गायत्री परिवार के संस्थापक पं. श्रीराम शर्मा आचार्य की जयंती आज, जानें उनके बारे में रोचक तथ्य

आज, 20 सितंबर को भारत के आध्यात्मिक संत पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य की जयंती है। वे एक दार्शनिक, विचारक और समाज सुधार के रूप में जीवनभर कार्य करते रहे हैं। उन्होंने वैदिक परंपरा की पुनः स्थापना का महत्वपूर्ण कार्य किया। 

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जी की जयंती
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इतिहास में कभी- कभी ऐसा होता है कि अवतारी सत्ता एक साथ बहुआयामी रूपों में प्रकट होती है और करोड़ों ही नहीं, पूरी वसुधा के उद्धार- चेतनात्मक धरातल पर सबके मनों का नए सिरे से निर्माण करने आती है। पं. श्रीराम शर्मा आचार्य को एक ऐसी ही सत्ता के रूप में देखा जा सकता है, जो युगों- युगों में गुरु एवं अवतारी सत्ता दोनों ही रूपों में हम सबके बीच प्रकट हुई। आज, 20 सितंबर को भारत के आध्यात्मिक संत पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य की जयंती है। वे एक दार्शनिक, विचारक और समाज सुधार के रूप में जीवनभर कार्य करते रहे हैं। उन्होंने वैदिक परंपरा की पुनः स्थापना का महत्वपूर्ण कार्य किया। 

श्रीराम शर्मा आचार्य बारे में 

  • भारत के अध्यात्मिक संत पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य का जन्म 20 सितंबर, 1911 आगरा जिले के आंवलखेड़ा गांव में हुआ। उनके पिता पं. रूपकिशोर शर्मा जी एक प्रसिद्ध पंडित थे।
  • 1926 में 15 वर्ष की आयु में वसंत पंचमी के दिन पं. मदनमोहन मालवीय ने उन्हें गायत्री मंत्र की दीक्षा दी थी।
  • 1927 से 1933 तक का उनका समय एक सक्रिय स्वयं सेवक व स्वतंत्रता सेनानी के रूप में बीता। वह आगरा में सैनिक समाचार पत्र के सहायक संपादक भी रहे।
  • 1935 के बाद वे श्री अरविन्द से मिलने पाण्डिचेरी, गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगौर से मिलने शांति निकेतन व माहात्मा गांधी से मिलने साबरमती आश्रम गए थे। इसके बाद वे हिमालय चले गए। वहां उन्होंने एक संत से दीक्षा और प्रेरणा ली और फिर इस तरह गायत्री आंदोलन की शुरुआत हुई।
  • श्रीराम शर्मा आचार्य ने जात-पात को मिटाने के लिए गायत्री आंदोलन की शुरुआत की थी। 
  • उन्होंने हरिद्वार में शांति कुंज की स्थापना की थी, जहां गायत्री के उपासक विश्वामित्र ने कठोर तप किया था। 
  • इसके बाद उन्होंने गायत्री शक्ति और गायत्री मंत्र के महत्व का पूरी दुनिया में प्रचार किया।
  • उन्होंने शांतिकुंज, ब्रह्मवर्चस, गायत्री तपोभूमि, अखण्ड ज्योति संस्थान एवं युगतीर्थ आंवलखेड़ा जैसी अनेक संस्थाओं द्वारा युग निर्माण योजना का कार्य किया जो आज भी जारी है।
  • 80 वर्ष की उम्र में उन्होंने शांतिकुंज में ही देह छोड़ दी। गुरुजी की आत्मा 2 जून, 1990 को शरीर त्याग कर परमात्मा में विलीन हो गयी।

इतिहास और उपलब्धियां

साधना के अपने 24 वर्ष पूरे होने पर, पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य मथुरा (भारत) 1953 में वह 1958 में एक भव्य गायत्री यज्ञ का आयोजन किया, जो युग निर्माण योजना, एक वैश्विक आंदोलन शुरू करने के लिए एक आधार के रूप में सेवा में गायत्री तपोभूमि स्थापित नैतिक, सांस्कृतिक, बौद्धिक और आध्यात्मिक शोधन और पुनर्निर्माण के लिए।

इस आंदोलन का उद्देश्य व्यक्ति, परिवार और मानव जाति के सामाजिक मूल्यों में सुधार था। इसमें मथुरा में विभिन्न गतिविधियों, बड़े पैमाने पर यज्ञ का प्रदर्शन भी शामिल है के माध्यम से, आचार्य ने समर्पित पुरुषों और महिलाओं की एक टीम को इकट्ठा किया। इस प्रकार संगठन "गायत्री परिवार" की रचना हुई।

उन्होंने कहा कि हिमालय की कई बार की कठिन और रहस्यवादी ऊंचाइयों पर चढ़ गए और अपने गुरु के मार्गदर्शन के अनुसार विशिष्ट साधना के लिए वहां रुके। 1971 में वह नैतिक और आध्यात्मिक जागृति और प्रशिक्षण के लिए एक अकादमी के रूप में शांतिकुंज (हरिद्वार, भारत) में मिशन के मुख्यालय की शुरूआत की। यहां उन्होंने प्राचीन आध्यात्मिक विषयों है कि भारतीय संस्कृति की पहचान थे के पुनरुद्धार के लिए शुरू किया।

लक्ष्य और उद्देश्य

गायत्री परिवार जीवन जीने की कला के, संस्कृति के आदर्श सिद्धांतों के आधार पर परिवार, समाज, राष्ट्र एवं युग निर्माण करने वाले व्यक्तियों का संघ है। वसुधैव कुटुम्बकम् की मान्यता के आदर्श का अनुकरण करते हुए प्राचीन ऋषि परम्परा का विस्तार करने वाला समूह है गायत्री परिवार।

एक संत, सुधारक, लेखक, दार्शनिक, आध्यात्मिक मार्गदर्शक और दूरदर्शी युगऋषि पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी द्वारा स्थापित यह मिशन युग के परिवर्तन के लिए एक जन आंदोलन के रूप में उभरा है।

बड़े नेताओं ने श्रीराम शर्मा आचार्य को किया याद

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने श्रीराम शर्मा आचार्य को याद करते हुए X पर लिखा, शांति कुंज गायत्री परिवार के संस्थापक पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी की जयंती पर उन्हें नमन करता हूँ। अध्यात्म व समाज सेवा से लोगों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने वाले श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने धर्म व विज्ञान की वह व्याख्या दी, जो युवाओं को भारतीय ज्ञान परम्परा आधारित शिक्षा के लिए प्रेरित करती रहेगी। वेद, पुराण, उपनिषद और भारतीय दर्शन को सरल व सहज बनाने वाले श्रीराम शर्मा जी शिक्षा व संस्कृति की दिशा में अपने कार्यों के लिए सदैव याद किये जाएँगे।

 उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ ने कहा, महान आध्यात्मिक गुरु, अखिल विश्व गायत्री परिवार के संस्थापक पं. श्रीराम शर्मा आचार्य की जयंती पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि! उन्होंने अपने जीवन में सेवा, साधना और अध्यात्म के जो आदर्श स्थापित किए, वे सदैव हम सभी का मार्गदर्शन करते रहेंगे।

मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम और केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गायत्री परिवार के संस्थापक पं. श्रीराम शर्मा आचार्य की जयंती पर उन्हें याद कर लिखा, अखिल विश्व गायत्री परिवार के संस्थापक, परम पूज्य पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी की जयंती पर उनके चरणों में कोटि-कोटि नमन करता हूँ! आपकी शिक्षाएं सदैव मानवता के कल्याण के पथ को आलोकित करती रहेंगी।

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी पं. श्रीराम शर्मा आचार्य की जयंती पर उन्हें याद किया है।

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