New Delhi. ध्वनि की चाल से भी 5 गुना ज्यादा रफ्तार से दुश्मन पर मार करने वाली ब्रह्मोस मिसाइल की अगले अपग्रेड वर्जन पर भारत और रूस एक बार फिर मिलकर काम करेंगे। इन मिसाइल पर हाल ही में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और उनके रूसी समकक्ष के बीच हुई मुलाकात में सहमति बनी है। हाइपरसोनिक मिसाइल्स के निर्माण में रूस विश्व का अग्रणी देश है और अमेरिका से भी ज्यादा बेहतर है। इंडिया ने रशिया के साथ मिलकर ही ब्रह्मोस मिसाइलें विकसित की हैं। अब इनकी अगली कड़ी पर काम करते हुए हाइपरसोनिक वर्जन तैयार किए जाने का फैसला लिया है।
इन मिसाइल्स से इंडिया की ताकत में बड़ा इजाफा होगा और पाकिस्तान जैसे दुश्मन देश का लगभग पूरा एरिया कवर हो जाएगा। रूस और यूक्रेन के बीच छिड़े युद्ध के बाद हाइपरसोनिक वेपन सिस्टम की चर्चा काफी हो रही है। जिसका इसमें इस्तेमाल किया गया है। रूस ने इस युद्ध में जिरकॉन नाम की हाइपरसोनिक मिसाइलों का इस्तेमाल किया था। इंडिया के साथ मिलकर वह जिन मिसाइलों को तैनात करने वाला है, उनकी ताकत भी ऐसी ही होगी।
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आसानी से रास्ता बदल सकती हैं ये मिसाइल
हाइपरसोनिक हथियारों की खासियत यह होती है कि ध्वनि की रफ्तार से भी तेज यह हथियार हवा में ही अपना रास्ता भी बदलने में सक्षम होते हैं और दुश्मन के इलाके में लंबी दूरी तक मार करने में सक्षम भी होते हैं। रूस के साथ मिलकर भारत जिन मिसाइलों पर काम करने वाला है, वे समुद्र, हवा और जमीन कहीं से भी मार करने में सक्षम होंगी, जिसका फायदा तीनों सेनाओं को मिलेगा।
बता दें कि भारत मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम का मेंबर भी है। जिसके चलते भारत मिसाइलें तैयार तो कर सकता है, लेकिन इसे किसी और देश को निर्यात नहीं कर सकता। इस करार के मुताबिक भारत 300 किमी दूरी तक मार करने वाली मिसाइलों को तैयार कर सकता है, जो 500 किलोग्राम वजन तक परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम हों।