दुविधा में फंसी बीजेपी, नेता विपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष तय नहीं, दोनों समुदायों को साधना चुनौती

author-image
Chakresh
एडिट
New Update
दुविधा में फंसी बीजेपी, नेता विपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष तय नहीं, दोनों समुदायों को साधना चुनौती

New Delhi. तीन जुलाई से शुरू हुआ कर्नाटक विधानसभा का बजट सत्र 21 जुलाई को समाप्त होने वाला है, लेकिन सदन के भीतर नेता विपक्ष की कुर्सी खाली है। इसी तरह बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष नलीन कुमार कतील का कार्यकाल समाप्त हुए करीब एक साल हो गया, लेकिन बीजेपी अभी तक उनका उत्तराधिकारी तय नहीं कर पा रही है। बीजेपी ने हाल ही में पंजाब, झारखंड, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के प्रदेश अध्यक्षों का नाम घोषित किया है, लेकिन कर्नाटक के अध्यक्ष के नाम की घोषणा नहीं की गई। इसके पीछे की वजह साफ नजर आने लगी है। 2024 के लोकसभा चुनाव के कारण बीजेपी कर्नाटक में फूंक-फूंककर कदम रख रही है।



दिल्ली से दो पर्यवेक्षक बेंगलुरु गए, फीडबैक लेकर लौटे



विधानसभा का सत्र शुरू होने से पहले बीजेपी ने दिल्ली से दो पर्यवेक्षकों को बेंगलुरु भेजा था। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया और राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े को जिम्मेदारी दी गई थी कि सभी विधायकों से बात करके नेता विपक्ष के नाम पर सहमति बनाएं। दोनों पर्यवेक्षक बेंगलुरु जाकर विधायकों से मिल भी लिए। उन्होंने अपनी रिपोर्ट पार्टी आलाकमान को सौंप भी दी, लेकिन अभी तक नेता विपक्ष का नाम तय नहीं हो सका है। हालांकि बीजेपी जमीन पर सक्रिय दिख रही है। कई मुद्दों को लेकर राज्य सरकार पर निशाना साधा जा रहा है। ताजा मामला जैन संत की हत्या का है, जिसे लेकर बीजेपी विरोध प्रदर्शन कर रही है, लेकिन नेतृत्व के बारे में फैसला न होने से पार्टी नेताओं का असमंजस साफ दिख रहा है।



प्रमुख कारण : लिंगायत और वोक्कालिंगा समाज में संतुलन बैठाने की कवायद 



पार्टी सूत्रों का कहना है कि नेता विपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष का फैसला न होने के पीछे प्रमुख कारण लिंगायत और वोक्कालिंगा समाज में संतुलन बैठाने की कवायद है। हाल के विधानसभा चुनावों में जहां लिंगायत वोट बीजेपी से खिसककर कांग्रेस में गए, वहीं वोक्कालिंगा वोट भी जनता दल सेक्यूलर से कांग्रेस की ओर गए। बीजेपी के सामने सबसे बड़ा लक्ष्य अगले साल होने वाला लोकसभा चुनाव है। बीजेपी चाहती है कि नेता विपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष का फैसला इसी तरह हो ताकि दोनों प्रमुख समुदायों में संतुलन बना रहे। 



बीएस येदियुरप्पा अपने बेटे को दिलवाना चाहते हैं पद



एक दूसरा बड़ा फैक्टर पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा का भी है जो इस फैसले में अपनी छाप छोड़ना चाहते हैं। यह बात छिपी नहीं है कि वे अपने बेटे बीवाय विजयेंद्र को इन दोनों में से कोई एक पद दिलवाना चाहते हैं। विधानसभा सत्र शुरू होने से पहले वे दिल्ली आकर पार्टी नेतृत्व से मिल भी चुके हैं। 



दोनों को साधना बीजेपी के सामने चुनौती



अब बीजेपी के सामने जहां एक चुनौती वोक्कालिंगा और लिंगायत समुदायों में संतुलन साधने की है वहीं दूसरी चुनौती बीएस येदियुरप्पा की राय को महत्व देने की भी है क्योंकि हाल के विधानसभा चुनाव में हार का एक कारण येदियुरप्पा को पर्याप्त महत्व न देना भी बताया गया, जिसके कारण लिंगायत वोट बीजेपी से छिटके।  बीजेपी अगर लिंगायत को नेता विपक्ष बनाती है तो उसे वोक्कालिंगा समाज से किसी नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाना होगा। इसी तरह वोक्कालिंगा नेता को नेता विपक्ष बनाने पर लिंगायत प्रदेश अध्यक्ष बनाने का दबाव होगा। 



दो अहम पद: लिंगायत और वोक्कालिंगा समुदायों के मिले दो-दो नेताओं के नाम



नेता विपक्ष के लिए जिन प्रमुख लिंगायत नेताओं के नाम लिए जा रहे हैं उनमें पूर्व मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई, बसनगौड़ा पाटिल यतनाल के नामों पर चर्चा हुई है। बसनगौड़ा पाटिल यतनाल पंचशाली लिंगायत हैं जो लिंगायतों में सबसे अधिक संख्या में है। वोक्कालिंगा समुदाय के सीएन अश्वथ नारायण और आर अशोक भी नेता विपक्ष की दौड़ में हैं. जबकि प्रदेश अध्यक्ष के लिए वोक्कालिंगा समाज से शोभा करांदलाजे, सीएन अश्वथ नारायण और सीटी रवि का नाम लिया जा रहा है। लिंगायत समाज से प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए बीएस येदियुरप्पा के बेटे विजयेंद्र का नाम भी लिया जा रहा है जो अभी शिकारीपुरा से विधानसभा का चुनाव जीते और बीजेपी संगठन में उपाध्यक्ष भी हैं। 



एक विकल्प यह भी



बीजेपी के सामने ओबीसी और एससी वर्ग से भी कुछ नेताओं को यह जिम्मेदारी सौंपने का विकल्प है। इसके लिए ओबीसी वर्ग से सुनील कुमार और एससी वर्ग से अरविंद लिंबावली का नाम भी लिया जा रहा है। जाहिर है बीजेपी न केवल इन्हीं कारणों से दुविधा में है बल्कि वह फूंक-फूंक कर कदम भी रखना चाह रही है ताकि मिशन 2024 को लेकर कोई अड़चन न आए


Worried about Mission 2024 BJP stuck in Karnataka Leader of Opposition and State President vacant churning continues in BJP मिशन 2024 की चिंता कर्नाटक में फंसी बीजेपी नेता विपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष पद खाली बीजेपी में मंथन जारी