आखिर कर्पूरी ठाकुर को ही क्यों मिला भारत रत्न, सियासत के कौन से गणित साधने की कोशिशों के तहत लिया सरकार ने ये फैसला

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Chakresh
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आखिर कर्पूरी ठाकुर को ही क्यों मिला भारत रत्न, सियासत के कौन से गणित साधने की कोशिशों के तहत लिया सरकार ने ये फैसला

Bharat Ratna Karpuri Thakur- भारत सरकार ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी नेता कर्पूरी ठाकुर ( Karpuri Thakur ) को भारत रत्न ( Bharat Ratna ) देने की घोषणा कर दी है। जहां इस फैसले को देर से लिया गया सही फैसला बताया जा रहा है, वही केंद्र सरकार के इस फैसले के राजनीतिक मायने भी निकाल जा रहे हैं। बड़ा सवाल यह है कि घुर दक्षिण पंथ ( right wing ) की राजनीति करने वाली भाजपा ने आखिर एक समाजवादी नेता को भारत रत्न देने की घोषणा क्यों की? राजनीतिक विश्लेषकों का इशारा लोकसभा के चुनाव को लेकर भी है। यह माना जा रहा है कि सारी कवायद उत्तर भारत के OBC तबके को साधने की है। हाल ही में मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में हुए विधानसभा चुनाव में भी ओबीसी आरक्षण ( OBC reservation) और जातिगत जनगणना ( caste census ) को लेकर मुद्दा गर्माया रहा। अब बीजेपी लगातार ऐसी कोशिशें और फैसले कर रही है जो इस तबके के वोटर को पार्टी के पक्ष में कर सकें। जानिए कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न मिलने के पांच बड़े राजनीतिक कारण क्या हैं?

बिहार की राजनीति में कर्पूरी ठाकुर का प्रभावशाली व्यक्तित्व

कर्पूरी ठाकुर बिहार के एक लोकप्रिय और प्रभावशाली नेता थे। उन्हें "जननायक" के नाम से भी जाना जाता था। वे बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में तीन बार (1968-1971, 1977-1979, और 1980-1983) कार्यरत रहे। उनके कार्यकाल के दौरान बिहार में कई महत्वपूर्ण सुधार किए गए। उन्होंने भूमि सुधार, शिक्षा, और स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

बिहार की राजनीति में कर्पूरी ठाकुर का प्रभावशाली व्यक्तित्व

कर्पूरी ठाकुर बिहार के एक लोकप्रिय और प्रभावशाली नेता थे। वे "जननायक" के नाम से भी जाना जाता थे। वे बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में तीन बार (1968-1971, 1977-1979, और 1980-1983) कार्यरत रहे। उनके कार्यकाल के दौरान बिहार में कई महत्वपूर्ण सुधार किए गए। उन्होंने भूमि सुधार, शिक्षा, और स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

कर्पूरी ठाकुर का पिछड़े वर्गों के लिए काम करना

कर्पूरी ठाकुर पिछड़े वर्गों के हितों के लिए हमेशा खड़े रहे। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान पिछड़े वर्गों के लिए कई कल्याणकारी योजनाओं को लागू किया। इससे उन्हें बिहार के पिछड़े वर्गों में एक मजबूत आधार प्राप्त हुआ।

लोकसभा चुनावों से पहले जनता को लुभाने की कोशिश

भारत में 2024 में लोकसभा चुनाव होने वाले हैं। कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने से सरकार बिहार में अपनी लोकप्रियता बढ़ाने की कोशिश कर रही है। कर्पूरी ठाकुर एक लोकप्रिय नेता थे और उन्हें बिहार के लोग बहुत पसंद करते हैं। उन्हें भारत रत्न देने से सरकार बिहार में अपने वोट बैंक को मजबूत करने की कोशिश कर रही है।

केंद्र सरकार और जदयू के बीच संबंधों को मजबूत करना

जदयू बिहार की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है। कर्पूरी ठाकुर जदयू के संस्थापक सदस्यों में से एक थे। उन्हें भारत रत्न देने से केंद्र सरकार और जदयू के बीच संबंधों को मजबूत करने में मदद मिलेगी।

कर्पूरी ठाकुर की विरासत को संजोना

कर्पूरी ठाकुर एक महान नेता और समाजसेवी थे। उन्हें भारत रत्न देकर उनकी विरासत को संजोने का प्रयास किया जा रहा है।

इन राजनीतिक कारणों के अलावा, कर्पूरी ठाकुर के योगदान के लिए उन्हें भारत रत्न देना एक स्वाभाविक कदम भी था। वे एक महान नेता और समाजसेवी थे। उन्होंने भारत के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

बिहार में सोशल जस्टिस ( social justice ) के प्रतीक माने जाते हैं

कर्पूरी ठाकुर एक समाजवादी नेता थे। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से की थी, लेकिन बाद में वे समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए। उन्होंने समाजवादी विचारधारा को अपनाया और बिहार की राजनीति में इसका प्रचार-प्रसार किया। वे बिहार में सोशल जस्टिस ( social justice ) के प्रतीक माने जाते हैं…

सामाजिक न्याय: कर्पूरी ठाकुर का मानना था कि समाज में सभी वर्गों के लोगों को समान अधिकार और अवसर मिलने चाहिए। उन्होंने पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए कई कल्याणकारी योजनाओं को लागू किया।

समानता: कर्पूरी ठाकुर का मानना था कि सभी लोग समान हैं, चाहे उनका वर्ग, धर्म, या जाति कुछ भी हो। उन्होंने समाज में समानता के लिए काम किया।

सार्वजनिक सेवा: कर्पूरी ठाकुर का मानना था कि राजनीति एक सेवा का कार्य है। उन्होंने हमेशा लोगों की सेवा के लिए काम किया।

कर्पूरी ठाकुर की विचारधारा बिहार की राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। उन्होंने बिहार में समाजवादी विचारधारा को लोकप्रिय बनाया और पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए काम किया।

कर्पूरी ठाकुर ने बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में तीन बार (1968-1971, 1977-1979, और 1980-1983) कार्य किया। उनके कार्यकाल के दौरान बिहार में कई महत्वपूर्ण सुधार किए गए। उन्होंने भूमि सुधार, शिक्षा, और स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। कर्पूरी ठाकुर को बिहार के "जननायक" के नाम से भी जाना जाता है। वे बिहार के लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय थे। वे एक ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ नेता थे। कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने के फैसले को लेकर कुछ विवाद भी हुआ है। कुछ लोगों का कहना है कि उन्हें भारत रत्न देना बहुत देर से हुआ। उन्हें भारत रत्न देने के लिए पहले ही घोषणा की जानी चाहिए थी।


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