New Delhi. जी-20 समिट के दौरान राष्ट्रपति भवन में आयोजित होने वाले विशेष रात्रि भोज के निमंत्रण पत्र में प्रेसिडेंट आफ भारत लिखने पर विपक्षी दलों ने जिस तरह आपत्ति दर्ज कराई है, उसका औचित्य समझना मुश्किल है। इतिहास की बात की जाए तो विष्णु पुराण का एक श्लोक है, 'उत्तरं यत्समुद्रस्य हिमाद्रेश्चैव दक्षिणम्। वर्षं तद्भारतं नाम भारती यत्र सन्तति: ' यानी जो समुद्र के उत्तर में और हिमालय के दक्षिण में स्थित है वो भारतवर्ष है और उसमें भरत की संतानें बसी हुई हैं। दूसरी ओर, जब संविधान में लिखा है कि भारत, जो इंडिया है, तब फिर उसके उपयोग पर आपत्ति क्यों? भारत का उल्लेख ना केवल संविधान में है, बल्कि आम बोलचाल के साथ सरकारी कामकाज में भी इस शब्द का खूब उपयोग होता है। हमारे कई पड़ोसी देश भी इंडिया के स्थान पर भारत कहना पसंद करते हैं। जैसे हमारे कई संस्थान इंडिया नाम वाले हैं, वैसे ही भारत नाम वाले भी। राष्ट्र गान में भी भारत शब्द का उपयोग किया गया है, ना कि इंडिया का। जब भारत अभी दुनिया की बीस बड़ी आर्थिक ताकत वाले देशों के संगठन जी-20 की मेजबानी कर रहा है, तब भारत शब्द को सियासी तूल देना कहां तक उचित है। जानते हैं भारत शब्द और उठते सवालों को...
पौराणिक युग : भारत और भारतवर्ष नाम कैसे पड़ा?
पौराणिक युग की मान्यता के अनुसार 'भरत' नाम के कई व्यक्ति हुए हैं, जिनके नाम पर भारत नाम माना जाता रहा है। एक मान्यता यह है कि महाभारत में हस्तिनापुर के महाराजा दुष्यंत और शकुंतला के पुत्र भरत के नाम पर देश का नाम भारत रखा गया, वहीं भरत एक चक्रवर्ती सम्राट भी हुए, जिन्हें चारों दिशाओं की भूमि का स्वामी कहा जाता था। एक दावा यह भी है कि सम्राट भरत के नाम पर ही देश का नाम 'भारतवर्ष' पड़ा। संस्कृत में वर्ष का अर्थ इलाका या हिस्सा भी होता है। सबसे प्रचलित मान्यता के अनुसार, दशरथपुत्र और प्रभु श्रीराम के अनुज भरत के नाम पर इस देश का नाम भारत पड़ा। एक मान्यता यह भी है कि नाट्यशास्त्र में जिन भरतमुनि का जिक्र है, उन्हीं के नाम पर देश का नाम रखा गया। राजर्षि भरत के बारे में भी बताया जाता है, जिनके नाम पर जड़भरत मुहावरा काफी प्रचलित है। इसी तरह मत्स्यपुराण में उल्लेख है कि मनु को प्रजा को जन्म देने वाले वर और उसका भरण-पोषण करने के कारण भरत कहा गया। भारत नामकरण के आधार सूत्र जैन परंपरा में भी मिलते हैं।
अंग्रेजी हुकूमत : क्या इंडिया नाम अंग्रेजों का दिया हुआ है?
हमारे देश के बदलते नाम का भी एक इतिहास है। कहते हैं कि महाराज भरत ने भारत का संपूर्ण विस्तार किया था और उनके नाम पर ही इस देश का नाम भारत पड़ा। मध्य काल में जब तुर्क और ईरानी यहां आए तो उन्होंने सिंधु घाटी से प्रवेश किया। वो ‘स’ का उच्चारण ‘ह’ करते थे और इस तरह से सिंधु का और इस तरह से सिंधु का अपभ्रंश हिंदू हो गया। दावा किया जाता है कि यहां के निवासी हिंदू कहलाए और देश को हिंदुस्तान नाम मिला। सिंधु नदी का दूसरा नाम इंडस भी था। सिंधु का इंडस नाम विदेशियों ने रखा। यूनानी से इंडो या इंडस लैटिन में बदलकर इंडिया तक पहुंच गया।
संविधान के अनुच्छेद-1 : 'इंडिया' शब्द हटाने के मांग क्यों की गई?
भारतीय संविधान के अनुच्छेद-1 में भारत को लेकर दी गई जिस परिभाषा में 'इंडिया, दैट इज भारत' यानी ' इंडिया अर्थात भारत' के जिन शब्दों का इस्तेमाल किया गया है, उसमें से केंद्र सरकार 'इंडिया' शब्द को निकालकर सिर्फ 'भारत' शब्द को ही रहने देने पर विचार कर रही है। वर्ष 2020 में भी इसी तरह की कवायद शुरू हुई थी।
सुप्रीम कोर्ट में दी थी दलील: इंडिया शब्द गुलामी की निशानी
भारत के संविधान से 'इंडिया' शब्द हटाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर की गई थी। याचिकाकर्ता ने दलील दी थी कि इंडिया शब्द गुलामी की निशानी है और इसीलिए उसकी जगह भारत या हिंदुस्तान का इस्तेमाल होना चाहिए। अंग्रेजी नाम का हटना भले ही प्रतीकात्मक होगा, लेकिन यह हमारी राष्ट्रीयता, खास तौर से भावी पीढ़ी में गर्व का बोध भरने वाला होगा, हालांकि तब कोर्ट ने ये कहकर याचिका खारिज कर दी थी कि हम ये नहीं कर सकते क्योंकि पहले ही संविधान में भारत नाम ही कहा गया है।
दुनिया भी लिखने लगी भारत, हाल ही के कुछ मामले
दक्षिण अफ्रीका और ग्रीस में प्रधानमंत्री के दौरे पर फंक्शन नोट्स पर 'प्राइम मिनिस्टर ऑफ भारत' लिखा हुआ नजर आया था।
राष्ट्रपति भवन की तरफ से G-20 के दौरान डिनर के लिए जारी निमंत्रण पत्र में 'द प्रेसीडेंट ऑफ भारत' लिखा गया।
अब G-20 बैठक में अधिकारियों के बदले हुए पहचान पत्र सामने आए हैं, जिसमें भारत लिखा हुआ है।
सात सितंबर को होने वाले इंडोनेशिया के दौरे के फंक्शन नोट में भी प्राइम मिनिस्टर ऑफ भारत ही लिखा हुआ है।
विश्व में कई देशों के नाम बदल गए...
- हॉलैंड नीदरलैंड बन गया।
पांच सवाल और उनके जवाब... जानें क्या है बहस के पीछे वजह
2024 या उससे पहले ही इंडिया और भारत के नाम से मशहूर हमारा देश क्या सिर्फ भारत के नाम से जाना जाएगा? देश में बहस का विषय बन चुका है 'इंडिया बनाम भारत'। इस बहस से पहले पांच सवालों पर गौर करना जरूरी है। जानते हैं 5 सवाल और उनके जवाब...
- प्रश्न 1- क्या वाकई देश का नाम अब सिर्फ भारत करने की तैयारी है? क्यों अचानक इंडिया और भारत के नाम को लेकर बहस शुरू हुई?
- प्रश्न 2- अगर पहले प्रेसीडेंट ऑफ इंडिया लिखा जाता रहा और अब प्रेसीडेंट ऑफ भारत लिख दिया गया तो क्या कोई गलती हुई है?
- प्रश्न 3- अगर इंडिया और भारत दोनों एक ही हैं तो फिर प्रेसीडेंट ऑफ भारत लिखे जाने से क्यों विपक्ष को लगने लगा कि देश का नाम सरकार बदलकर सिर्फ भारत करने वाली है?
- प्रश्न 4- क्या विपक्षी गठबंधन को लगता है कि उनके मोर्चे का नाम इंडिया होने से अब सरकार देश का नाम भारत कर सकती है?
- प्रश्न-5 - क्या INDIA शब्द में वाकई गुलामी झलकती है?
कांग्रेस, समाजवादी पार्टी समेत कई दल भी उठा चुके हैं ‘भारत’ की मांग
- 2004 : उप्र में मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री थे। विधानसभा में एक प्रस्ताव पास हुआ था। इसमें मांग की गई थी कि संविधान में India, That is भारत को भारत दैट इज इंडिया कर देना चाहिए।
अगर भारत नाम हुआ तो क्या होगा असर, क्या बदलेगा, कितना खर्च आएगा?
अगर देश का नाम भारत रखने के लिए ही बात आगे बढ़ी तो क्या कुछ बदलना पड़ेगा। इसमें कितना खर्च आएगा? अगर बात देश का नाम सिर्फ भारत करने तक पहुंची तो क्या नोट पर लिखे हुए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को भी बदला जाएगा। क्या रिजर्व बैंक ऑफ भारत लिखे हुए नए नोट छपेंगे? क्या देश में चलने वाली तमाम योजनाओं का नाम भी बदला जाएगा?
ISRO हो जाएगा BSRO?
भारत नाम होने से Khelo India, Stand-Up India, Digital India, Make In India, Startup India, Skill India, Fit India इनका नाम बदलकर खेलो भारत, स्टैंड अप बारत, डिजिटल भारत, मेक इन भारत, स्टार्ट अप बारत, स्किल भारत, फिट भारत होगा? अभी चंद्रयान और सूर्ययान भारत ने भेजा है. ISRO का नाम भी क्या बदला जाएगा, जिसे अभी इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन के नाम से जाना जाता है। क्या नाम बदलकर फिर भारत स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन यानी BSRO किया जाएगा?
क्या तमाम सरकारी संस्थाओं के नाम भी बदले जाएंगे?
देश के तमाम शहरों में जिन एम्स अस्पतालों को खोलकर सरकार पीठ थपथपाती है तो क्या उनके नाम में लिखा इंडिया भी हटेगा और इसे ऑल भारत इस्टिंट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज कहा जाएगा? क्या सारे आईआईटी और आईआईएम का नाम भी बदला जाएगा। ऐसे तो भारत की जनता का पासपोर्ट भी बदलना होगा। वहां भी भारत लिखना होगा। ये सवाल सिर्फ जनता के मन में ही नहीं है। विपक्षी गठबंधन इंडिया वाले भी पूछ रहे हैं।
नाम बदलने में खर्च करने होंगे 14,304 करोड़ रुपए
अगर वाकई नाम बदलने लग गए तो कितना खर्च लगेगा। एक रिसर्च के अनुसार, एक शहर का ही नाम बदलने में औसत 300 करोड़ रुपए खर्च हो जाते हैं। अब सवाल है कि इंडिया हटाकर सिर्फ भारत नाम हुआ तो कितना खर्च देश की जनता पर आएगा? दक्षिण अफ्रीका के एक प्रॉपर्टी लॉयर डेरेन ओलिवियर ने देश का नाम बदलने के खर्च का फॉर्मूला निकाला। ओलिवियर के फॉर्मूले के मुताबिक इंडिया हटाकर भारत नाम करने में औसत 14304 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
विपक्ष का आरोप : मोदी सरकार घबरा गई है I.N.D.I.A से
कुछ विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि मोदी सरकार उनके गठबंधन I.N.D.I.A से घबरा गई है। इसलिए राष्ट्रपति से भारत शब्द का उपयोग करा रही है। इन दलों को इस बात से परिचित होना चाहिए कि आम भारतीय इंडिया के स्थान पर भारत शब्द का अधिक उपयोग करते हैं। वे ऐसा इसलिए करते हैं, क्योंकि अपने देश का मूल नाम भारत है और यह सदियों से प्रचलित है। इंडिया नाम तो अंग्रेजों ने दिया। कुछ विपक्षी दल यह आरोप भी उछाल रहे हैं कि लगता है अब मोदी सरकार देश का नाम बदलने जा रही है। आखिर इसमें बदलने की क्या बात है? भारत नाम तो पहले से ही चलन में है।