016 में समाजवादी पार्टी के मौजूदा राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और चाचा शिवपाल सिंह यादव के बीच पार्टी में माफिया डॉन के शामिल होने को लेकर ठनाठनी हुई थी। इसी समय अखिलेश ने पार्टी से ऐसे लोगों को दूर रखने को लेकर पिता मुलायम और चाचा शिवपाल सिंह यादव से बात की थी, लेकिन पिता और चाचा की रणनीति से विपरीत अखिलेश की सोच थी।



राजनीति में साफ-सुथरी छवि चाहते थे अखिलेश



2016 में समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष से राजनीति में कदम रखने वाले अखिलेश ने विदेश से पर्यावरण इंजीनियरिंग में पढ़ाई की है। अखिलेश की सोच, पिता मुलायम सिंह यादव की राजनीति से अलग रूप ले रही थी। वह राजनीति में साफ-सुथरी छवि, लैपटॉप और अंग्रेजी को बढ़ावा दे रहे थे, जबकि पिता अंग्रेजी और कम्प्यूटर के खिलाफ रहे थे। वहीं, राजनीति में भ्रष्टाचार और गुंडई के खिलाफ अपनी रणनीति को लेकर अखिलेश यादव अपने ही घर में लड़ाई लड़ रहे थे।



पार्टी व परिवार में पहली बार आई दरार



समाजवादी पार्टी में गुंडा, माफिया डॉन के शामिल होने का असर परिवार में दरार का कारण बना। ऐसा पहली बार देखने को मिला जब पार्टी में दो गुट में बंट गई। दोनों गुटों के बीच तकरार इतना बढ़ गया कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सितंबर 2016 में भ्रष्टाचार के आरोप में मंत्री गायत्री प्रजापति और राज किशोर को बर्खास्त कर दिया था। वहीं, अगले ही दिन उन्होंने मुख्य सचिव रहे दीपक सिंघल को भी पद से हटा दिया था। सिंघल इससे पहले शिवपाल के विभाग यानी सिंचाई विभाग के प्रमुख सचिव थे। ये तीनों शिवपाल गुट के माने जाते थे।



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पिता ने शिवपाल को दिया अखिलेश का पद



समाजवादी पार्टी में झगड़ा इतना बढ़ गया कि मुलायम सिंह यादव ने मामले में दखल दिया और अखिलेश को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया और शिवपाल को प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त कर दिया। बौखलाए, अखिलेश ने चाचा शिवपाल से सभी मंत्रालय छीन लिए। अखिलेश के पलटवार से गुस्साए शिवपाल ने तब पार्टी और सरकार में सभी पदों से इस्तीफा दे दिया। भाई और बेटे के बीच बढ़ती रार को देखते हुए मुलायम ने बीच-बचाव किया और अखिलेश के सभी फैसले रद्द कर दिए।



जब माफिया डॉन को मिला टिकट



उत्तरप्रदेश में 2017 को होने वाले चुनाव में सपा के अंदर परिवार और पार्टी के मोर्चे पर जबरदस्त संघर्ष चल रहा था। उस समय प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने माफिया डॉन अतीक अहमद को कानपुर कैंट से उम्मीदवार बना दिया था। इसके साथ ही शिवपाल ने चुनावों के लिए 22 उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया था। उनमें दूसरे माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के भाई को भी टिकट दिया गया था।



6 साल पार्टी के लिए अखिलेश हुए पार्टी से बर्खास्त

माफिया डॉन को टिकट और मुख्तार की पार्टी कौमी एक दल के विलय से नाराज अखिलेश ने अतीक अहमद का टिकट काट दिया, वहीं उन्हीं दो सीटों पर अपने चहेतों को टिकट दे दिया। इसके बाद अतीक अहमद ने शिवपाल से और फिर शिवपाल की मौजूदगी में ही मुलायम सिंह यादव से घंटों लंबी बैठक और चर्चा की थी। जिसके बाद नाराज मुलायम सिंह ने 6 साल के लिए ही अखिलेश यादव को पार्टी से बर्खास्त कर दिया था। इस फैसले के खिलाफ अखिलेश समर्थक हजारों सपा कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए थे।



अधिवेशन बुलाकर खुद को राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित किया



इस घटना के बाद अखिलेश यादव ने जनवरी 2017 के पहले हफ्ते में ही पार्टी का राष्ट्रीय अधिवेशन बुलाकर खुद को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित कर दिया। वहीं, चाचा शिवपाल को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया। इससे नाराज शिवपाल ने पार्टी ही छोड़ दी और सपा दो गुटों में विभाजित हो गई।



अतीक पर रहे 42 मामले दर्ज



बाहुबली नेता अतीक अहमद इलाहाबाद से ताल्लुक रखते हैं और वह कई दलों से चुनाव लड़ चुके हैं। 2004-2009 के दौरान वह फूलपुर से सपा के लोकसभा सदस्य रह चुके हैं। उनके 2014 के आम चुनावों के दौरान पेश किए गए हलफनामे के अनुसार उनके ऊपर 42 आपराधिक मामले चल रहे हैं। इनमें से 6 हत्या और 6 हत्या के प्रयास और 4 मामले अपहरण के दर्ज हैं। 2004 में इलाहाबाद में बसपा विधायक राजू पाल की हत्या के मामले में अपने भाई अशरफ के साथ अतीक भी आरोपी हैं।



कई बार अतीक जा चुका है जेल



अतीक 2012 विधानसभा का चुनाव इलाहाबाद पश्चिम से अपना दल के बैनर तले लड़ा था। वह जीत नहीं सका और उस सीट से राजू पाल की पत्नी पूजा पाल ने जीत हासिल की। 2014 में वह एक बार फिर सपा में शामिल हुए और लोकसभा चुनावों में श्रावस्ती सीट से खड़े हुए लेकिन बीजेपी के उम्मीदवार से उनको हार का सामना करना पड़ा।


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