दिल्ली हाई कोर्ट ने बाबा रामदेव की हालिया टिप्पणी पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उन्हें फटकार लगाई है। दरअसल, बाबा रामदेव ने हमदर्द के लोकप्रिय पेय 'रूह अफजा' पर टिप्पणी करते हुए उसे 'शरबत जिहाद' कहा था, जिसे अदालत ने गंभीरता से लिया है।
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि इस प्रकार की टिप्पणियां न्यायालय की अंतरात्मा को झकझोर देती हैं और इसे किसी भी रूप में माफी योग्य नहीं है। हमदर्द द्वारा दायर मानहानि के मुकदमे की सुनवाई करते हुए अदालत ने बाबा रामदेव की टिप्पणी को अत्यंत आपत्तिजनक और अनुचित करार दिया है।
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रामदेव ने दी सफाई : नहीं लिया किसी ब्रांड का नाम
हाल ही में पतंजलि के गुलाब शरबत का प्रचार करते हुए बाबा रामदेव ने यह टिप्पणी की थी कि एक विशेष ब्रांड द्वारा अर्जित धन का इस्तेमाल मदरसे और मस्जिदों के निर्माण में किया जाता है। उन्होंने इस शरबत जेहाद का नाम दिया था। हालांकि, आलोचना के बाद उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी बात में किसी भी ब्रांड या समुदाय का नाम नहीं लिया गया था।
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हमदर्द की आपत्ति, कोर्ट में मुकदमा दायर
इस बयान को लेकर हमदर्द ने कड़ी आपत्ति जताई है और रामदेव के खिलाफ कोर्ट में मुकदमा दायर कर दिया है। हमदर्द की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने इसे न केवल चौंकाने वाला, बल्कि सांप्रदायिक रूप से विभाजनकारी करार दिया। उनका कहना है कि यह बयान नफरत फैलाने वाले भाषण की श्रेणी में आता है और इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए।
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सोशल मीडिया से हटाएंगे पोस्ट
मामले की दोबारा शुरू हुई सुनवाई के दौरान पतंजलि की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव नैय्यर ने अदालत को बताया कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर डाले गए वीडियो और पोस्ट हटा दिए जाएंगे। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पतंजलि का उद्देश्य किसी भी धर्म की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है।
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हलफनामा के लिए पांच दिन का समय
न्यायमूर्ति अमित बंसल की पीठ ने राजीव नैय्यर के इस बयान को रिकॉर्ड में दर्ज करते हुए कहा कि पतंजलि ने आश्वासन दिया है कि भविष्य में इस प्रकार की कोई पोस्ट नहीं की जाएगी। कोर्ट ने निर्देश दिया कि बाबा रामदेव इस संबंध में हलफनामा दाखिल करें, जिसमें यह स्पष्ट हो कि भविष्य में इस तरह के बयान या विज्ञापन नहीं दिए जाएंगे। हलफनामा दाखिल करने के लिए पांच दिन का समय दिया गया है। मामले की अगली सुनवाई 1 मई को निर्धारित की गई है।