बैंकों को प्राइवेट करने के खिलाफ सरकारी कर्मचारी लगातार हड़ताल कर रहे हैं। बावजूद इसके सरकार ने अपना पक्ष साफ कर दिया है। सरकार आईडीबीआई बैंक के निजीकरण की प्रक्रिया जुलाई में शुरू करने जा रही है। विभाग से संबंधित एक अधिकारी के अनुसार, केंद्र सरकार जुलाई के अंत तक बैंक के निजीकरण के लिए प्रारंभिक निविदाएं आमंत्रित कर सकती है।
जुलाई में शुरू होगा प्राइवेटाजेशन
अधिकारी ने बताया कि निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग फिलहाल अमेरिका में आईडीबीआई बैंक की बिक्री के लिए रोड शो कर रहा है। इसके बाद प्रक्रिया शुरू होने की संभावना है। अधिकारी ने कहा, 'हमें आईडीबीआई रणनीतिक बिक्री पर आरबीआई के साथ एक और दौर की चर्चा की जरूरत हो सकती है। रुचि पत्र जुलाई के अंत तक आमंत्रित किए जा सकते हैं'।
गौरतलब है कि सरकार की इस बैंक में 45.48 प्रतिशत हिस्सेदारी है, जबकि इसमें एलआईसी की 49.24 प्रतिशत हिस्सेदारी है। मई 2021 में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने आईडीबीआई बैंक में रणनीतिक विनिवेश और प्रबंधन नियंत्रण के ट्रांसफर को सैद्धांतिक मंजूरी दी थी।
सरकार की लिस्ट है लंबी
सरकार ने कई कंपनियों की लिस्ट बनाई है, जिसका निजीकरण किया जाएगा। लगभग आधे दर्जन से ज्यादा सार्वजनिक कंपनियों की सूची बनी हुई है। इनमें शिपिंग कॉर्प, कॉनकॉर, विजाग स्टील, आईडीबीआई बैंक, एनएमडीसी का नगरनार स्टील प्लांट और एचएलएल लाइफकेयर को शामिल किया गया है। इतना ही नहीं, सरकार चालू वित्त वर्ष 2022-2023 में अब तक सरकार केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के विनिवेश से 24,000 करोड़ रुपये से अधिक जुटा चुकी है।
इस पूरे वित्त वर्ष के लिए सरकार ने 65,000 करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा है। पिछले वित्त वर्ष में केंद्रीय उपक्रमों में विनिवेश के जरिये 13,500 करोड़ रुपये से अधिक की राशि जमा हुई थी, जिसमें एयर इंडिया के निजीकरण से मिली रकम भी शामिल है।