जबलपुर पुलिस की निगरानी में रहे नाइजीरियन जॉन अनुबिरी उर्फ ब्राउनी (43) को 21 सितंबर को उसके देश वापस भेज दिया गया। पुलिस ने उसे दिल्ली स्थित नाइजीरियन दूतावास में रखा था। इस पर गृह विभाग ने डेढ़ लाख रुपए खर्च किए। 2018 में राज्य साइबर सेल ने ब्राउनी को उसके तीन भारतीय साथियों के साथ गिरफ्तार किया था।
दरअसल...मामला मैट्रिमोनियल साइट शादी डॉट कॉम के जरिए जबलपुर की एक महिला से धोखाधड़ी का था। 6 साल तक जबलपुर जिला न्यायालय में केस चला। कोर्ट ने जुलाई में ब्राउनी को बरी कर दिया। कोर्ट ने कहा कि ब्राउनी के खिलाफ सबूत नहीं हैं। साथ ही जिस अपराध के लिए उसे जो सजा मिलनी थी, वह उसने जेल में रहकर ही काट ली। रिहाई के बाद पुलिस के सामने ब्राउनी को वापस नाइजीरिया भेजने की समस्या खड़ी हो गई। इसके बाद वह न चाहते हुए भी पुलिस का मेहमान बन गया।
क्या है पूरा मामला
ब्राउनी ने 6 साल पहले मैट्रिमोनियल साइट पर महिला से दोस्ती की थी। जिसके बाद महिला के साथ धोखाधड़ी की गई। ब्राउनी और उसके तीन साथी हरेंद्र सिंह, बद्रीश मिश्रा और शिवम गुप्ता ने विजय नगर में रहने वाली महिला से 16 लाख 26 हजार रुपए ऐंठ लिए थे। उसने बताया कि वह लंदन से है और पेशे से डॉक्टर है। उसने अपना नाम मैक्स विलियम बताकर शादी का प्रस्ताव रखा। बातचीत शुरू हुई तो महिला ने अपना मोबाइल नंबर दे दिया।
कस्टम ने रोका गिफ्ट
दोनों के बीच एक महीने तक बातचीत चलती रही। इसके बाद 3 मार्च 2018 को बद्रीश ने हरेंद्र, शिवम और ब्राउनी के साथ मिलकर महिला को कॉल किया। उसने कहा कि वह लंदन से भारत आया है और उसके लिए गिफ्ट लाया है, लेकिन कस्टम ने रोक लिया है। उसने महिला से कहा कि गिफ्ट कस्टम में फंस गया है, 16 लाख रुपए चाहिए। महिला ने पैसे दे दिए और पैसे जमा करने के बाद ब्राउनी ने अपना मोबाइल बंद कर लिया। ठगी का अहसास होने पर महिला ने अप्रैल 2018 में मामले की शिकायत स्टेट साइबर सेल कर दी।
दिल्ली से हुआ गिरफ्तार
स्टेट साइबर सेल ने ब्राउनी को द्वारका (दिल्ली), उसके साथी हरेंद्र सिंह और शिवम गुप्ता को कानपुर और बद्रीश मिश्रा को दिल्ली से गिरफ्तार किया। जबलपुर कोर्ट ने उसे जेल भेज दिया। वह तीन साल जेल में रहा। 2021 में चारों जमानत पर बाहर आ गए। हरेंद्र, शिवम और बद्रीश अपने-अपने घर चले गए, जबकि ब्राउनी वीजा और पासपोर्ट न होने के कारण दिल्ली में रहा। मामले की सुनवाई चल रही थी। ब्राउनी को पेश होने के लिए कई बार नोटिस भेजे गए। जब वह नहीं आया तो उसके खिलाफ स्थाई वारंट जारी किया गया। स्टेट साइबर सेल ने जून 2024 में उसे फिर दिल्ली से गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया। एक महीने तक जबलपुर सेंट्रल जेल में रहने के बाद जुलाई 2024 में पंचम अपर सत्र न्यायालय ने ब्राउनी को बरी कर दिया।
गृह विभाग ने उठाया नाइजीरिया भेजने का खर्च
जब नेताजी सुभाष चंद्र बोस सेंट्रल जेल (जबलपुर) से बाहर आए तो सिविल लाइन पुलिस ने ब्राउनी को अपने साथ रखा। सिविल लाइन थाना प्रभारी धीरज राज का कहना है कि ब्राउनी के वीजा की वैधता समाप्त हो चुकी थी। वह थाने में अच्छे से रह रहा था। कभी-कभी अपनी बहन से बात भी कर लेता था। निगरानी के लिए 24 घंटे एक कांस्टेबल उस पर नजर रखता था। थाना प्रभारी का कहना है कि उसके लिए दिन में दो बार खाना होटल से मंगवाया जाता था। साथ ही दिन में दो बार खाना और चाय भी दी जाती थी। ढाई महीने में उसके लिए चार जोड़ी कपड़े भी खरीदे गए थे। वह थाने में खुलेआम घूमता था। उससे छोटे-मोटे काम भी कराए जाते थे। टीआई ने बताया कि ढाई महीने के दौरान उस पर करीब 15 से 17 हजार रुपए खर्च हुए हैं।
अन्य महिलाओं से भी की ठगी
जबलपुर पुलिस की टीम ने दिल्ली दूतावास जाकर ब्राउनी को नाइजीरिया भेजने के लिए पत्र दिया था। राज्य सरकार के गृह विभाग ने उसे भारत से नाइजीरिया भेजने में करीब डेढ़ लाख रुपए का खर्च दिए हैं। सिविल लाइन थाने के एएसआई विजय मानके और दो कांस्टेबल संजुल कुमार और मुकेश सिंह उसे 21 सितंबर को दिल्ली छोड़कर आए। यहां से उसे नाइजीरिया भेज दिया गया। ब्राउनी 2015 में वीजा लेकर अपने कुछ दोस्तों के साथ भारत आया था। वह दिल्ली में ऑटो पार्ट्स का काम करता था। इसी दौरान वह बद्रीश, शिवम और हरेंद्र के संपर्क में आया और साइबर ठगी करने लगा। बताया जा रहा है कि जबलपुर की महिला के अलावा इन लोगों ने शादी डॉट कॉम के जरिए कई अन्य महिलाओं से भी ठगी की है।
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