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केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने नेशनल हाइवे पर टोल टैक्स को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है। इससे अब फास्टैग (Fastag) न होने पर वाहन चालकों को दोगुनी पेनल्टी का सामना नहीं करना पड़ेगा। पहले यह नियम था कि यदि किसी वाहन में फास्टैग नहीं था या वह एक्टिव नहीं था, तो उस पर दोगुना टोल शुल्क लिया जाता था। लेकिन अब नई व्यवस्था के तहत, यदि कोई वाहन चालक फास्टैग के बिना यूपीआई (UPI) के माध्यम से टोल का भुगतान करता है, तो उसे 1.25 गुना शुल्क देना होगा। यह नया नियम 15 नवंबर, 2025 से लागू होगा।
ऐसा रहेगा टोल कलेक्शन का तरीका
उदाहरण के लिए एक वाहन पर टोल शुल्क 100 रुपए है और उस पर फास्टैग नहीं है। यदि वह वाहन चालक यूपीआई के जरिए टोल भुगतान करता है, तो उसे 125 रुपए का भुगतान करना होगा, जबकि नकद भुगतान करने पर उसे 200 रुपए का शुल्क देना पड़ता। इस बदलाव से वाहन चालकों को भारी राहत मिलेगी और टोल शुल्क का भुगतान आसान हो जाएगा। फायदा इससे नकदी के इस्तेमाल में कमी आएगी और चोरी-छिपे वसूली पर लगाम लगेगी।
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FASTag वालों वाहनों को राहत वाली खबर पर एक नजर
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फास्टैग की पहुंच लगभग 98 फीसदी
मंत्रालय के अनुसार, 2022 तक फास्टैग की पहुंच लगभग 98% हो चुकी है और इससे टोल बूथों पर औसत प्रतीक्षा समय 47 सेकंड हो गया था। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने पहले भी यह माना था कि टोल वसूली में भारी गड़बड़ियां होती हैं और हर साल लगभग 10,000 करोड़ रुपए की चोरी होती है। इस फैसले से जरिए यह समस्या कम हो सकती है।
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15 नवंबर से लागू होने वाली नई व्यवस्था का प्रभाव?
नई व्यवस्था का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि टोल संग्रहण और भुगतान प्रणाली डिजिटल हो, जिससे समय की बचत हो और पारदर्शिता बनी रहे। 15 नवंबर 2025 से यह नया नियम लागू होने के बाद, वाहन चालक जिनके पास फास्टैग नहीं है, वे यूपीआई के माध्यम से 1.25 गुना शुल्क चुकाकर यात्रा कर सकेंगे। इससे टोल बूथों पर ट्रैफिक जाम की समस्या भी कम होगी और टोल वसूली में पारदर्शिता बढ़ेगी।