NEW DELHI. केंद्र की मोदी सरकार ने बुधवार को संसद में एक नया बिल पेश किया। इस बिल के कानून बनने के बाद से जन्म प्रमाण पत्र को सिंगल डॉक्यूमेंट की तरह इस्तेमाल किया जा सकेगा। बीते 26 जुलाई बुधवार को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में 'रजिस्ट्रेशन ऑफ बर्थ एंड डेथ (अमेंडमेंट) बिल 2023' पेश किया।
डिजिटल रजिस्ट्रेशन का किया गया है प्रावधान
रजिस्ट्रेशन ऑफ बर्थ एंड डेथ (अमेंडमेंट) के प्रस्तावित बिल में जन्म और मृत्यु के डिजिटल रजिस्ट्रेशन का प्रावधान किया गया है। इसके साथ ही इस बिल में देश और राज्य स्तर पर जन्म और मृत्यु का डेटाबेस तैयार करने का भी प्रावधान किया गया है।
मनीष तिवारी ने किया विरोध
हालांकि, संसद में कांग्रेस नेता और सांसद मनीष तिवारी ने इस बिल का विरोध किया है। उन्होंने दावा किया कि इस बिल से नागरिकों के निजता के अधिकार का उल्लंघन होगा।
बिल की प्रमुख बातें
जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र का डिजिटल रजिस्ट्रेशन किया जाएगा। डिजिटल रजिस्टर्ड में जन्म और मृत्यु का देश और राज्य स्तर पर डेटाबेस तैयार किया जाएगा।
इस बिल के कानून बन जाने पर जन्म प्रमाण पत्र का इस्तेमाल शैक्षणिक संस्थानों में, ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने में, वोटर लिस्ट तैयार करने, केंद्र या राज्य सरकार में पदों पर नियुक्ति के सिंगल डॉक्यूमेंट के रूप में किया जा सकेगा।
इस बिल के तहत, रजिस्ट्रार को जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र का मुक्त में रजिस्ट्रेशन करना होगा और इसका प्रमाण पत्र 7 दिन के भीतर संबंधित व्यक्ति को देना होगा।
बिल में मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने को जरूरी कर दिया गया है। अगर अस्पताल में किसी की मृत्यु होती है तो वो मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करेगा। यदि किसी की मृत्यु बाहर होती है तो उस व्यक्ति की देखभाल करने वाला डॉक्टर या मेडिकल प्रैक्टिशनर डेथ सर्टिफिकेट देगा।
वोटर लिस्ट में खुद जुड़ जाएगा नाम
इस बिल के बारे में कुछ समय पहले गृह मंत्री अमित शाह ने बताया था कि मृत्यु प्रमाण पत्र और जन्म प्रमाण पत्र रजिस्टर को इलेक्टोरल रोल से जोड़ दिया जाएगा। इससे जैसे ही कोई व्यक्ति 18 साल का होगा, उसका नाम खुद-ब-खुद वोटर लिस्ट में जुड़ जाएगा।