BJP का भाईजान मॉडल, 31 साल बाद कुंदरकी से रामवीर सिंह की ऐतिहासिक जीत

उत्तर प्रदेश की कुंदरकी विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी प्रत्याशी रामवीर सिंह ने ऐतिहासिक जीत हासिल की है। रामवीर सिंह ने सपा प्रत्याशी मोहम्मद रिजवान को हराया है। बीजेपी ने कुंदरकी सीट पर 31 साल बाद कमल खिलाया है।

Advertisment
author-image
Ravi Singh
एडिट
New Update
BJP candidate Thakur Ramveer Singh
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

उत्तर प्रदेश के रामपुर के बाद बीजेपी ने मुस्लिम बहुल कुंदरकी सीट पर कमल खिलाने में कामयाबी हासिल की है। 65 फीसदी मुस्लिम आबादी वाली कुंदरकी विधानसभा सीट पर बीजेपी प्रत्याशी ठाकुर रामवीर सिंह का 'भाईजान' मॉडल के तहत प्रचार करने का दांव हिट रहा।  सपा पस्त नजर आई। रामवीर सिंह ने कुंदरकी सीट पर भारी अंतर से जीत दर्ज की है। बीजेपी ने कुंदरकी सीट पर 31 साल बाद कमल खिलाया है।

रामवीर सिंह की ऐतिहासिक जीत

कुंदरकी विधानसभा उपचुनाव में 32वें राउंड की मतगणना के बाद बीजेपी प्रत्याशी रामवीर सिंह ने ऐतिहासिक जीत हासिल की है। रामवीर सिंह ने एसपी प्रत्याशी मोहम्मद रिजवान को हराकर कुंदरकी सीट पर जीत हासिल की है। रामवीर सिंह को 16 लाख 8 हजार 526 वोट मिले जबकि रिजवान को 25334 वोट मिले। रामवीर ने एसपी प्रत्याशी को 1 लाख 43 हजार 192 वोटों से हराया।

सपा की सारी उम्मीदें धराशायी

कुंदरकी में मुस्लिम वोटरों की संख्या 65% के आसपास होने की वजह से सपा यहां अपनी जीत तय मान रही थी। मुस्लिम वोटों के राजनीतिक समीकरण की वजह से ही सपा चार बार कुंदरकी सीट से अपना विधायक चुनने में सफल रही है। अपने राजनीतिक इतिहास में भाजपा सिर्फ 1993 के उपचुनाव में कुंदरकी सीट जीतने में सफल रही थी।

मुस्लिम समीकरण की वजह से यह भाजपा के लिए सबसे मुश्किल सीट लग रही थी, लेकिन ठाकुर रामवीर सिंह के 'भाईजान मॉडल' में प्रचार करने का अंदाज मुसलमानों को पसंद आया और सपा की सारी उम्मीदें धराशायी हो गईं।

अजान सुनते ही किया भाषण बंद

भाजपा प्रत्याशी रामवीर सिंह सर ने जालीदार गोल नमाजी टोपी और गले में सऊदी स्टाइल की चादर डालकर 'भाईजान' लुक में प्रचार करने की कोशिश की। रामवीर सिर्फ मुस्लिम इलाकों में प्रचार तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि वे अपने भाषण की शुरुआत कुरान की एक आयत पढ़कर करते हैं। इस्लामी अंदाज में जन्मे रामवीर सिंह अजान सुनते ही अपना भाषण बंद कर देते हैं और चुपचाप खड़े हो जाते हैं। अज़ान खत्म होने के बाद वे फिर से अपना भाषण शुरू करते हैं।

कौन-कौन है चुनावी मैदान में

कुंदरकी सीट पर भाजपा ने रामवीर सिंह को, सपा ने पूर्व विधायक हाजी रिजवान को मैदान में उतारा था। बसपा से रफतउल्ला और एआईएमआईएम से मोहम्मद वारिस चुनाव लड़ रहे थे। इस तरह कुंदरकी सीट पर 12 प्रत्याशियों में ठाकुर रामवीर सिंह को छोड़कर सभी मुस्लिम हैं। मुस्लिम बहुल सीट होने के कारण कुंदरकी सीट पर जीत हासिल करना भाजपा के लिए टेढ़ी खीर थी। यही हाल रामपुर में भी भाजपा का रहा, जहां 55 फीसदी मतदाता मुस्लिम हैं। रामपुर उपचुनाव में भाजपा ने आकाश सक्सेना को मैदान में उतारा और वह मुस्लिमों का बड़ा वोट बैंक साधने में सफल रहे। इसी तरह कुंदरकी सीट पर भी भाजपा ने जीत का ताना-बाना बुना है, जिसके लिए भाजपा प्रत्याशी रामवीर सिंह मुस्लिम रंग में नजर आ रहे हैं।

मुस्लिमों का मिला साथ

हाजी रिजवान तुर्क सपा से चुनाव लड़ रहे थे, जिनके खिलाफ राजपूत मुसलमानों को लुभाने की कोशिश की गई, जिसमें बासित अली की भूमिका रही। बासित अली मुस्लिम राजपूत हैं और उन्होंने ठाकुर रामवीर सिंह को अपना भाई बताकर मुस्लिम वोटों में सेंध लगाई। कुंदरकी विधानसभा क्षेत्र का मूंढापांडे गांव मुस्लिम बाहुल्य है। रामवीर सिंह यहां नुक्कड़ सभा को संबोधित करने आए थे। मुस्लिम समुदाय के लोगों ने रामवीर सिंह को पैसों से तौला। रामवीर ठाकुर ने पैसों को माथे पर लगाकर लोगों का आभार जताया। गांव के मुसलमानों ने रामवीर सिंह से कहा था कि हम इस मिथक को तोड़ेंगे कि मुसलमान बीजेपी को वोट नहीं देते। हम रामवीर को वोट देंगे और उसे चुनाव लड़ने के लिए पैसे भी देंगे। कुंदरकी में मुसलमानों ने बीजेपी को जमकर वोट दिया है, जो नतीजों से साफ भी है। कुंदरकी विधानसभा सीट पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं. मुस्लिम मतदाता 62 फीसदी हैं, जो डेढ़ लाख के करीब है। कुंदरकी में करीब 40 हजार तुर्क मुस्लिम हैं, जबकि करीब 1 लाख 10 हजार अन्य मुस्लिम जातियां हैं। इसके अलावा करीब 18 फीसदी दलित और बाकी अन्य हिंदू मतदाता हैं। हिंदू मतदाताओं में सबसे ज्यादा ठाकुर हैं, उसके बाद सैनी समाज के लोग हैं। मुस्लिम वोटों की बदौलत ही सपा और बसपा यहां जीत दर्ज करती रही हैं। बीजेपी के लिए सबसे बड़ी चुनौती जीत दर्ज करना है, जो मुस्लिम वोटों के बिना संभव नहीं है।

1993 के बाद बीजेपी को जीत

आखिरी बार कुंदरकी सीट पर बीजेपी ने 1993 में जीत दर्ज की थी. उस समय बीजेपी नेता चंद्रविजय सिंह ने जीत दर्ज की थी। उसके बाद से बीजेपी इस सीट पर कभी जीत हासिल नहीं कर सकी। ऐसे में इस बार बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने कुंदरकी में सीट जीतने की कमान संभाली थी। कुंवर बसील अली और रामवीर सिंह की सियासी जोड़ी हिट रही है। हाजी रिजवान की मुसलमानों में मजबूत पकड़ न होना भी बीजेपी के लिए फायदेमंद साबित हुआ। इतना ही नहीं मुस्लिम तुर्क जाति से होने की वजह से दूसरे मुस्लिम समुदाय बीजेपी के पक्ष में लामबंद हुए हैं। ऐसे में बीजेपी 65 फीसदी मुसलमानों के बीच कमल खिलाने में सफल रही।

इस खबर से जुड़े सामान्य सवाल

बीजेपी ने कुंदरकी सीट पर 31 साल बाद कैसे जीत हासिल की?
बीजेपी ने 31 साल बाद कुंदरकी सीट पर कमल खिलाया। इस जीत के पीछे बीजेपी प्रत्याशी रामवीर सिंह के "भाईजान मॉडल" के तहत मुस्लिम बहुल इलाके में प्रचार करने की रणनीति थी। रामवीर ने मुस्लिम समुदाय के बीच अपनी पहचान बनाई और उनका समर्थन प्राप्त किया, जिससे बीजेपी को भारी जीत मिली।
रामवीर सिंह का 'भाईजान मॉडल' क्या था?
रामवीर सिंह ने प्रचार के दौरान मुस्लिम समुदाय को जोड़ने के लिए इस्लामी संस्कृति का अनुसरण किया। वे कुरान की आयतें पढ़ते थे, अज़ान सुनते ही भाषण बंद कर देते थे, और मुस्लिम इलाकों में प्रचार करते समय पारंपरिक इस्लामी वस्त्र पहनते थे, जैसे जालीदार टोपी और सऊदी स्टाइल की चादर। इस तरीके से उन्होंने मुस्लिम वोटरों का विश्वास जीता।
कुंदरकी सीट पर मुस्लिम मतदाता का कितना प्रभाव था?
कुंदरकी सीट पर लगभग 65% मुस्लिम मतदाता हैं, जिसमें तुर्क मुस्लिम और अन्य मुस्लिम जातियों की बड़ी संख्या है। मुस्लिम वोटों के बिना इस सीट पर जीत पाना कठिन था, लेकिन रामवीर सिंह ने मुस्लिम समुदाय के बीच अपनी जगह बनाई, जो बीजेपी की जीत का प्रमुख कारण बना।
सपा क्यों हार गई और बीजेपी कैसे जीतने में सफल रही?
सपा के प्रत्याशी हाजी रिजवान मुस्लिम वोटरों में मजबूत पकड़ नहीं बना पाए, जबकि बीजेपी ने मुस्लिम मतदाताओं को अपने पक्ष में किया। बीजेपी ने मुस्लिम समुदाय के एक वर्ग, खासकर तुर्क मुसलमानों, को लुभाने में सफलता पाई। इसके अलावा, रामवीर सिंह के व्यक्तिगत प्रयासों और बीजेपी की रणनीति ने सपा की उम्मीदों को नाकाम कर दिया।
कुंदरकी में बीजेपी की जीत का ऐतिहासिक महत्व क्या है?
कुंदरकी सीट पर 1993 के बाद पहली बार बीजेपी को जीत मिली है। यह बीजेपी के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है, क्योंकि मुस्लिम बहुल इलाके में बीजेपी का चुनावी प्रदर्शन हमेशा चुनौतीपूर्ण रहा है। रामवीर सिंह की मुस्लिम समुदाय के साथ जुड़ी रणनीति ने बीजेपी को इस सीट पर सफलता दिलाई।

thesootr links

द सूत्र की खबरें आपको कैसी लगती हैं? Google my Business पर हमें कमेंट के साथ रिव्यू दें। कमेंट करने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें

बीजेपी UP News यूपी न्यूज उत्तर प्रदेश ठाकुर रामवीर सिंह Thakur Ramveer Singh